अगर आप एक नई मां हैं या मां बनने वाली हैं तो ब्रेस्टफीडिंग के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि यह आपके बच्चे के जीवन की स्वस्थ शुरूआत की दिशा में एक जरूरी कदम है। ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान ही आपके बच्चे के स्वस्थ जीवन की नींव रखता है। ईश्वर ने स्तनपान को प्राकृतिक तौर पर मातृत्व का सुखद अनुभव देने के लिए बनाया है। अपने हर पक्ष में स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इसके बावजूद, इसको लेकर खासी गलत जानकारियां फैल रही हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको स्तनपान यानि ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें बता रहे हैं, जिन्हें आमतौर पर कम ही लोग जानते हैं।
मां के दूध का कोई विकल्प नहीं
क्या आप जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन सलाह देता है कि नवजात को कम से कम 6 महीने तक मां के स्तन से दूध पिलाया जाना चाहिए? हां, सिर्फ मां का दूध। कुछ और नहीं। इसे विशेष रूप से ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान कहा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि बच्चे की अच्छी हेल्थ के लिए सप्लीमेंट्री फूड के साथ स्तनपान को कम से कम 2 साल की उम्र तक जारी रखना चाहिए। यही वजह है कि सभी वैश्विक संस्थाएं इसको लेकर इतनी गंभीर हैं। आपके ब्रेस्ट के दूध में बच्चे की जरूरत का हर बुनियादी पोषण होता है और यह एंटीबॉडीज से युक्त होता है, जो जीवनभर बच्चे को स्वास्थ्य लाभ देता है।
हां, हम सभी बच्चों के सभी फॉर्मूला ब्रांड्स के बारे में जानते हैं, लेकिन मां के शरीर से पैदा होने वाले प्राकृतिक दूध की बराबरी लैब में बनने वाला बच्चों का कोई भी फूड फॉर्मूला नहीं कर सकता। और बच्चों के फॉर्मूलों की तुलना में यह ज्यादा आसानी से पच भी जाता है।
बच्चे और मां दोनों के लिए ब्रेस्टफीडिंग के बेजोड़ फायदे
ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है।
ब्रेस्टफीडिंग से बच्चों में अस्थमा और एलर्जी होने के जोखिम भी कम होते हैं।
इसके साथ ही बिना किसी फॉर्मूले के शुरूआती 6 महीनों तक ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान करने वाले बच्चों को कान के संक्रमण, सांस या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियां और डायरिया कम होते हैं।
कोई दूसरी चीज वैसी प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं कर सकती है, जो ब्रेस्ट मिल्क से संभव है।
ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान कराने से महिलाओं में स्तन और अंडाशय के कैंसर का खतरा कम होता है।
ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान से विशेष रूप से महिलाओं को मनोवैज्ञानिक फायदे होते हैं, क्योंकि इसके माध्यम से वे ज्यादा आत्मविश्वासी बनती हैं और बच्चे से भावनात्मक तौर पर जुड़ती हैं।
टॉप ब्रेस्टफीडिंग टिप्स
- डिलिवरी के एक घंटे के भीतर बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग जरूर कराएं। इसी समय आपके स्तन में कोलोस्ट्रम या पहला दूध पैदा होता है। यह वास्तव में ‘लिक्विड गोल्ड’ होता है, इसे कम मात्रा में ज्यादा पोषण से युक्त पैक समझिये। एक नवजात के लिए यह पर्याप्त फूड होता है, क्योंकि उसका पेट भी तो छोटा सा ही होता है।
- बच्चे को मिल्क की सप्लाई बढ़ाने के लिए बच्चे को कई बार फीड करवाना चाहिए। इसके पीछे का नियम सामान्य ही है, यानि आप बच्चे को जितना कम दूध पिलाती हैं, उतना ही कम दूध आपके शरीर में पैदा होता है। यह 3. जरूर सुनिश्चित करें कि आप अच्छी डाइट लें और पर्याप्त आराम करें। आपको दोनों की जरूरत होगी, क्योंकि आपका शरीर आपकी कैलरीज को दूध में तब्दील करता है।
- सुनिश्चित करें कि दूध पीते वक्त आपके बच्चे का मुंह बंद रहे। उसके मुंह में आपके स्तन का गहरे रंग का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा रहना चाहिए। बच्चा दुग्ध नलियों से दूध खींचता है और उसी हिस्से से दूध निकलता है। यदि आपका बच्चा सिर्फ चूस रहा है तो आपको दिक्कत होगी और आपको दर्द होगा। साथ ही बच्चा पर्याप्त दूध चूसने में नाकाम भी रहेगा।
- दूसरे स्तन से दूध पिलाने की जल्दबाजी नहीं करें। पहले स्तन से पूरा दूध पीने का काम अपने बच्चे पर छोड़ दें और फिर दूसरे स्तन से पिलाएं। कई बच्चे दोनों स्तनों से थोड़ा-थोड़ा दूध पीते हैं। बच्चे के साथ जिद न करें और डरें भी नहीं।
ब्रेस्टफीडिंग पंप
आजकल ब्रेस्टफीडिंग के लिए ब्रीस्टफीडिंग पंप का इस्तेमाल काफी जरूरी हो गया है। यदि आप किसी वजह से बच्चे को सीधे स्तनपान कराने में सक्षम नहीं हैं तो इस पंप का इस्तेमाल करके बच्चे को अपनी अनुपस्थिति में भी ब्रेस्ट मिल्क पिलाया जा सकता है। इसकी वजह ब्रेस्ट से मिल्क आने में समस्या, बच्चे का कोशिश करने में असमर्थ होना, स्तन में सूजन या उनका बढ़ा हुआ होना या निप्पल में कमजोरी या दर्द भी हो सकती है। स्तनपान के समय किसी वजह से आपका बच्चे से दूरी होने पर भी इसकी जरूरत हो सकती है। ऐसे मामलों में ब्रेस्ट पंप काफी कारगर होता है, जहां आप बिना दर्द और आराम से दूध निकाल सकती हैं और स्टोर करके बाद में पिलाने का काम किया जा सकता है। ध्यान रखें कि अपने लिए ऐसा पंप चुनें, जो बच्चे को आराम से दूध पिलाने के लिए डिजाइन किया गया है।
बच्चे का अधिकार
स्तनपान या ब्रेस्टफीडिंग आपके बच्चे का अधिकार है और इसे लंबे समय तक बनाए रखना पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। अक्सर महिलाएं पर्याप्त जानकारियों के अभाव या सहयोगी व्यवस्था के अभाव में स्तनपान कराना छोड़ देती हैं जिससे बच्चे की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। आजकल ब्रेस्टफीडिंग के लिए बहुत तरह की मदद उपलब्ध है। डॉक्टर से इस बारे में पता करें और बच्चे को उसका ब्रेस्टफीडिंग का अधिकार जरूर दें।
(फिलिप्स इंडिया की लेक्टेशन कंसल्टेंट डॉ. मीमांसा मल्होत्रा से बातचीत के आधार पर)
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