मैं एक छोटे शहर की रहने वाली थी..जहां सब लोग मेरे पापा और भाइयों को जानते थे। हमेशा से लड़कियों के स्कूल में पढ़ी, लड़कियों के साथ ही हमेशा दोस्ती रही। इसलिए मैं कालेज में आने के लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड थी..बड़े शहर में रहकर ऐसे कालेज में पढ़ना जहां लड़के भी साथ पढ़ते हों..लड़कों से दोस्ती, आज़ादी…मेरे लिए ये सब एक सपने जैसा था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई मुझे सेक्स के लिए ब्लैकमेल भी कर सकता है। मैं वैसे तो देखने में अच्छी थी लेकिन छोटे शहर के कन्ज़र्वेटिव माहौल में रहने की वजह से बड़े शहर के तौर-तरीके अपनाने में मुझे मुश्किल हो रही थी। कालेज की दूसरी लड़कियों की तरह मैं क्रॉप टॉप्स या शार्ट स्कर्ट नहीं पहन पा रही थी। मैं रोजाना जीन्स और टी-शर्ट पहनकर ही कालेज जाती थी। दूसरी लड़कियां जहां एक से एक फैशनेबल कपड़े पहनकर आती थीं, मैं सिंपल ही बनकर कालेज आती थी। कभी कभी मैं बहुत हिम्मत करके स्पैगिटी टॉप पहन लिया करती थी, लेकिन उससे ज्यादा कुछ भी कूल पहनने की हिम्मत मैं नहीं कर पाई। मैं कभी लड़कों के साथ नहीं पढ़ी थी इसलिए भी मैं उस पूरे माहौल में बहुत ईजी फील नहीं कर पा रही थी। लेकिन इन सबके बीच ‘वो’ कुछ खास था। पूरे ग्रुप में वो सबसे स्वीट लड़का था…वो जब भी नोटिस करता था कि मैं कुछ अनकंफर्टेबल हो रही हूं, वो मुझे कम्फर्ट फील कराने की पूरी कोशिश करता था। मुझे वो बहुत अच्छा लगने लगा था। एक दिन उसने मुझे कॉफी पीने के लिए साथ चलने को कहा। मैंने हां कर दी। और इस तरह हमारी दोस्ती की शुरूआत हुई। कालेज के पहले साल हम दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ ही रहते थे। वो मेरा पहला बॉयफ्रेंड था। पहला लड़का जिसका मैंने हाथ पकड़ा था, पहला लड़का जिसे मैंने किस किया था। वो कालेज के पास ही रहता था। कभी कभी हम दोनों अकेले समय बिताने के लिए ग्रुप से अलग कहीं घूमने चले जाया करते थे…कभी कभी उसके घर भी। हम दोनों हर ऐसी मुलाकात के बाद करीब आते गए…हमारा प्यार धीरे धीरे हमें फिजिकली भी करीब ले आया। एक दिन एक मेकआउट सेशन के बाद मैं बहुत घबरा गई और बहाने बनाकर वहां से भाग आई। मैं उससे प्यार करती थी, लेकिन मैं इससे ज्यादा के लिए तैयार नहीं थी। उस वक्त उसने ऐसे ज़ाहिर किया कि उसको इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है और वो समझ रहा है कि मैं पूरी तरह फिजिकल होने के लिए तैयार नहीं हूं। गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने छोटे से शहर में छुट्टियां बिताने आ गई। यहां मेरे लिए करने को कुछ नहीं था इसलिए हम घंटों फोन पर बात करते थे, मैसेज करते थे, फेसबुक पर चैट करते थे। एक बार देर रात उसने मुझे मैसेज किया, “तुम क्या कर रही हो?” “कुछ खास नहीं,” मैंने जवाब दिया। “मुझे अपनी एक फोटो भेजो, मैं तुम्हें बहुत याद कर रहा हूं।” मुझे अच्छा लगा और मैंने उसे अपनी एक सेल्फी भेज दी।
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Archana Chaturvedi