हम दोनों की दोस्ती एक common friend के जरिए से हुई थी। तब से हम दोस्तों के ग्रुप के साथ ही अक्सर बाहर जाया करते थे…कभी कभी अकेले भी…घूमने, मस्ती करने….। मुझे वो अच्छा लगता था। जब भी वो साथ होता था मुझे बहुत अच्छा लगता था। वो हमेशा हंसता-हंसाता रहता था और मैं चाहती थी कि हमारी दोस्ती हमेशा यूं ही बनी रहे। लेकिन दोस्ती से ज्यादा कुछ…मैंने ये कभी नहीं सोचा था..लेकिन वो शुरू से ही दोस्ती से कुछ ज्यादा चाहता था और वो इस बारे में पूरी तरह sure था। पहली बार हमारी मुलाकात मेरी दोस्त रिया के घर पर हुई थी। मैं रिया का घर ढूंढ रही थी कि तभी मेरी नजर उस पर पड़ी…वो रिया के घर के बाहर उसी के साथ खड़ा हुआ था। रिया ने मुझे हाथ हिलाकर बुलाया…वो निखिल के साथ ही खड़ी थी। उस दिन के बाद अक्सर मेरी शामें निखिल से बातें करते हुए बीतने लगी। ऐसा लग रहा था कि हम दोनों बहुत पुराने दोस्त हैं जिनकी मुलाकात काफी दिनों बाद हुई है। हमें देखकर कोई नहीं कह सकता था कि हम अभी अभी मिले हैं….हम दोनों भी नहीं। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत easy feel करते थे। उस पहली मुलाकात के बाद मुझे लगा कि मैंने एक बहुत ही अच्छा और खास दोस्त बनाया है… लेकिन शायद निखिल को ऐसा लगा कि वो अपनी होने वाली girlfriend से मिला है! अगले ही दिन निखिल ने मुझे कॉल किया, उसके पास एक concert की दो टिकटें थी और वो मुझे ले जाना चाहता था। मुझे लग कि अगर मैंने हां कर दी तो शायद वो कुछ गलत न समझ बैठे…इसलिए मैंने बहाना बनाया और आने से मना कर दिया। लेकिन जल्दी ही हमारी दोबारा मुलाकात हुई। रिया, निखिल और उनके कुछ दूसरे दोस्तों के साथ मैंने घूमना-फिरना शुरू किया। हम हफ्ते में कम से कम एक बार जरुर मिलते थे और खूब मस्ती करते थे। हालांकि मैं निखिल को साफ कर चुकी थी कि मैं उसके बारे में कुछ ऐसा नहीं सोचती लेकिन वो हार मानने वाला नहीं था। हालांकि वो बहुत धीरे धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रहा था। कभी अचानक से मूवी का प्रोग्राम बना लेता था तो कभी कॉफी पर चलने का। मैं हमेशा उसे मना करने की ही कोशिश करती थी क्योंकि मुझे पता था कि वो एक दोस्त की तरह नहीं पूछ रहा है। लेकिन एक दिन उसकी ज़िद के आगे मैं मना नहीं कर पाई। उस दिन दिल्ली के इंडियन हैबिटेट सेंटर में मैं उसके साथ एक प्ले देखने गई। वो शायद पहली बार था जब हम दोनों अकेले कहीं गए थे। हम बैठकर प्ले देख रहे थे….वैसे तो हम दोनों दोस्तों की तरह ही बैठे थे लेकिन पता नहीं क्यों मेरा मन किया कि वो आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ ले। लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। मैंने खुद को समझाया और नाटक देखने में ध्यान लगाने की कोशिश करने लगी। प्ले खत्म होने के बाद उसने मुझसे कॉफी के लिए पूछा, मैंने हां कर दी। कॉफी कब डिनर में बदल गया, पता ही नहीं चला। हमारी बातें खत्म ही नहीं हो रही थी…हम लगातार बातें कर रहे थे…हर चीज़ पर! आधी रात के करीब हमें अहसास हुआ कि अब हमें घर जाना चाहिए। उसने कहा कि वो मुझे घर छोड़ देगा और मैं उसके साथ उसकी कार में बैठ गई। कुछ देर तक हम दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी थी…पता नहीं क्यों लेकिन मुझे पता था कि वो अब क्या कहने वाला है…इसलिए इससे पहले कि वो कुछ कहता, मैंने बोल दिया, “मैं तुम्हें एक दोस्त की तरह प्यार करती हूं लेकिन अभी मैं किसी रिलेशनशिप के बारे में नहीं सोच रही। मैं अभी तैयार नहीं हूं।” उसने मेरी तरफ देखा, वो मुस्कुराया और बस इतना बोला, “ओके”। मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है…कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया था? Oh god, ये मैंने क्या कर दिया! लेकिन अब मैं अपने शब्द वापस नहीं ले सकती थी और हम मेरे घर के करीब पहुंच चुके थे। हमने गुडनाइट कहा और वो चला गया। उसके बाद एक हफ्ते तक उसने मुझसे कोई कान्टेक्ट नहीं किया। मुझे बहुत अजीब लग…कि उसने न ही मुझे फोन किया और न ही कोई मैसेज। मैं उसे बहुत मिस कर रही थी और चाहती थी कि वो बस एक बार मुझे कॉल कर दे। मेरा ध्यान किसी और काम में लग ही नहीं रहा था। मैं लगातार उसी के बारे में सोच रही थी और सोच रही थी कि वो मुझे कॉल क्यों नहीं कर रहा है…मैं ये भी फैसला नहीं कर पा रही थी कि मुझे खुद उसे कॉल करना चाहिए या नहीं। क्योंकि शायद मैंने ही उसे अपसेट कर दिया था। मैंने इंतजार करने का ही फैसला किया…मैं उम्मीद करने लगी कि वो जल्दी ही मुझे कॉल करेगा। करीब आठ दिन बाद मेरे मोबाइल की घंटी बजी…मैं जब फोन उठाने जा रही थी तो मन ही मन भगवान से मना रही थी कि ये निखिल का ही फोन हो…..मोबाइल पर मेरी नजर गई..उस पर नाम आ रहा था, “निखिल जोकर”! शायद वो पहली बार था जब अपने फोन पर किसी का नाम देखकर मुझे इतनी खुशी हो रही थी…इससे पहले शायद ही मैं सिर्फ किसी का नाम देखकर इतनी खुश हुई थी। मुझे बैचेनी से हो रही थी…मैं सोच नहीं पा रही थी कि उसने अब क्यों फोन किया होगा या वो क्या कहेगा..मैं सिर्फ excited थी..बेहद excited! हम दोनों के डेटिंग शुरू करने के कुछ महीनों बाद तक भी मैंने उसे नहीं बताया था कि मैं उससे प्यार करने लगी थी। लेकिन उस दिन उसका वो फोन उठाने से पहले ही मैं समझ चुकी थी कि मुझे प्यार हो गया है…हां, मुझे सच में निखिल से प्यार हो गया है। हम दोनों अब करीब दो साल से साथ हैं। उसे आज भी नहीं पता कि मैंने जब उससे अपने प्यार का इज़हार किया था..असल में उससे भी काफी पहले से ही मैं उससे प्यार करने लगी थी…बस उसे बताया कुछ देर से!! Images: shutterstock.com यह भी पढ़ें: #MyStory: हमारा रिश्ता Perfect था लेकिन समय नहीं… यह भी पढ़ें: #MyStory: वो मुझे Sex के लिए ब्लैकमेल कर रहा था