आज के तनावपूर्ण जीवन में लोग शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। हमाराी खराब जीवनशैली, प्रदूषण, काम का तनाव आदि कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं। जीवन को सुखमय बनाने के लिए आयुर्वेद प्राथमिक स्तर पर व्यायाम और स्वस्थ आहार का उल्लेख करता है। लेकिन इस बुनियादी स्तर के अलावा आयुर्वेद में ऐसे कई नियम हैं जो दैनिक जीवन को खुशहाल बनाएंगे। जीवन जीने का हर किसी का अपना तरीका होता है, लेकिन आयुर्वेद में बताए गए ये कुछ नियम जीवन को सरल, सुंदर और स्वस्थ बनाने में जरूर मदद करेंगे। तो आइए जान लेते हैं आयुर्वेद के उन 5 नियमों के बारे में जिनका पालन करने से व्यक्ति जल्दी बीमार नहीं पड़ता –
बेहतर स्वास्थ्य के लिए फॉलो करें ये 5 आयुर्वेदिक नियम Ayurvedic Principles You Should Follow for good health
#पहला नियम – जोर-जोर से हंसना
भले आप को ये अजीब लगे लेकिन जोर से हंसने के कई फायदे हैं। जब आप मुस्कुराते हैं, तो न केवल आपका तनाव दूर होता है, बल्कि जोर से हंसने से आपके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। साथ ही हंसने से हमें एनर्जी भी मिलती है, जो हमारे शरीर से थकावट और सुस्ती को दूर करती है। आपका हृदय, फेफड़े और मांसपेशियां उत्तेजित होती हैं और आपके मस्तिष्क से एंडोर्फिन हार्मोन निकलते हैं। जोर से हंसने से रक्त परिसंचरण और मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे तनाव के कुछ शारीरिक लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। हम में ये नहीं कह रहें कि आप समय जोर-जोर से हंसे, लेकिन पूरे दिन में कम के कम थोड़ा सा समय इस लाफिंग एक्सरसाइज के लिए जरूर से निकालें।
#दूसरा नियम – शांति से भोजन करना
अक्सर लोग खाना खाते समय बात करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, चुपचाप खाने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। शांति से आप भोजन का आनंद ले सकते हैं और इससे खाने की निरंतर इच्छा भी नहीं पैदा होती है। इस तरह से आप जो भी भोजन करते है वो शरीर को लगता है और आपका तन-मन दोनों संतुष्ट हो जाता है।
#तीसरा नियम – शरीर की तेल मालिश
तेल मालिश त्वचा के रूखेपन को कम करने और शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है। यह शरीर को पोषण देता है और रक्त प्रवाह में सुधार करता है। त्वचा को चमकदार और जवां बनाए रखने में मदद करता है। दरअसल, तेल मालिश करना एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है मालिश से हमारे पूरे शरीर में खून का दौरा बढ़ता है और पाचन शक्ति तेज होती है। तेल मालिश से बहुत से पुराने रोग जैसे कि अपच, वायु पित्त विकार, बवासीर, अनिद्रा जैसे आदि रोगों में भी आराम मिलता है।
#चौथा नियम – रोज पिएं गुनगुना पानी और अदरक की चाय
आज की तनावपूर्ण जिंदगी हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है। आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप प्रदूषण, केमिकल युक्त भोजन और खराब लाइफस्टाइल से छुटकारा नहीं पा सकते हैं। यह सब एक संक्रामक रोग, एक वायरल संक्रमण की तरह आपके इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर बनाता जा रहा है। आयुर्वेद के अनुसार गुनगुने पानी में सूक्ष्म गुण होते हैं जो शरीर और शरीर की सूक्ष्म जल वाहिकाओं में गहराई से प्रवेश कर अशुद्धियों को बाहर निकालता है। वैसे तो आमतौर पर लोग सुबह उठते ही ठंडा पानी पीते हैं, लेकिन रोज सुबह गुनगुना पानी पीने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और अदरक की चाय पेट को भरा रखती है। पेट में गैस की परेशानी को कम करने में मदद करता है।
#पांचवा नियम – दांत और जीभ की नियमित रूप से सफाई
‘जीभ साफ करना’ आयुर्वेदिक दैनिक नियमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसकी लंबे समय से सिफारिश की जाती रही है। अमा (जीभ पर पंद्रह परतें) को हटाने के अलावा, जीभी करने से सुबह की दुर्गंध भी मुंह से निकल जाएगी। जीभी और दांत को साफ करने से ना सिर्फ मुंह की बदबू और गंदे बैक्टीरिया से निजात मिलती है, बल्कि मुंह की सेहत भी ठीक रहती है। सारा दिन खाने-पीने से जीभ पर पतली सी पीले रंग की परत बन जाती है, जिसमें कई तरह के बैक्टीरियां रहते हैं। अगर मुंह की सेहत का ख्याल रखना है तो जीभ और दांत को रेगुलर साफ करना जरूरी है। जैसा कि वेदों में कहा गया है, दांतों और जीभ को रोजाना ब्रश करने से वायरस दूर हो जाते हैं। टंग क्लीनर से जीभ को साफ करने से जीभ पर जमी गंदगी की मोटी परत हट जाएगी और उस परत से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा। इसीलिए रोजाना नियमित रूप से दांत और जीभ की सफाई जरूर करें।
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Archana Chaturvedi