वो सब कुछ मेरे कालेज के पहले दिन शुरू हुआ। मेरा कालेज मुंबई में सबसे पुराने कालेजों में से एक था और वहां का खूबसूरत architecture हर जगह मशहूर था। कालेज के क्लासरूम बहुत बड़े थे और कॉरीडोर बहुत लंबे और उलझा देने वाले। मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं किसी पहेली में उलझ सी गई हूं। कालेज के पहले दिन मुझे अपनी क्लास ढूंढने में ही 45 मिनट लग गए। क्लास में सबसे देर से पहुंची…चारों ओर नए चेहरों के बीच मुझे बेहत अजीब लग रहा था। क्लास के अंदर जाते ही मैंने जो पहली खाली सीट देखी उस पर बैठ गई! जैसे ही क्लास खत्म हुई सब स्टूडेंट्स उठकर एक दूसरे से बातें करने लगे। मेरे पास भी कुछ स्टूडेंट्स आए और बहुत जल्दी ही हमारे बीच अच्छी खासी गप्पें लगने लगई। मुझे मेरा ग्रुप मिल गया था! हमारे ग्रुप की ही तरह क्लास में एक और ग्रुप था जिसे लोग ज्यादा पसंद नहीं करते थे क्योंकि वो दूसरे स्टूडेंट्स को bully करता था। दूसरे स्टूडेंट्स पर कमेंट पास करना, उन पर फालतू जोक्स मारना, उनके pranks और इन्हीं सब हरकतों की वजह से क्लास में सब उनके परेशान हो चुके थे। मेरे दोस्तों का ग्रुप भी उनसे नफरत करता था। लेकिन उस ग्रुप में एक लड़का था जो हमेशा मुझे देखता रहता था और क्लास में उसकी नजर लगभग हमेशा ही मुझ पर रहती थी…पहले लेक्चर से ही मैं उसे ये सब करते हुए नोटिस कर रही थी। उसने मुझसे कभी बात करने की कोशिश नहीं की। वो सिर्फ मुझे देखता रहता था…और मैं इससे परेशान हो चुकी थी। मैं उससे जाकर कुछ नहीं पूछना चाहती थी क्योंकि मैं किसी लड़ाई में नहीं पड़ना चाहती थी। जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसने मुझसे कुछ कुछ बात करने की कोशिश की…लेकिन मैंने हर बार उसकी इस कोशिश को नाकामयाब कर दिया। मैं उसे लगातार ignore कर रही थी। इस बात से वो इतना नाराज हो गया कि एक दिन उसने बिना बात मेरे ग्रुप के एक लड़के से लड़ाई कर ली। आखिरकार मेरे सब्र का बांध टूट गया!! मैं सीधा उसके पास गई और पूछा कि आखिर उसकी problem क्या है। उसने थोड़ी बहस की लेकिन जल्दी ही उसने माफी मांग ली। उसने कहा कि वो सिर्फ मुझसे दोस्ती करना चाहता था हालांकि उसका तरीका गलत था। मैंने कहा कि मैं उससे दोस्ती नहीं करना चाहती और अगर वो सच में मेरा दोस्त बनना चाहता है तो अपनी behaviour ठीक करना पड़ेगा। उसने मेरी ये शर्त ज्यादा ही seriously ले ली। उसके बाद उसने एकदम से बहुत बदलाव आ गया। उसने क्लास के दूसरे स्टूडेंट्स के साथ उठना बैठना शुरू कर दिया, कालेज एक्टिविटि में पार्ट लेना शुरू कर दिया, पढ़ाई पर ध्यान देने लगा और सबसे जरूरी बात..सबके साथ अच्छे से पेश आने लगा। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो पूरी तरह बदल गया है! इसलिए मैंने सोचा कि उसे एक चांस तो देना ही चाहिए। शायद वो उतना बुरा नहीं था जितना मैंने उसे सोच लिया था। हम जब भी कालेज में मिलते, घंटों बात करते, फिर कैंटीन में जाकर बैठते और वहां भी फिर घंटों बात करते। मैं धीरे धीरे उसकी तरफ खींचने लगी और मुझे पता था कि वो भी मेरे लिए कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा है। मेरे और उसके ग्रुप को बारी दोस्त समझ ही नहीं पा रहे थे कि इतने छोटे से टाइम में हमारे बीच ऐसा क्या हो गया…लेकिन हम दोनों समझ रहे थे।
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Archana Chaturvedi