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Bakra Eid Kab Hai – जानिए बकरी ईद कब है, क्यों मनाई जाती है और नमाज का तरीका

Pooja Mishra  |  Jul 1, 2021
Bakra Eid Kab Hai – जानिए बकरी ईद कब है, क्यों मनाई जाती है और नमाज का तरीका

ईद का त्योहर इस्लाम धर्म में बहुत महत्व रखता है। मुस्लिम समाज के लोग यह त्योहर बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। मगर ईद साल में दो बार पड़ती है एक मीठी ईद और दूसरी बकरा ईद। आज हम आपको बकरा ईद यानी ईद उल-अज़हा के बारे में बताएँगे। ईद उल-अज़हा क्यों और कैसे मनाई जाती है। भारत समेत कई देशों में ईद-उल-जुहा को ईद उल-अज़हा और बकरीद (Eid-Ul-Adha, Eid-Al-Adha, Bakrid) के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन खीर बनाई जाती है और एक दूसरे को बलिदान का महत्व समझाया जाता है। इस मौके पर आप अपने जानने वालों को बकरा ईद शुभकामनाएं और कोट्स भी शेयर कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं बकरा ईद क्यों मनाई जाती है और इसका इतिहास।

Bakra Eid Kab Hai 2022 – बकरी ईद कब है

ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाने वाला दिन इस साल 22  में 9 जुलाई, 10  जुलाई या 11 जुलाई 2022 को पड़ेगी। आप भी इस मुबारक मौके को अपने परिवार और चाहने वालों के साथ ख़ुशी ख़ुशी सेलिब्रेट करें और उन्हें भी Bakra Eid Kab Hai 2022 बताएं। 


                                                      Bakra Eid Kab Hai

Importance of Bakrid Festival in Hindi – बकरीद का महत्व

सभी मुस्लिम धर्म के लोग जो इस्लाम मानते हैं उनके लिए बकरा ईद का बहुत महत्व है। यह इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरी दुनिया भर के लोग मनाते हैं। यह पर्व विशेष तौर पर अभिवादन करने, लोगों से मिलने – जुलने और प्रार्थना करने का त्योहार है। हजरत इब्राहिम की याद में मनाया जाने वाला यह दिन मुख्यत कुर्बानी के लिए जाने जाता है। ईद उल-अज़हा को अरबी भाषा में कुर्बानी कहा जाता है। इस दिन बकरी की बलि दी जाती है।


                               Importance of Bakrid Festival in Hindi

Bakra Eid Kyu Manate Hai – बकरा ईद क्यों मनाई जाती है

अगर इस्लामिक किवदंतियों की बात करें तो बकरा ईद मानाने का कारण हैं कि एक बार की बात है हज़रत इब्राहिम अलैय सलाम को सपना आया जिसमें अल्लाह की तरफ से उन्हें हुक्म मिला कि वे अपने प्रिय पुत्र हज़रत इस्माइल को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दें। एक पल भी कुर्बानी की बात सुन कर वह हैरान नहीं हुए। अल्लाह का हुक्म इब्राहिम ने टाला नहीं और पुत्र की कुर्बानी देने चल दिए। मगर उनकी सेवा भाव और सच्चे मन को देखते हुए अल्लाह इब्राहिम को समझ गए और जैसे ही इब्राहिम ने अपने बेटे को मारने के लिए छुरी उठायी तभी अल्लाह के फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने इब्राहिम के बेटे इस्माइल को उस छुरी के नीचे से तुरंत हटा लिया और जान बक्श दी। बकरीद यानी (ईद उल-अज़हा EId Ul Adha – Bakrid Festival in Hindi ) पूरे विश्व में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन कुर्बानी देने का विशेष महत्व है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार बकरे या किसी करीबी जानवर की कुर्बानी बलिदान का प्रतीक माना माना जाता है। इसके अलावा किसी की सेवा करना भी इस्लामिक मान्यतों के अनुसार कुर्बानी देने सामान है। किसी भी अच्छे कार्य के लिए बलिदान देने से है

Bakra eid namaz ka tarika – बकरा ईद की नमाज पढ़ने का तरीका


                                           Bakra Eid Namaz ka Tarika

ईद आते ही सबसे पहले हर किसी के मन में यह सवाल आता है ईद किस दिन पड़ेगी तो आपको बता दें की साल 2022 मे बकरा ईद (Eid al Adha 2022) 9 और 10 जुलाई को पड़ेगी। बकरा ईद में भी मीठी ईद की तरह सुबह सवेरे नमाज अदा की जाती है, और एक दूसरे से गले मिल कर बकरा ईद की बधाई देते हैं। तो चलिए आपको बकरा ईद की नमाज के बारे में बताते हैं। नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ वाजिब ईदुल अज़्हा की मय ज़ाइद 6 तकबीरों के, वास्ते अल्लाह तआला के, पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, इतना कहकर दोनों हाथ कानों तक उठाए और फिर अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध ले !फिर सना पढ़ेंगे सना के अलफ़ाज़ इस तरह से होंगे 

सना- *सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

बकरीद यानी (ईद उल-अज़हा EId Ul Adha – Bakrid) की नमाज भी जैसी और नमाज़ होती है वैसे ही नमाज़ पढ़ना है। बस इस बात का ध्यान रखें कि रकअत में नियत  के बाद पहली तकबीर हाथ बांधकर सना पढ़ें इसके बाद  तीन बार ( तीन तकबीर होगी ) दो बार अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और छोड़ देना है और तीसरी बार में अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और हाथ बांधना है। वही दूसरी रकअत में सूरह फातिहा और दूसरी सूरह के बाद तीन बार अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और छोड़ देना है, और चौथी बार में रुकू में जाना है ! और बाकी नमाज़ और नमाज़ो की तरह ही इमाम साहब के पीछे पूरी करेंगे ! जब ईद की नमाज़ मुकम्मल हो जाए तो फिर इमाम साहब ख़ुत्बा पढ़ेंगे ! जिसे गौर से सुन्ना चाहिए ! जुम्मा का खुत्बा वाजिब है जिसे सुन्ना जरुरी है ! बहरहाल किसी मज़बूरी के कारन ईद का खुत्बा नहीं भी सूना तो कोई बात नहीं , लेकिन सुन्ना अफजल माना जाता है। 

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