अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि ऑफिस का काम पूरा करने के बाद भी वे घर पर ऑफिस की टेंशन में ही रहते हैं। इसकी वजह से कई बार उनकी पर्सनल (personal) और फैमिली लाइफ भी अफेक्ट होने लगती है। दरअसल, घर आने के बाद भी ऑफिस की कॉल्स और मेल्स उनका पीछा नहीं छोड़ती हैं। कई बार तो वर्किंग प्रोफेशनल्स (working professionals) की वेकेशन तक इस वजह से खराब हो जाती है। अगर आपकी ऑफिस लाइफ भी आपकी पर्सनल लाइफ पर हावी होने लगी है तो अब टेंशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। लोकसभा (Lok Sabha) में एक ऐसा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया है, जिसके बाद आपकी यह परेशानी खत्म हो सकती है।
द राइट टु डिसकनेक्ट
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने लोकसभा में एक ऐसा प्राइवेट मेंबर बिल (bill) पेश किया है, जिसके बारे में जानकर सभी खुशी से झूम उठेंगे।
यह बिल हर वर्किंग प्रोफेशनल के लिए बेहद खास है और इसके पास होने पर नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस आवर्स के बाद कंपनी से आने वाले कॉल्स और मेल्स का जवाब न देने का अधिकार मिल जाएगा। ‘द राइट टु डिसकनेक्ट’ (The Right To Disconnect) नाम का बिल इसी सोच के साथ लाया गया है कि कर्मचारियों के वर्क स्ट्रेस को कुछ कम किया जा सके। सुप्रिया सुले (Spriya Sule) के मुताबिक, इस बिल के आने से कर्मचारियों का तनाव कम होगा, जिससे उनकी पर्सनल लाइफ स्टेबल हो सकेगी।
घर में बीतेंगे सुकून के पल
कर्मचारियों के हित में बनाए गए इस विधेयक को 28 दिसंबर को पेश किया गया था। इसके माध्यम से कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण (Employee Welfare Authority) की स्थापना की जाएगी। इसमें कम्युनिकेशन, आईटी और लेबर मंत्री को शामिल किए जाने की बात रखी गई है। इसमें डिजिटल माध्यमों के प्रभाव पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने की बात भी की जा रही है।
इस बिल के पास होने से ऑफिस आवर्स के बाद कंपनी की तरफ से किए गए कॉल्स और मेल्स का जवाब न देने पर कंपनी अपने कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगी। सिर्फ इतना ही नहीं, अगर कर्मचारी तय समयसीमा से ज्यादा काम करता है तो उसे ओवरटाइम माना जाएगा।
कर्मचारियों के लिए तोहफा है यह बिल
अभी यह बिल सिर्फ लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया गया है। अगर इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में मंजूरी मिल जाती है तो यह कानून (law) बन जाएगा और फिर यह कर्मचारियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं साबित होगा। इस बिल के तहत एक खास तरह का चार्टर (charter) भी तैयार किया जाएगा। जिस कंपनी में भी 10 से ज्यादा कर्मचारी होंगे, वहां के नियोक्ता को कर्मचारियों से बात करनी होगी। अगर कर्मचारी कोई मांग रखते हैं तो उन्हें (मांग को) उस चार्टर में शामिल करना पड़ेगा। ऐसा ही एक बिल फ्रेंच सुप्रीम कोर्ट फ्रांस में लागू कर चुकी है। न्यूयॉर्क में भी ऐसे कानून की शुरुआत हो चुकी है और जर्मनी अभी इस पर विचार कर रहा है।
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