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बंगाल में कुमारी पूजा के लिए मुस्लिम लड़की को चुन ये कम्यूनिटी तोड़ रही है पुरानी परंपरा

Megha Sharma  |  Oct 16, 2023
बंगाल में कुमारी पूजा के लिए मुस्लिम लड़की को चुन ये कम्यूनिटी तोड़ रही है पुरानी परंपरा

देशभर में त्योहारों का मौसम नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही शुरु हो गया है। कई जगह इसे नवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है तो वहीं कोलकाता में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नहीं दुर्गा पूजा कोलकाता के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। इस दौरान जगह-जगह माता रानी के पंडाल सजाए जाते हैं और धूमधाम से 9 दिनों तक मता के सभी स्वरूपों का जश्न मनाया जाता है। इतना ही नहीं कोलकाता में दुर्गा पूजा के साथ-साथ कुमारी पूजा भी की जाती है, जो दुर्गा पूजे के आखिरी दिन होती है। इस पूजा के लिए एक बच्ची का भी चुनाव किया जाता है। 

हालांकि, इस साल कुमारी पूजा का यह अवसर कोलकाता के लोगों के लिए थोड़ा अलग होने वाला है। दरअसल, indiatimes.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुमारी पूजन के लिए कोलकाता की एक दूर्गा पूजा कम्यूनिटी ने 8 साल की मुस्लिम लड़की का चुनाव किया है। उन्होंने ऐसा बरसों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने के लिए किया है। 

क्या है कुमारी पूजा?

कुमारी पूजा, दुर्गा पूजा का एक बहुत ही अहम हिस्सा है, जहां एक अविवाहित लड़की की पूजा, भगवान के रूप में की जाती है। 

कब होती है कुमारी पूजा?

कुमारी पूजा का आयोजन महाष्टमी के दिन पूजा के बाद में होता है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, कुमारी पूजा, देवी काली द्वारा कोलासुर के वध की याद दिलाता है। कहा जाता है कि कोलासुर ने एक बार स्वर्ग और धरती पर कब्जा कर लिया था। ऐसे में असहाय देवता माता काली के पास मदद मांगने के लिए गए थे और तब उन्होंने एक युवती के रूप में फिर से जन्म लेकर कोलासुर का वध किया था। 

कुमारी पूजन के लिए किस लड़की का किया गया है चुनाव?

कोलकाता की एक कम्यूनिटी दूर्गा पूजा टीम ने इस साल कोलकाता के न्यू टाउन में रहने वाली नफीसा का चुनाव कुमारी के तौर पर किया है। उनका चुनाव मृत्तिका क्लब की ऑल वुमन कमीटी ने किया है। 

कुमारी पूजन के लिए क्यों किया गया मुस्लिम लड़की का चुनाव?

पारंपरिक रूप से हर साल कुमारी के लिए केवल ब्राह्मिण लड़की का ही चुनाव किया जाता है। हालांकि, मृत्तिका क्लब जो इस साल अपनी पहली पूजा का आयोजन कर रहे हैं उन्होंने सांप्रदायिकता का संदेश देने के लिए मुस्किल लड़की का कुमारी के रूप में चुनाव किया है। टीओआई के अनुसार, मृत्तिका क्लब के कई सदस्य स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मठ और मिशन मुख्यालय, बेलूर मठ की शिक्षाओं से प्रभावित हैं।

1898 में, स्वामी विवेकानन्द ने एक मुस्लिम नाविक से अनुरोध किया था कि वह उन्हें अपनी चार वर्षीय बेटी को श्रीनगर के खीर भवानी मंदिर में दुर्गा के रूप में पूजा करने की अनुमति दे। इस बारे में मृत्तिका क्लब सेक्रेटरी प्रथमा मुखर्जी ने कहा था, अगर स्वामी जी एक सदी से भी पहले एक मुस्किल लड़की की पूजा कर सकते थे तो हम अब ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं? वैसे तो मुस्लिम परिवार के सदस्य भी दुर्गा पूजा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते आए हैं लेकिन यह पहली बार ही कि उनकी कम्यूनिटी से एक लड़की की पूजा भगवान के रूप में की जाएगी। 

किस तरह होती है कुमारी पूजा?

कुमारी पूजा में उन्हीं परंपराओं को फॉलो किया जाता है जो दुर्गा पूजा के दौरान माता रानी की पूजा के लिए किए जाते हैं। पहले उन्हें प्यूरीफाई किया जाएगा और फिर मंत्र जाप करते हुए आरती की जाएगी।

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