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हर किसी को पता होनी चाहिए नवरात्रि से जुड़ी ये बातें

Archana Chaturvedi  |  Mar 14, 2018
हर किसी को पता होनी चाहिए नवरात्रि से जुड़ी ये बातें

नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। सभी भक्त उन्हें अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत-उपवास, पूजा-पाठ से प्रसन्न करते हैं। हम में से ज्यादातर लोग इन नौ दिनों में उन्हीं विधि-विधान व नियमों का पालन करते हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं। लेकिन उन्हें करने के पीछे क्या कारण हैं, शायद इनसे ज्यादातर लोग अंजान होते हैं। यहां हम आपको नवरात्रि (navratri wishes in hindi) से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जो हर भक्त को पता होनी चाहिए।

साल में 4 बार आती है नवरात्रि

हिन्दू धर्म के अनुसार, नवरात्रि साल में चार बार आती है। लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। माघ तथा आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्र के दौरान तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

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तो इसलिए रखते हैं नवरात्रि में व्रत

दो मौसम के संधिकाल यानि कि जब एक मौसम खत्म होता है और दूसरे मौसम की शरूआत हो रही होती है, उन दिनों में ही नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान बीमारियां होने की अधिक आशंका रहती है और उसी को बैलेंस करने के लिए व्रत रखा जाने लगा।

नारी शक्ति को दर्शाते हैं देवी के 9 रूप

माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं। हर देवी नारी शक्ति के एक रूप को दर्शाती है।

इसलिए लगता है हलवे-चने का भोग

माता रानी को हलवे-चने का भोग लगाया जाता है। इस भोग की शुरूआत उस समय हुई थी, जब चना एक ऐसा अन्न था जो बहुत सस्ता और स्वास्थ्य रोग नाशक हुआ करता था और हलवे को सभी वर्गों के लोगों के लिए एक तरह की सस्ती मिठाई माना जाता था। भोग या भेंट में निर्दोष पशुओं की बलि देने की चली आ रही परंपरा से बचने के लिए हलवे-चने का भोग मां को अर्पित किया जाने लगा।

इस उम्र की कन्याओं का होता है पूजन

नवरात्र में नौ कन्याओं की पूजा की जाती है क्योंकि नौ कन्याओं को नौ देवियों का प्रतिबिंब माना जाता है। माता के रूप में कन्याओं का पूजन करने के बाद ही नवरात्रि की पूजा सफल मानी जाती है। इसमें 1 से 10 साल तक की कन्याओं का पूजन उत्तम माना जाता है। इससे अधिक उम्र की कन्याओं को देवी पूजन में वर्जित माना गया है।

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ऐसी चीजें दिखें तो शुभ होता है

कहते हैं कि नवरात्रि के इन नौ दिनों में अगर कोई कन्या आपको सिक्का देती है तो समझिए आपके अच्छे दिन शुरू हो गए हैं। वहीं यदि आपको सपने में सांप के दर्शन हों तो मान लें कि लक्ष्मी जी की कृपा होने वाली है।

नहीं खाते इन दिनों प्याज-लहसुन

नवरात्रि के दिनों में ज्यादातर लोग प्याज-लहसुन खाना बंद कर देते हैं क्योंकि हिंदू वेदों में बताया गया है कि प्याज और लहसुन ऐसे सब्जियां हैं, जिन्हें खाने से व्यक्ति में जुनून, उत्तेजना व क्रोध बढ़ता है, जिससे वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है। इसलिए इन्हें साधना व व्रत-उपासना के समय नहीं खाते।

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इसलिए बोया जाता है जौ (जवारे)

नवरात्रि में कलश स्थापना का बहुत महत्व होता है। इस दौरान जौ बोने की भी प्रथा होती है जिसका मुख्य कारण है अन्न का सम्मान करना। माना जाता है कि इन नौ दिनों में अगर जौ हरे-भरे व सफेद और सीधे उगे हों तो यह घर-परिवार के लिए शुभ होता है। वहीं अगर जौ काले व भूरे रंग के टेढ़े-मेढ़े उगते हैं तो यह अशुभ माना जाता है।

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