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रहस्यमयी है वृंदावन का निधिवन, जिसने भी देखी यहां की रासलीला हो गया पागल – Mystery About Nidhivan in Hindi

Archana Chaturvedi  |  Aug 31, 2018
रहस्यमयी है वृंदावन का निधिवन, जिसने भी देखी यहां की रासलीला हो गया पागल – Mystery About Nidhivan in Hindi

वृंदावन के निधिवन के बारे में तो आपने बहुत से लोगों से सुना ही होगा। फिजूल लगने वाले वृंदावन के निधिवन के बारे में कुछ भी कहा जाए, लेकिन यहां आज भी मौजूद है भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के सबूत। इस जगह को लेकर मान्यता है कि हर रात यहां भगवान श्रीकृष्ण आते हैं और गोपियों के साथ रास रचाते हैं। रात के समय इस परिसर में कोई भी इंसान नहीं रहता है और न ही कोई पशु- पक्षी। आज तक जिसने भी यहां रासलीला देखने का साहस किया है या तो वो सुध – बुध खो बैठा है या फिर इस दुनिया में ही नहीं रहा। यही वजह है कि निधिवन के आस- पास बने मकानों में भी खिड़कियां नहीं हैं। ताकि रात के इस रहस्यमयी दृश्य को कोई भी देख न सके। आपको बता दें कि निधिवन में तुलसी के जो पौधे हैं वो जोड़े में है और ये मान्यता है कि जब राधा- कृष्ण वन में रास रचाते हैं तो ये जोड़ेदार तुलसी के पौधे ही गोपियां बन जाते हैं और सुबह होते ही तुलसी के पौधे के रूप में बदल जाती है।

रंग महल में करते कान्हा, राधा संग विश्राम

निधिवन के अंदर ही एक छोटा सा महल भी है, वो भी किसी और का नहीं बल्कि देवी राधा का महल है जिसे रंग महल के नाम से जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि हर रात कान्हा इस महल में आते हैं और देवी राधा के साथ आराम करते हैं। इसीलिए शाम होने से पहले ही मंदिर में पलंग, पानी से भरा एक लोटा और साथ ही सुहाग का पिटारा, पानी आदि रखा जाता है। अगले दिन सुबह 5 बजे पट खुलता है तो सारा सामान बिखरा नजर आता है। यही नहीं पान खाया हुआ और पानी का लोटा भी खाली मिलता है।

रहस्यमयी ढ़ग से बढ़ते हैं यहां के पेड़

निधिवन को एक नजर में देखने पर यही लगता है कि कुछ तो बात है यहां जो इसे दूसरी जगहों से एकदम अलग करती है। यहां के पेड़ों को जब आप करीब से देखेंगे तो आप भी यही कहेंगे कि आपने ऐसे पेड़ और कहीं नहीं देखे हैं। दरअसल, यहां हर जगह पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती हैं, लेकिन निधिवन के पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। जिसकी वजह से यहां के पेड़ इतने घने हो जाते हैं कि इनके बीच से निकलना भी मुश्किल होता है।

कान्हा ने अपनी वंशी से खोदा था यहां का कुंड

निधिवन में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी एक सखी विशाखा को प्यास लगी। कोई व्यवस्था न देख कृष्ण ने अपनी वंशी से इस कुंड की खुदाई कर दी, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा सखी ने अपनी प्यास बुझाई और तभी से इस कुंड का नाम विशाखा कुंड पड़ गया।

यहां वंशी चोर राधा रानी का भी है मंदिर

राधा रानी के इस मंदिर के बारे में जानकार बताते हैं कि राधा जी को कान्हा की मुरली यानि वंशी से बहुत जलन होती थी। क्योंकि वो ज्यादातर समय अपनी वंशी ही बजाते थे और राधा जी की ओर ध्यान नहीं देते थे। इसी वजह से परेशान होकर राधा जी ने कान्हा की वंशी चुरा ली और जहां छुपाई वहीं आज राधा जी का मंदिर बना है। इसीलिए उन्हें वंशी चोर राधा रानी के नाम से जाना जाने लगा।

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