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अयोध्या केस : न कोई हारा-न कोई जीता, सबके हक में आया फैसला, जानिए इससे जुड़ी 10 अहम बातें

Archana Chaturvedi  |  Nov 9, 2019
अयोध्या केस : न कोई हारा-न कोई जीता, सबके हक में आया फैसला, जानिए इससे जुड़ी 10 अहम बातें
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। इस फैसले में किसी समुदाय की न तो जीत हुई है और न ही किसी की हार। यह फैसला न्याय के हक में आया है। पूरे देश में इस फैसले से खुशी की लहर है। 
सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने अयोध्‍या मामले पर अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण के लिए आज्ञा दे दी है। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ की ज़मीन देने का फैसला भी सुनाया है। आइए जानते हैं अयोध्या विवाद से जुड़ी 10 सबसे बड़ी और अहम बातें –

  1. अयोध्या की विवादित ज़मीन, जिसको लेकर सालों से बहस होती आ रही है, उस जगह पर राम मंदिर ही बनेगा।
  2. रामलला मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्‍ट बन जाएगा। साथ ही यह विवादित ज़मीन केंद्र सरकार के  रिसीवर के पास ही रहेगी। 
  3. विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था। बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनाई गई थी। मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) कर चुका है। 
  4. हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गई संरचना में ही हुआ था, जिसके सबूत कोर्ट में भी पेश किये गये।
  5. सबूत मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले भी पूजा करते थे। रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित ज़मीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था।
  6. हिंदुओं का बाहरी चबूतरे पर अधिकार था, जिसमें मुस्लिम पक्ष अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया।
  7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम चबूतरे पर 1855 से पहले हिंदुओं का अधिकार था। अहाते और चबूतरे पर हिंदुओं के अधिकार का सबूत मिला है।
  8. अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का केस खारिज कर दिया।
  9. बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनी थी। कोर्ट ने कहा कि बाबर संप्रभु शासक था और उसके कार्यों को 500 वर्षों के बाद कोर्ट नहीं परख सकती। मामले को देश के कानून व साक्ष्यों पर तय होना चाहिए।
  10. सुप्रीम कोर्ट ने साल 1946 के फैज़ाबाद कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शिया वक्फ बोर्ड की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है।
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