रावण को रामायण का खलनायक माना जाता है क्योंकि उसने देवी सीता का हरण किया था, जिसके कारण भगवान श्रीराम को उससे युद्ध करना पड़ा, जिसमें वह मारा गया। एक तरफ जहां लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए रावण का पुतला दहन करते हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे ही देश में रावण की पूजा भी की जाती है। क्योंकि रावण के बारे में ज्यादातर लोगों को एकतरफा सच ही पता होता है।
रावण से जुड़े गुप्त रहस्य Unknown Facts you Should Know about Ravana in Hindi
कहा जाता है कि ‘ रावण’ … दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। क्योंकि रावण, ब्राह्मण ऋषि और राक्षण कुल की कन्या की सन्तान था। उसके पिता विश्रवा पुलस्त्य ऋषि के पुत्र थे जबकि माता कैकसी राक्षसराज सुमाली की पुत्री थी। रावण एक परम शिव भक्त, अदभुत राजनीतिज्ञ , महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, महान विद्वान पंडित और महाज्ञानी था। वैसे तो रावण के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा और जानते भी होंगे लेकिन रावण के बारे में कुछ ऐसी भी गुप्त बाते (unknown facts about ravana) हैं, जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं या फिर किसी को इस बारे में पता ही नहीं होता है।
आज भी सुरक्षित है रावण का शव
कहा जाता है कि रावण की मृत्यु होने के बाद उसके सैनिकों ने उसके शव को फिर से जीवन देने की बहुत कोशिश की। लेकिन रावण जीवित नहीं हो पाया। उसकी प्रजा और सैनिकों ने तब फैसला किया कि वो इसके शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। बल्कि उसके शव को हमेशा- हमेशा के लिए सुरक्षित रखेंगे। तब उन्होंने कई तरह की जड़ी- बूटियों से बने लेप को लगाकर रावण के शव को ममी के तौर पर आने वाले समय के लिए सुरक्षित कर दिया। माना जाता है कि आज भी रेगला के जंगलों में स्थित एक गुफा में रावण की ममी पूरी तरह से सुरक्षित है। बाद में श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर इस गुफा की खोज की और इसका सच दुनिया के सामने उजागर किया।
इस कारण होती रावण की पूजा
मान्यताओं के अनुसार, रावण की नाभि में शक्ति बाण लगने के बाद वह धराशायी हो गया था। इस दौरान कालचक्र ने जो रचना की, उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था, जब राम ने लक्ष्मण से रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने का आदेश दिया था, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा। रावण का यही स्वरूप पूजनीय है। इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर रावण की पूजा की जाती है।
रावण के दस सिर और उसका रहस्य
रावण को मिला था ये श्राप
रावण जब विश्वविजय करने के लिए स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। जिसे देखकर रावण उस पर मोहित हो गया और अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने अपने बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की होने वाली वधू रंभा के साथ दुराचार करने की कोशिश की। जब यह बात नलकुबेर को पता चली तो उन्होंने रावण को एक श्राप दे दिया। उन्होंने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण अगर बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसे स्पर्श करेगा तो उसके सर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
युद्ध के लिए स्वयं रावण ने दिया था राम को आशीर्वाद
रामायण के अनुसार, यह कहा जाता है कि राम की सेना को लंका जाने के लिए पुल का निर्माण करना था जिसके लिए शिव का आशीर्वाद चाहिए था। इसके लिए उन्होंने यज्ञ की स्थापना की, और उस समय की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि रावण पूरी दुनिया में शिव का सबसे बड़ा भक्त था और वह आधा ब्राह्मण भी था, इसीलिए यज्ञ को स्थापित करने के लिए वह सबसे उचित व्यक्ति था। रावण ने यज्ञ का प्रदर्शन किया और राम को अपना आशीर्वाद दिया।
प्रकांड पंडित ही नहीं, वैज्ञानिक भी था रावण
रावण ‘दस मुख’ या ‘दशानन’ के नाम से भी जाना जाता था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण राक्षसों का राजा था जिसके 10 सिर और 20 हाथ थे। रावण परम ज्ञानी थे। उसने 6 शास्त्रों की रचना की थी। रावण ने योग, धर्मा, कामा, अर्थ, मोक्ष और नाव्या शास्त्र लिखे। आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष के क्षेत्र में उसका योगदान महत्वपूर्ण है। इंद्रजाल जैसी अथर्ववेदमूलक विद्या का रावण ने ही अनुसंधान किया।
रावण का चमत्कारी स्तोत्र
रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा, तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से तनिक-सा जो दबाया तो कैलाश पर्वत फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया। इससे रावण का हाथ दब गया और वह क्षमा करते हुए कहने लगा- ‘शंकर-शंकर’- अर्थात क्षमा करिए, क्षमा करिए और स्तुति करने लग गया। यह क्षमा याचना और स्तुति ही कालांतर में ‘शिव तांडव स्तोत्र’ कहलाया।
ग्रहों की स्थिति बदल सकता था रावण
जी हां, रावण इतना शक्तिशाली और असीम गति का था, कि उसने किसी से भी तेज होने की तकनीक में महारथ हासिल कर ली थी और इसीलिए वह किसी की भी कैद के हर प्रयास से बच जाता था। वह इतना शक्तिशाली था कि वह ग्रहों की स्थिति को भी बदल सकता था।
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