प्यार, क्या है ये प्यार… बंद आंखों में जब किसी की तस्वीर उतर आए… वो प्यार है, हर बात पर किसी का ज़िक्र छिड़ जाए तो समझो वो प्यार है, किसी को देख कर भी बार- बार देखने का दिल करे… वो प्यार है, किसी की फ़िक्र में रातों की नींद छिन जाए… वो प्यार है, किसी के एक फ़ोन या मैसेज पर चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान खिल जाए… तो समझो वो प्यार है। प्यार को परिभाषित करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे मगर प्यार कम नहीं पड़ेगा। सिद्धार्थ के लिए मेरा प्यार भी कुछ ऐसा ही है। हमें हमारे प्यार की पहचान तब हुई जब मैं जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी और उस समय मेरा साथ दिया था सिद्धार्थ ने। मेरा नाम प्रिया है और ये कहानी मेरी और सिद्धार्थ की है…
मैं गर्ल्स स्कूल में पढ़ी हुई लड़की थी। लड़कों से दोस्ती तो दूर की बात थी मैंने कभी उनसे बात भी नहीं की थी। 12वीं के बाद कॉमर्स से ग्रेजुएट करने के लिए मैंने शहर के सबसे अच्छे कॉमर्स कॉलेज में एडमिशन ले लिया। वो कॉलेज कोएड था, ये मेरे लिए एकदम अलग अनुभव था जब क्लास में लड़कों के बीच बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। एक दिन मेरी सीट के बगल में एक लड़का आ कर बैठ गया। लम्बा… गोरा… सुन्दर सा… वो और कोई नहीं बल्कि सिद्धार्थ था।
उसके अचानक बगल में आकर बैठने से मैं सहम गई और दूसरी सीट पर जाकर बैठ गई। उसे शायद मेरा इस तरह उठकर जाना अच्छा नहीं लगा। क्लास के बाद वो अपने दोस्तों के साथ मेरे पास आया और मेरे इस तरह उठ कर जाने पर नाराज होने लगा। मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने भी जम कर उसे लताड़ दिया, जिसके बाद वो चुप- चाप अपने दोस्तों को लेकर वहां से चला गया। ये हमारी पहली मुलाकात थी।
उसके बाद कुछ दिन तक मैंने नोटिस किया कि वो मुझे देखकर अपना रास्ता बदल लेता है। यहां तक कि क्लास में भी मुझसे 20 हाथ दूर बैठता है और मेरे आस- पास होने पर असहज सा हो जाता है। मैं बहुत कंफ्यूज रहने लगी। समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रहा है। जब मुझसे रहा नहीं गया तब एक दिन मैंने उसे रोक कर उसके इस व्यव्हार का कारण पूछा। उसने बताया कि कॉलेज के पहले दिन से वो और उसके दोस्त मुझे नोटिस कर रहे हैं और उस दिन दोस्तों के साथ उसकी शर्त लगी थी कि वो मुझसे बात करके दिखाए। मगर जब उसके दोस्तों के सामने मैंने उसे बुरी तरह से लताड़ दिया तो दोबारा उसकी हिम्मत मुझसे बात करने की नहीं हुई। न जाने क्यों पर उसकी बातें सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई और जोर- जोर से हंसने लगी। उसके बाद हमारी दोस्ती हो गई और हम रोज़ मिलने लगे।
न जाने कैसे एक दिन उसके हाथ मेरी डायरी लग गई जिसमें मेरी विश लिस्ट लिखी हुई थी। दरअसल मैं जिंदगी में जो कुछ भी करना चाहती थी उसकी मैंने एक लिस्ट बना कर रखी थी। जो मेरी डायरी में लिखी हुई थी। उसने ये बात मुझे नहीं बताई और किसी न किसी बहाने से एक- एक करके मेरी सभी विशेज पूरी करनी शुरू कर दी। कभी मुझे अपनी बाइक चलाने को दे देता तो कभी सबसे छुपा कर मुझे नाईट क्लब में ले जाता। और मैं इन सब बातों से अनजान सिर्फ अपनी जिंदगी को एन्जॉय करने में लगी थी। कहना गलत नहीं होगा कि उसके साथ मुझे सबसे ज्यादा सेफ फील होने लगा था। धीरे- धीरे हम दोनों में प्यार हो गया और हमनें साथ जीने- मरने की कसमें खा लीं।
समय बीतता गया और हम दोनों कि नौकरी लग गई। मेरे घर में मेरी शादी की बातें होने लगीं। इस बारे में जब मैंने सिद्धार्थ को बताया तो हम दोनों ने मिलकर अपने- अपने घर वालों को सब बताने का फैसला कर लिया। पर हम दोनों जानते थे कि ये आसान नहीं होगा। दरअसल सिद्धार्थ पंडित था और मैं बनिया फैमिली को बिलॉन्ग करती थी। हम दोनों के परिवार में लव मैरिज एक पाप जैसा था। फिर भी हिम्मत करके हम दोनों ने अपने परिवार वालों को ये बात बता दी। फिर वही हुआ जिसका डर था। मेरे घर वालों ने मेरी नौकरी छुड़वा कर मेरा घर से बाहर निकलना बंद कर दिया और आनन- फानन में मेरी शादी कहीं और तय कर दी। वहीं दूसरी तरफ सिद्धार्थ के घर में भी हमारी शादी के लिए कोई राज़ी नहीं हुआ।
कुछ महीने बाद मेरी शादी आकाश नाम के एक लड़के से हो गई, जिसके बाद सिद्धार्थ दूसरे शहर चला गया। मेरे पति को न तो मेरा घर से बाहर निकलना पसंद था और ना ही किसी से बात करना। कभी- कभी तो गुस्से में आकर मुझपर हाथ भी उठा दिया करते। मैं अपना ये दर्द किसी के साथ नहीं शेयर पा रही थी क्योंकि उन्होंने मेरा फ़ोन तक मुझसे ले लिया था। एक दिन हिम्मत करके मैंने पति से छुपकर अपने घर वालों को पति के मोबाइल से फ़ोन किया और उन्हें सारी बात बता दी। मगर उन लोगों ने मेरी मदद करने के बजाये उल्टा शांत रहने की हिदायत दे दी। मैं टूट चुकी थी क्योंकि मेरे अपने ही घर वाले मेरा दर्द समझने को तैयार नहीं थे।
न जाने कैसे ये बात सिद्धार्त को पता चल गई और वो बिना दुनिया की परवाह किये मुझे लेने मेरे ससुराल आ गया। काफी उठा- पटक के बाद वो मुझे उस नर्क से बाहर निकाल लाया और समाज के खिलाफ जाकर मेरा तलाक आकाश से करवा दिया। सिद्धार्थ का पूरा परिवार उसके खिलाफ हो गया लेकिन उसने मेरा साथ नहीं छोड़ा। कुछ समय बाद हमने शादी कर ली और आज हमारा एक प्यारा सा बेटा भी है। हम दोनों के परिवार वालों ने भी समय के साथ हमें और हमारे बेटे को स्वीकार कर लिया।
सिद्धार्थ के साथ ने मुझे समझाया कि पहला प्यार क्या होता है। हम दोनों आज अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं और आने वाले दिनों के सपने साथ मिल कर देखते हैं। अक्सर जब भी हमारी लड़ाई होती है तो मुझे शांत कराने के लिए सिद्धार्थ बस यही कहते हैं… गुस्सा न कर बीवी…इतनी सी बात है, मुझे तुमसे प्यार है… उनकी ये बात सुनते ही मेरा सारा गुस्सा छूमंतर हो जाता है।
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