आपी ब्रो, आपके चेहरे का अहम हिस्सा होता है और ये आपके चेहरे को स्ट्रक्चर और उसे सिमेट्री देने में मदद करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज के वक्त में हर किसी को परफेक्ट शेप की आइब्रो चाहिए होती है। यहां तक कि कुछ लोग अपनी आइब्रो को मोटा करने, शेप देने या फिर नैचुरल ब्रो आर्क को मॉडीफाई करने के लिए इसका ट्रीटमेंट भी कराते हैं। इस वजह से आज के समय में आइब्रो ट्रांसप्लांट एक ट्रेंडी ब्रो ट्रीटमेंट है और यहां हम आपको डॉ. अम्रेंद्र कुमार, जो डर्माटलॉजिस्ट और हेयर ट्रांसप्लांट के सर्जन हैं और साथ ही डर्माक्लिनिक के डायरेक्टर भी हैं, उनकी मदद से इसके बारे में डिटेल में बताने वाले हैं।
आइब्रो ट्रांसप्लांट क्या होता है?
आइब्रो ट्रांसप्लांट एक प्रोसीजर है जिसमें आपके सिर के बालों को ब्रो अरिया पर स्पेस को फिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आइब्रो ट्रांसप्लांट कॉस्मेटिक प्रोसीजर है, जिसमें हेयर ग्राफ्ट्स को ब्रो अरिया पर ट्रांस्फर किया जाता है। नए बालों का उद्देश्य इन ग्राफ्ट्स से बढ़ना होता है जो आपको फुलर अपीयरेंस होता है। आइब्रो हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी को आइब्रो हेयर रिस्टोरेशन के नाम से भी जाना जाता है और इसे ब्रो हेयर लॉस के लिए लॉन्ग टर्म सोल्यूशन के रूप में देखा जाता है। आइब्रो रिस्टोरेशन एक बहुत ही अच्छा तरीका है ब्रो को रिप्लेस करने का और छोटे-छोटे हिस्सों के बालों को कवर करने का जो ऑवर प्लकिंग, स्कार, एजिंग या फिर ओटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण या फिर जेनेटिकली होते हैं।
आइब्रो रिस्टोरेशन में FUE (Follicular Unit Extraction) जैसी तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है। डोनर एरिया से छोटी मात्रा में बाल लिए जाते हैं, जैसे कि कान के ऊपर के हिस्से से और फिर इन्हें ब्रो पर ट्रांसप्लांट किया जाता है। ब्रो हेयर लॉस के आधार पर इसका इलाज किया जाता है और आइब्रो हेयर ट्रांसप्लांट की सर्जरी 1 से 4 घंटों तक चल सकती है।
ब्रो हेयर रिस्टोरेशन करने के दो तरीके होते हैं:
- FUE (Follicular Unit Extraction): इस प्रोसीजर में व्यक्ति के डोनर साइट से बाल निकाले जाते हैं और उन्हें मैंनुअल पंच, पावर्ड पंच या फिर रोबोटिक पंच तकनीक की मदद से ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसकी खासियत ये है कि इसमें लीनियर स्कार के चांस कम होते हैं और रिकवरी भी जल्दी हो जाती है लेकिन एक्स्ट्रेक्शन का समय ज्यादा होता है और छोटे बालों की वजह से ट्रांसप्लांट कीक क्वालिटी प्रभावित होती है।
- FUT (Follicular Unit Transplant): इसमें सिर के पीछे के हिस्से से बालों की एक स्ट्रिप निकाली जाती है और हेयर फॉलीसेल्स को ट्रांसप्लांट करके आइब्रो की शेप को सुधारा जाता है। इसमें बालों को निकालने में कम समय लगता है और हार्वेस्ट किए गए बाल लंबे होते हैं, जो प्लांटिंग के समय लाभकारी रहते हैं।
ब्रो ट्रांसप्लांट के फायदे
- ट्रांसप्लांट के बाद आपकी ब्रो नैचुरली बढ़ती है।
- ये आपको ब्रो टैटू से ज्यादा नैचुरल अपीयरेंस देती है।
- ये कस्टमाइजेबल होती है और आप अपनी पसंद की शेप में इसे करा सकते हैं।
- ये पतली बिना शेप वाली ब्रो का वन टाइम सॉल्यूशन है और इसके बा आपको अन्य ब्रो ट्रीटमेंट की तरह टचअप की भी जरूरत नहीं है।
- भले ही आप हमेशा आइब्रो पेंसिल की मदद से ब्रो को फिलइन कर सकते हैं लेकिन नैचुरल ब्रो आपको अलग ही कॉन्फिडेंस देती है। मोटी, एंगुलर और आकर्षक ब्रो आपको अधिक कॉन्फिडेंट महसूस करवाती है।
- भले ही आपकी स्किन पर आइब्रो के पास जले हुए का स्कार क्यों ना हो तब भी आप अपनी आइब्रो को रिग्रो कर सकते हैं।
ब्रो ट्रीटमेंट की तैयारी और आफ्टर केयर बहुत ही मिनिमल है
आपको सलाह दी जाती है कि आप सर्जरी से पहले एसप्रिन जैसी दवाई ना खाएं। साथ ही अपोइंटमेंट के दिन किसी भी तरह के केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचें। हो सकता है कि प्रोसीजर के बाद आपके ब्रो एरिया पर स्वेलिंग हो जाए लेकिन आमतौर पर इशमें कोई दर्द नहीं होता है और स्वेलिंग भी कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। आपके लिए सर्जरी एरिया को ड्राई रखना और 5 से 7 दिन तक सूरज की किरणों के संपर्क में लाने से बचना मुश्किल हो सकता है। अगर आप स्मूथ रिकवरी चाहते हैं तो आपको डर्माटोलॉजिस्ट की सलाह को मानना चाहिए। आपको इसके नतीजे 5 से 10 महीने में दिखाई देने लगते हैं।
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