मैं हमेशा से बहुत romantic थी, इसलिए अपनी हर रिलेशनशिप में पूरी तरह डूब जाती थी। शुरूआत में मेरी कोई रिलेशनशिप अच्छी नहीं रही। कई बार मेरा दिल टूटा, मेरा ब्रेकअप हुआ…लेकिन उसके बाद मैं अविनाश से मिली। हम दोनों साथ में ही पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे। हम दोनों ही अपने परिवार से दूर अकेले रहते थे इसलिए हमारा लगभग सारा दिन ही साथ बीतता था। हम हमेशा साथ रहते थे। मुझे ऐसा लगने लगा था कि मेरा सपना सच हो गया है। रिलेशनशिप के कुछ समय बाद हम दोनों ने फैसला किया अब हम दोनों को अपनी फैमिली को इस रिश्ते के बारे में बता देना चाहिए ताकि बात आगे बढ़ाई जा सके। मेरे मम्मी पापा दोनों अलग अलग community से हैं और उन्होंने मुझे बता दिया था कि उन्हें इस बात से कभी कोई problem नहीं होगी कि मैं किसी दूसरे धर्म या जाति के लड़के के साथ शादी करना चाहूं। लेकिन अविनाश एक typical महाराष्ट्रीयन फैमिली से था जहां धर्म और जाति को बहुत ज्यादा importance दी जाती थी। लेकिन उसने मुझे यकीन दिलाया था कि उसके मम्मी पापा भी काफी आज़ाद ख्यालों के हैं और उन्हें मेरे क्रिश्चियन होने से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। सेमेस्टर ब्रेक के दौरान हम दोनों अपने अपने घर गए, हमने सोच लिया था कि अपने future plans के बारे में अपने अपने पेरेंट्स को बता देंगे। मेरे मम्मी पापा ने इस बारे में खुलकर मुझसे बात की। उन्हें मेरी choice पर यकीन था और उन्होंने हां कर दी। अपने पेरेंट्स से ये अच्छी खबर मिलने के बाद मैंने फौरन अपना फोन चेक किया। उसमें अविनाश का WhatsApp message आया हुआ था, “मैं पापा से बात करने जा रहा हूं, तुमने कुछ देर में बात करता हूं <3”. मैं पूरे दिन उसके फोन या मैसेज का इंतजार करती रही। लेकिन उसका न फोन आया न कोई मैसेज। अगले दिन भी मेरा सारा दिन इंतजार करने में चला गया। वो मेरे भेजे हुए मैसेज तक नहीं पढ़ रहा था। आखिरकार तीसरे दिन मैंने उसे कॉल किया। जैसे ही उसने फोन उठाकर हैलो कहा, मैंने बोलना शुरू कर दिया कि कैसे मैं तीन दिन से उसके फोन का इंतजार कर रही हूं, और उसे एक बार भी मुझे मैसेज तक करने का ख्याल नहीं आया। उसने सब कुछ सुनकर बस इतना कहा, “नताशा, हम अब इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा सकते।” मैं चौंक गई। इससे पहले मैंने कभी अपने मम्मी पापा से अपने किसी भी रिलेशनशिप के बारे में बात नहीं की थी। वो दोनों अविनाश को लेकर काफी excited थे। लेकिन अब मैं कुछ भी नहीं सोच पा रही थी। बचपन में मुझे चेहरे पर ज़ोर से एक बार बास्केटबॉल लगी थी..इस वक्त मैं उसी तरह फील कर रही थी..मैं कुछ महसूस ही नहीं कर पा रही थी।
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Archana Chaturvedi