मैं उससे सबसे traditional तरीके से मिली, आप उसे बोरिंग भी कह सकती हैं। हमारे पैरेंट्स एक-दूसरे को कुछ कॉमन फ्रेंड्स के ज़रिए मिले और हमारे रिश्ते के लिए एक मीटिंग सेट की गई। मैं इस रिश्ते को लेकर excited नहीं थी पर जितना पापा ने उस लड़के के बारे में बताया था, उसके बाद मैं उसे बिना मिले रिजेक्ट नहीं कर सकती थी। हमारी पहली मीटिंग बहुत फॉर्मल नहीं थी। उसके घरवाले बहुत कूल थे, वो highly educated और बहुत ही अच्छे लोग थे। लड़का भी interesting था। मीटिंग खत्म होते-होते हमने अपने नम्बर एक्सचेंज किया और उसी रात से बातें शुरू हुईं। हम लगातार WhatsApp पर थे और खुलकर बातें करते थे। Indian Economy से लेकर Comedy Nights With Kapil सब पर बातें करते थे। एक हफ्ते के अंदर ही उसने मुझे date पर चलने को कहा। पहले play और फिर डिनर। कार में बैठते ही मैंने फील किया कि मुझे वो अच्छा लगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं सिर से लेकर पांव तक किसी ऐसे के प्यार में डूब सकती हूं जिसे मैं जानती भी नहीं…लेकिन मुझे नहीं पता था कि अब मेरे साथ ऐसा ही होने वाला है। उस दिन हम ने घंटों बातें की, हम सात घंटे साथ थे..वो अमेज़िंग था। हालांकि प्रोफेशन से वो consultant था इसलिए मुझे लगा बोरिंग ही होगा पर उस दिन उसने बताया कि उसने bartending का भी कोर्स किया है। वो कम्पलीट gentleman material था.. मेरे लिए कार का दरवाज़ा खोलना, कार का temperature पूछना, restaurant में चेयर बढाना.. Wow! एक ही दिन में ऐसा लग रहा था कि…मैं उसके प्यार में पागल हो चुकी हूं। उसके बाद हम हर हफ्ते मिलने लगे और मैसेजेज़ से ढेर सारी बातें भी होने लगीं। हम काफी करीब आ रहे थे फिर भी किसी फॉर्मल रिश्ते में नहीं थे। हम अपना future plan करते थे और सब कुछ डिसकस करते थे फिर भी फॉर्मल रिश्ते के लिए थोड़ा टाइम चाहते थे। सब कुछ बहुत perfect था, वो perfect था और इसलिए ‘हम’ भी। लड़ाई तो कभी हुई ही नहीं पर अगर मैं अपसेट होती थी तो उसके अंदर का consultant जाग जाता था। वो बहुत maturely problems solve करने की कोशिश करता था। वो इतना अच्छा था कि अगर मैं अपने Dream Boy की qualities लिखती तो मैं उसकी biography ही लिख देती। और फिर सब कुछ अचानक से बदल गया। कोई बड़ी वजह नहीं थी, सब कुछ वैसा ही था। वो ट्रिप पर गया और उस वक्त हमारे बीच कोई बात नहीं हुई। उसने बात नहीं की और मैंने भी। इतने महीनों में ऐसा पहली बार हुआ था। जब वो आया तो हमारे बीच चीज़ें वैसी ही नहीं रहीं। हम फिर से फोन पर connect हुए और फिर डिसाइड किया कि इस रिश्ते को आगे नहीं ले जाया सकता। ये एक mature decision था पर मैं बहुत बुरी तरह टूट गयी। मैंने उसे कॉल या मैसेज नहीं किया, न ही फेसबुक पर contact करने की कोशिश की। मैं ऐसी थी ही नहीं कि ज़बरदस्ती किसी के गले पड़ूं। पर मैं उसकी यादों से उबर नहीं पा रही थी। पुरानी यादों के ज़ख़्म भर नहीं रहे थे। मुझे लगता था कि काश! मैं वो सबकुछ बदल पाती। एक हफ्ते बाद मैंने डिसाइड किया कि जो होना था हो गया, अब इससे बाहर निकलने की ज़रूरत है। वो मेरे लिए परफेक्ट था, मेरे दिमाग में परफेक्शन की परिभाषा का सही जवाब था वो। पर शायद वो सब practical नहीं था। मैं अब भी उससे बाहर नहीं निकल पायी थी, पर मैं निकल जाऊंगी। उसके लिए जीना और प्यार करना तो नहीं छोड़ सकती न। कल अगर मेरे पैरेंट्स मुझे किसी दूसरे लड़के से मिलवायेंगे तो मैं उस पर इसका असर नहीं पड़ने दूंगी। मुझे आगे तो बढना ही होगा, यही सीखा है मैंने। मैं hopeful हूं कि मेरे साथ आने वाले समय में ज़रूर अच्छा होगा। और हो सकता है कि आप फिर एक ‘My Story’ पढें कि मुझे मेरा Mr. Right कैसे मिला। 🙂 Images: shutterstock.com यह भी पढ़ें: #MyStory: Boyfriends तो रहे हैं लेकिन मैं… यह भी पढ़ें: #MyStory: Birthday पर उसका मैसेज पढ़ते ही मेरे होश उड़ गए