भारत में हरतालिका तीज का पर्व बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए निर्जला व्रत करती है। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुवारी कन्याएं भी यह व्रत कर सकती है। इससे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसलिए ऐसा माना जाता है किसी भी व्रत का फल तभी प्राप्त होता है जब पूरे विधि-विधान से पूजा की जाये। ठीक वैसे ही हरतालिका व्रत के भी कुछ नियम है और कहते हैं शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान भोलेशंकर की आराधना की जाती है। तो चलिए जानते हैं हरतालिका तीज की कहानी, व्रत कथा और प्रसाद बनाने के बारे में। हरतालिका तीज के अवसर पर आप अपने सभी जानने वालों के साथ तीज की शुभकामनाएं (Teej Quotes in Hindi) शेयर कर सकते हैं।
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पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री
हरतालिका तीज में काफी पूजा सामग्री का इस्तेमाल होता है इसलिए यह जरूरी है कि इसे एक दिन पहले ही इकट्ठा कर लिया जाए ताकि पूजा के समय किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। पंचामृत के लिए घी, दही, शक्कर और शहद तैयार रखा जाना चाहिए वहीं पूजा के लिए दीपक, कपूर, कुमकुम, सिन्दूर, चंदन, अबीर, जनेऊ, वस्त्र, श्री फल, कलश, बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल, तुलसी, मंजरी, काली मिट्टी, बालू, केले का पत्ता और फल-फूल की जरूरत होती है।
Hartalika Teej Vrat Kab Hai – हरतालिका तीज व्रत कब है
हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जायेगा साल 2022 में हरतालिका तीज व्रत 29 अगस्त को पड़ेगी। हरतालिका तीज का व्रत 29 अगस्त को दोपहर 03.20 बजे से 30 अगस्त की दोपहर 03.33 बजे तक शुभ मुहूर्त में मनाया जायेगा।
हरतालिका तीज व्रत की विधि – Hartalika Teej Vrat Vidhi
Hartalika Teej Vrat Vidhi
कोई भी व्रत करने से पहले उसके नियमों के बारे में अच्छे से जान लेना जरुरी है। नियमानुसार किया गया व्रत दोगुना फल देता है। खास कर हरतालिका के व्रत में कुछ नियम ऐसे होते हैं जो व्रत से पहले किये जाते हैं। ऐसे में जरुरी है आप व्रत के विधि विधान को समझ कर अपना व्रत करें। आप चाहें तो किसी पंडित से भी सलाह मशवरा कर के व्रत के नियमों को जान सकती है। इसके अलावा हम आपको व्रत से जुड़ें उन नियमों के बारे में बताएँगे जिससे आपको व्रत करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
- हरतालिका व्रत के नियम इसे करने के तीन दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं। प्रथम दिन व्रती नहा-धोकर खाना खाती है, जिसे नहा खा का दिन कहा जाता है। दूसरे दिन व्रती सुबह सूर्य के उगने से पहले सरगी करती है, जिसमें कुछ मीठा खाने का नियम होता है।
- उसे खाने के बाद सीधा दूसरे दिन ही अनाज खाती है। दिन भर उपवास रह कर संध्या समय में स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पार्वती और शिव की मिट्टी की प्रतिमा बना कर शिव और गौरी की पूजा करती है।
- तीसरे दिन व्रती अपना उपवास तोड़ती है और चढ़ाई गई पूजा सामग्री को ब्राह्मण को दे देती है और पूजन में जिस रेत की मिट्टी का इस्तेमाल होता है, उसे जल में प्रवाह कर देती है।
- तीज में शिव और पार्वती के साथ गणेश की भी रेत, बालू या काली मिट्टी से प्रतिमा बनाई जाती है।
- इसके अलावा महिलाएं रंगोली बनाती हैं और फूलों से भी प्रतिमा और पूजा स्थल को सजाती हैं।
- पूजन के लिए चौकी पर एक सतिया बनाकर उस पर थाल रखें। फिर उसमें केले के पत्ते रखें। इसके बाद तीनों प्रतिमाओं को केले के पत्ते पर स्थापित करना चाहिए। उसके बाद कलश के ऊपर श्रीफल और दीपक जलाना चाहिए। फिर कुमकुम, हल्दी, चावल और पुष्प से कलश का पूजन करना चाहिए। कलश पूजा के उपरांत गणपति पूजा और शिव और माता गौरी की पूजा करनी चाहिए।
- पूजा के दौरान सुहाग की पिटारी में साड़ी रख कर मां पार्वती को चढ़ानी चाहिए। शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाना चाहिए। पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए।
- कथा पढ़ने और सुनने के बाद सर्व प्रथम गणेश जी की आरती, फिर शिव जी की और अंत में माता गौरी की आरती करनी चाहिए। आरती के बाद भगवान की परिक्रमा की जाती है।
- रात भर जग कर गौरी-शंकर की पूजा, कीर्तन और स्तुति करनी चाहिए। दूसरे दिन प्रातः काल स्नान कर पूजा के बाद माता गौरी को जो सिन्दूर चढ़ाया जाता है, उस सिन्दूर को सुहागन स्त्री को सुहाग के रूप में मांग में भरना चाहिए। साथ ही सिंदौरे में उस पूजा के सिन्दूर को मिला लेना चाहिए।
- इसके बाद चढ़ाए हुए प्रसाद से ही अपना उपवास खोलना चाहिए और पूजा में चढ़ाई गई सामग्री ब्राह्मण को दे देनी चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत कथा – Hartalika Teej Vrat Katha
Teej Vrat Katha
इस पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मशहूर हैं। मान्यता है कि माता पार्वती महादेव को अपना पति बनाना चाहती थीं, इसके लिए उन्होंने कठिन तपस्या भी की। इसी तपस्या के दौरान पार्वती जी की सहेलियों ने उनका हरण कर लिया था। हरत हरण शब्द से बना है और आलिका का मतलब सखी होता है, इसी कारण इस तीज को हरतालिका तीज कहते हैं। एक कहानी यह भी मशहूर है कि पर्वत राज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती की शादी विष्णु भगवान से कराना चाहते थे लेकिन पार्वती बचपन से ही भगवान शिव से शादी करना चाहती थीं। ऐसे में उन्होंने गंगा नदी के पास जाकर एक गुफा में तप शुरू कर दिया था। यह सब देख कर भगवान शिव प्रसन्न हुए और भाद्र शुक्ल पक्ष के हस्त नक्षत्र पर देवी पार्वती को दर्शन दिए थे। उसके बाद पार्वती ने पूरी पूजा सामग्री नदी में प्रवाहित कर उपवास तोड़ा था। इसलिए भी यह पर्व मनाया जाता है।हरतालिका तीज के लिए कोट्स
तीज में बनने वाले पकवान और प्रसाद की तैयारी
Hartalika Teej Prasad in Hindi
तीज पूजन में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में प्रचलित गुजिया, जिसे पेड़किया भी कहते हैं, बनाने का प्रचलन है। सूजी, खोया, मावा और चीनी के मिश्रण को मैदे के आटे में भरने के बाद उसे तल कर तैयार किया जाता है। इसे प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है। इसे पूजन से एक दिन पहले ही बना लिया जाता है। शुद्ध घी में इसे तला जाता है और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है। पूजन से पहले किसी को भी उसे झूठा करने की इजाज़त नहीं होती है। इसके अलावा आटे का चूरमा भी बनाया जाता है। आटे के अलावा चावल को बारीक पीस कर उसका सत्तू भी बनाते हैं। प्रसाद के रूप में सूजी का हलवा और दूध का चरणामृत भी बनाया जाता है क्योंकि भगवान शिव को दूध से बेहद प्यार है। इन सबके अलावा केला, सेब, नाशपाती, खीरा जैसे फल भी ज़रूर चढ़ाए जाते हैं। इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि दूसरे दिन विसर्जन के बाद ही सबको प्रसाद बांटा जाए।
विवाहिताओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है तीज पर्व
Importance Of Teej in Hindi
ऐसी मान्यता है कि जिस तरह देवी पार्वती को पति के रूप में शिव जी मिले हैं, उसी तरह विवाहिताओं को भी पारिवारिक जीवन में पति का प्यार मिले और शिव जी की तरह ही पति हमेशा अपनी पत्नी के मान और सम्मान की रक्षा करने के लिए तैयार रहे। साथ ही पति की लंबी आयु के लिए भी इस व्रत को किया जाना चाहिए। इसका पालन करने से महिलाओं को सुहागिन रहने का आशीर्वाद मिलता है।
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