ईटिंग डिसऑर्डर एक कॉम्प्लेक्स मेडिकल कंडीशन होती है, जिसकी वजह से सीरियल हेल्थ कॉन्सिक्यूएंस हो सकते हैं। यह खतरनाक मेंटल बीमारी में से एक है। यह किसी भी जेंडर के इंसान को किसी भी उम्र में हो सकता है और PubMed Central के मुताबिक मुख्य रूप से यह adolescents में देखा जाता है।
ईटिंग डिसऑर्डर होने के कारण
ईटिंग डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ यहां बताए गए हैं-
- जेनेटिक्स: यह एक ईटिंग डिसऑर्डर है, जो मुख्य रूप से उन बच्चों में देखा जाता है, जिनके माता-पिता को भी ऐसा डिसऑर्डर रह चुका हो।
- पर्सनेलिटी ट्रेट: PubMed Central की एक स्टडी के मुताबिक ऐसे फैक्टर जो बहुत ज्यादा पतले होने को पसंद करते हैं, नैगेटिव इमोशन, परफेक्शनिज्म, नेगेटिव अर्जेंसी, सेरोटोनिन, डोपामिन और ovarian Hormones के कारण इस तरह की स्थिति होती है।
- वहीं ब्रेन स्ट्रक्चर और बायलॉजी में होने वाले अंतर के कारण भी ईटिंग डिसऑर्डर हो सकता है।
Teenagers में होने वाले सामान्य ईटिंग डिसऑर्डर्स
ईटिंग डिसऑर्डर में एक्स्ट्रीम फूड और वेट ईशू होते हैं। कुछ कॉमन ईटिंग डिसऑर्डर में से एक है Anorexia nervosa (यह एक ऐसी स्थिती है, जिसमें लोग अपने वजन और खाने को लेकर काफी ऑबसेस होते हैं), Bulimia nervosa (यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोग कम वक्त में अधिक मात्रा में खाना खाते हैं और फिर इसे उल्टी करके या फिर laxatives की मदद से बाहर निकालते हैं।) और इसके अलावा एक बिंज ईटिंग डिसऑर्डर होता है।
कारण
Teenagers अक्सर इंटेंस प्रेशर का सामना करते हैं फिर चाहे वो ब्यूटी से जुड़ा हो या बॉडी स्ट्रक्चर से या फिर वजन से, किसी भी कारण की वजह से बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर हो सकता है। स्टडीज की माने तो 35 से 81 प्रतिशत adolescents female और 16 से 55 प्रतिशत मेल adolescents हैं जिन्हें इमेज डिससैटिस्फेक्शन की वजह से ये समस्या होती है।
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Archana Chaturvedi