किसी भी चीज की अति बुरी ही होती है। उसी का परिणाम है कि इंसान मानवीय संवेदनाओं को अनदेखा कर रहा है। देखा जाए तो हमारी जिंदगी में अब खुद से ज्यादा टेक्नोलॉजी की दखल अंदाजी बढ़ती जा रही है। जैसे कि मोबाइल, कम्प्यूटर , लैपटॉप, रुटीन गैजेट्स। कई ऐसी टेक्नोलॉजी हैं जिनके बारे में हम ये अच्छी तरह से जानते हैं कि यह हमारी सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं लेकिन फिर भी इस बात को नजरअंदाज करते हुए हम उसका इस्तेमाल किए जा रहे हैं। जैसे- जैसे तकनीक का दायरा बढ़ रहा है, वैसे- वैसे ही रोज- रोज होने वाला सिरदर्द, तेज हृदयगति, सोने में दिक्कत, गुस्सा, लगातार तनाव रहना, आलस्य जैसी आम समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। तो आइए जानते हैं कैसे बचें टेक्नोलॉजी के इन साइड इफेक्ट्स से …….
मोबाइल रखने की सही जगह
महिलाओं के लिए मोबाइल को पर्स में रखना और पुरुषों के लिए कमर पर लगी बेल्ट के साइड में लगे पाउच में रखना सही है। कभी भी सोते समय मोबाइल जैसे उपकरणों को तकिये के नीचे या आसपास न रखें।
लिफ्ट या मेट्रो में मोबाइल के इस्तेमाल से बचें
दरअसल, मोबाइल से निकली तरंगों के बाहर निकलने का रास्ता बंद होने से शरीर में रेडिएशन का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, इन जगहों पर सिग्नल कम होना भी हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। सिग्नल कमजोर होने पर फोन से कॉल कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय रेडिएशन और भी ज्यादा हो जाता है।
जब लैपटॉप पर काम करें
अक्सर हम में से ज्यादातर लोग अपने कंर्फ्ट को ध्यान में रखते हुए लैपटॉप को गोद में रखकर काम करते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान लैपटॉप से जो हीट निकलती है वो प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालने के साथ शरीर के निचले हिस्से पर बुरा असर करती है। आप लैपटॉप को किसी अन्य काम करने वाली जगह पर प्रयोग करें जैसे कि आप डेस्कटॉप का करते हैं। ज्यादा देर लैपटाप पर काम करने से आंखों के रेटिना पर गलत असर पड़ता है।
आंखों को आराम दें
जितना हो सके, फोन से दूर रहें। कंप्यूटर पर कम समय व्यतीत करें। पर्याप्त नींद लें। कम नींद लेने से आंखों पर तनाव बढ़ता है। लगातार फोन या फिर कंप्यूटर स्क्रीन को न देंखे, बीच-बीच में अपना ध्यान कहीं और केन्द्रित करें। अगर रोजाना आपको स्क्रीन पर ज्यादा समय के लिए काम करना जरूरी है तो कंप्यूटर या लैपटॉप या फिर अपने चश्मे पर एंटीग्लेयर स्क्रीन लगवा लें।
मोबाइल पर बिताएं कम समय
मोबाइल का इस्तेमाल कम करें और इसे खुद से उचित दूरी पर ही रखें। हो सकें तो कम रेडिएशन वाले ही फोन खरीदें। आजकल का आलम तो ये है कि घर में जितने लोग उतने फोन। आपस में बातचीत भी कम होती जा रही है। ऐसे में स्ट्रेस बढ़ना स्वाभाविक है। इसीलिए सोशल मीडिया से ज्यादा सोशल लाइफ में एक्टिव रहें। आपसी रिश्ते बेहतर करने के लिए एक-दूसरे को टाइम देना जरूरी है ये बात तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं।
गैजेट्स पर निर्भर न रहें
रोजमर्रा के कामों के लिए हम गैजेट्स पर निर्भर होने लगे हैं। कपड़े धोने के लिए वॉशिंग मशीन, चटनी पीसने के लिए मिक्सी, ऐसे ही हर छोटे- छोटे काम के लिए हमें इनका सहारा लेना ही पड़ता है। लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि गैजेट्स का इस्तेमाल सिर्फ सीमित समय तक ही करना चाहिए, इसकी अति नहीं करनी चाहिए। ये आपको आलसी बना देते हैं।
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