पिछले दिनों यौन शोषण के विरुद्ध एक अभियान #MeToo चला था, जिसमें दुनिया भर की बहुत सी महिलाओं और लड़कियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण की बात स्वीकार की थी। इससे दुनिया को पता लगा था कि ज्यादातर हर महिला को कभी न कभी यौन शोषण का सामना करना पड़ता है। इसी श्रंखला में अब दुनिया भर की महिलाओं का दूसरा अभियान #MosqueMeToo सामने आया है, जिसमें हज जाने वाली महिलाएं अपने साथ उस दौरान हुए यौन शोषण के बारे में खुलकर बता रही हैं और चर्चा कर रही हैं।
महिलाओं का इस मुद्दे पर बात करना भी अब इस पुरुष प्रधान समाज के गले नहीं उतर रहा है। इस मुद्दे पर जहां महिलाओं की सपोर्ट में अनेक पुरुष भी आए हैं, वहीं पुरुषों की ज्यादा संख्या ऐसी है, जो इन बातों के लिए महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनकी आलोचना करते हुए उन पर ही झूठ बोलने, अपनी पब्लिसिटी करने के अलावा इसके लिए पैसा लेने तक का आरोप लगा रहे हैं।
इस अभियान की शुरूआत सबसे पहले लेखिका और पत्रकार मोना ट्हावी ने ट्विटर पर की थी। उन्होंने ट्विटर पर #MosqueMeToo हैशटैग डालकर 2013 में हजयात्रा के दौरान अपने साथ हुई यौन शोषण की घटना के बारे में बताया। इसके बाद एक अन्य मुस्लिम महिला ने अपनी मां के साथ हुए यौन शोषण का अनुभव मोना को बताया। इसके बाद तो ट्विटर पर दुनिया भर से हजयात्रा के दौरान होने वाले यौन शोषण की घटनाओं के बारे में बताने का सिलसिला ही चल पड़ा। यहां तक कि अगले 24 घंटों में इस हैशटैग पर करीब दो हज़ार ट्वीट की गईं और यह टॉप 10 के ट्रेंड में आ गया।
ट्विटर पर अपना अनुभव शेयर करने वाली महिलाओं का कहना था कि हज में मौजूद भीड़ का फायदा उठाते हुए लोगों ने उन्हें बहुत से गलत तरीकों से टच किया। एक और ट्वीट में #MosqueMeToo के तहत ही कहा गया कि लोग सोचते हैं कि मक्का मुस्लिमों के लिए एक पवित्र जगह है जहां लोग गलत तरीके से नहीं सोचते, लेकिन यह बात बिलकुल गलत है। ट्विटर यूजर ऐशा मुर्ताद का कहना है कि इस अभियान ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं जो कपड़े पहनती हैं, वो उनके शोषण की वजह नहीं है, बल्कि वो मर्द हैं जो इस तरह की कुंठित सोच के साथ पले- बढ़े हैं कि जो महिलाओं के बॉटम को पिंच करे, वही असली मर्द है और लड़कियां तो हग करने के लिए ही बनी हैं। कुछ पुरुष तो यहां तक सोचते हैं कि शोषण को लड़कियां एक कॉम्प्लिमेंट की तरह लेती हैं।
बताया जाता है कि हज पर हर साल करीब 20 लाख मुसलमान जाते हैं, ऐसे में वहां भारी भीड़ हो जाती है। इससे लोगों को महिलाओं के साथ गलत हरकतें करने का पूरा मौका मिल जाता है। ट्विटर पर #MosqueMeToo के बारे में ट्वीट करने वाले लोगों में बहुत से लोगों ने जहां इस अभियान का समर्थन किया, वहीं बहुत से लोगों ने ऐसी बात कहने वाली महिलाओं की आलोचना करते हुए उन्हें काफी भला- बुरा भी कहा। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो यह मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं कि ऐसी पवित्र जगहों पर भी, जहां महिलाएं पूरी तरह ढकी होती हैं, उनके साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है।एक सज्जन ने तो इस पर मुस्लिम महिलाओं को यह सलाह भी दे डाली कि उन्हें अकेले हज नहीं जाना चाहिए।
बाद में अपनी एक ट्वीट में मोना टहावी ने #MosqueMeToo को मिली प्रतिक्रियाओं में से कुछ ऐसी बातें भी शेयर की, जिनमें लोगों ने उनके इस कदम को गलत बताते हुए उन पर अलग- अलग तरह के इल्जाम लगाए हैं, जैसे –
- तुम देखने में बदसूरत हो, तुम्हारा शोषण यानि एसॉल्ट कौन करेगा।
- यह सब कहने के लिए तुम्हें पैसा दिया गया है।
- तुम फेमस होना चाहती हो।
- तुम्हें बस अटेंशन चाहिए।
- तुम इस्लाम को बर्बाद करना चाहती हो।
- तुम मुस्लिम पुरुषों की छवि खराब करना चाहती हो।
- तुम एक वेश्या हो।
- वहां भीड़ होती है, इसलिए तुमने यह सब कल्पना कर ली।
- तुम्हें तभी रिपोर्ट करनी चाहिए थी।
- तुमने इतने साल इंतजार किया, क्यों ?
इसी चर्चा में कई ट्विटर यूजर्स ने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताते हुए कहा है कि यह मानना गलत है कि अगर महिला पूरी तरह से ढकी हुई, यानि बुरके में है तो उसके साथ यौन शोषण नहीं हो सकता। ट्विटर के एक और यूजर हनान ने लिखा है कि उनकी बहनों ने हज के दौरान ऐसा ही व्यवहार झेला है। गलत लोग कहीं भी हो सकते हैं, यहां तक कि सुरक्षित मानी जाने वाली पवित्र स्थानों पर भी।
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