योग में कपालभाति षट्कर्म यानि हठ योग की एक क्रिया है। संस्कृत में कपाल का मतलब माथा होता है और भाती का मतलब कान्तिमान या चमकदार होता है। यह एक ऐसी विधि है जिसे अंग्रेजी में 'द ब्रीथ ऑफ फायर' भी कहा जाता है। इसमें गहरी सांस लेनी होती है और ताकत के साथ एक लयबद्ध तरीके से बाहर छोड़नी होती है। आमतौर पर इस तरह के अभ्यास के बाद शरीर में गर्मी का अहसास होने लगता है। योग में कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Kya Hai) को किसी अमृत से कम नहीं समझा जाता है। इसे कोई भी कर सकता है, किसी भी उम्र का व्यक्ति भी। बस कुछ नियम और सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है। ताकि आपको इससे ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें।
कपालभाति निरोगी जीवन के लिए एक रामबाण उपाय है। अगर आप कपालभाति का पूरा लाभ (kapalbhati benefits in hindi) लेना चाहते हैं तो इसके बारे में हर वो बात आपको पता होनी चाहिए, जो आपके काम आ सकती है। जैसे कि कपालभाति मुख्यत: तीन प्राकर के होते हैं। वातकृपा कपालभाति, व्युत्क्रम कपालभाति और शीतकर्मा कपालभाती। तो आइए जानते हैं इनके बारे में -
वातकृपा कपालभाति भस्त्रिका की प्राणायाम क्रिया के समान एक अभ्यास है। इसमें ध्यान की मुद्रा में बैठकर अपनी एक उंगली से एक नासिका छिद्र को बंद करके दूसरी नासिका छिद्र से सांस खींचना होता है और तुरंत ही दूसरी तरफ की नासिका छिद्र को बंद करके सांस छोड़ना होता है। सिवाय इसके कि साँस छोड़ना सक्रिय है जबकि साँस लेना निष्क्रिय है, सामान्य श्वास के विपरीत है।
व्युत्क्रम कपालभाति, जल नेती के समान एक अभ्यास है। इसमें नासिका के माध्यम से गुनगुना पानी खींचकर मुंह बाहर निकालना होता है।
शीतकर्मा कपालभाती में व्युत्क्रम कपालभाति का विपरित करना होता है। इसमें पानी को मुंह में लेकर नाक से बाहर निकाला जाता है।
नियमित रूप करने से कपालभाती प्राणायाम के फायदे एक नहीं बल्कि अनेक हैं। कपालभाति प्राणायाम लगभग हर तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलवा सकता है। ऐसा नहीं है कि अगर आप वजन कम करने के लिए ये योग कर रही हैं तो आपको बाकी फायदे नहीं होंगे, बल्कि शरीर के बाकी अंगों को भी फायदा पहुंचता है। कपालभाति के बाद मन शांत, सांस धीमी व शरीर स्थिर हो जाता है। आइए जानते हैं कपालभाती प्राणायाम के फायदे (kapalbhati pranayam ke fayde) कौन-कौन से हैं -
कपालभाति हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से रक्षा करता है। कपालभाती प्राणायाम करने से बॉडी डिटॉक्स होती है और इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इसलिए योग को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा जरूर बनायें।
बाल ज्यादा टूट रहे हैं और उसकी वजह से गंजापन भी शुरू हो गया है तो अपनी डेली रूटीन में योग को शामिल करें। क्योकि कपालभाति करने से पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक ढंग से काम करेगा। जो आपके बालों की ग्रोथ में मदद करता है।
अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती है तो अपने डेलीरूटीन में 5 से 10 मिनट कपालभाति प्राणायाम करें। इसे करने से शरीर एक्टिव रहता और पाचन क्रिया सुचारू रूप काम करती है। इससे कब्ज में राहत मिलती है।
जरूरत से ज्यादा वजन हर बीमारी की जड़ है और समय रहते ही इसपर काबू पाना बेहद जरूरी है। अपने वजन को संतुलित करने के लिए रोजाना कपालभाति प्राणायाम करें इसके अभ्यास से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
नियमित रूप से कपालभाति करने से आप में ऊर्जा पैदा होती और आप दिनभर एक्टिव रहते हैं। इससे आपके शरीर का स्टैमिना भी बढ़ता है और आप जो भी काम करते है उसमें बिना थकान के लम्बे समय तक टिके रहते हैं।
अस्थमा या दमा जैसी श्वांस संबंधी समस्या में कपालभाति करने से काफी फायदा होता है। इससे साइनस, ब्रोंकाइटिस संक्रमण और रायनाइटिस जैसी बीमारियों में आराम मिलता है।
हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटिज में कपालभाति से लाभ (kapalbhati pranayam ke labh) मिलता है। कपालभाति से हाई ब्लड प्रेशर और शुगर दोनों को ही कंट्रोल करने में काफी हद तक मददगार साबित होता है।
बढ़ती उम्र का असर मस्तिष्क पर सबसे पहले होता है और नतीजा याददाश्त कमजोर होना, भूलने की बीमारी या फिरस नर्वस सिस्टम से जुड़ा कोई विकार हो सकता है। ऐसे में अगर आप पहले सी ही कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपको ये सारी समस्याएं नहीं होती है। क्योंकि यह हमारे मस्तिष्क के लिए किसी टॉनिक की तरह काम करता है।
कपालभाती प्राणायाम करने के लिए (kapalbhati kaise karte hain) सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़ कर सुखासन में सीधे बैठ जाएं और अपनी कमर को भी सीधा रखें। इसे करने के लिए स उसके बाद शांति से कुछ मिनटों के लिए उस मुद्रा में रहें। फिर अपनी दायीं तरफ की नाक को अपने दायें हाथ के अंगूठे से आराम से बंद करके अपनी बायीं तरफ की नाक से धीरे- धीरे जितनी सांस ले सकते हैं, उतनी लें। फिर सांस पूरी तरह से अपनी छाती में भरने के बाद धीरे से अपनी बायीं नाक को अंगूठे से बंद करके धीरे- धीरे दायें नथुने से सांस को छोड़ें। यह कपालभाति का एक राउंड हुआ। हर राउंड के बाद कुछ लंबे गहरे सांस लें और छोड़ें और उसके बाद दूसरे राउंड पर जाएं। अपनी क्षमता अनुसार 5 से 15 तक इसे दोहरायें। प्रतिदिन 2 से तीन बार आप ऐसा कर सकते हैं। इससे आपको अच्छे नतीजे मिलेंगे।
कपालभाति क्रिया प्राणायाम का एक ऐसा आसन है, जिससे हर तरह की परेशानी खत्म हो जाती है। इसकी हर तकनीक में सांसों का विशिष्ट अनुपात और सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने का एक निश्चित अवधि होती है। और यह सब पहली बार इनका अभ्यास करने वाले और इनके अभ्यास में अनुभवी लोगों में अलग-अलग हो सकता है। से करने से मन और मस्तिष्क, दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। नियमित रूप से सही कपालभाति करने की विधि (kapalbhati kaise karte hain)करने से कई चमत्कारी फायदे होते हैं। तो आइए एक नजर डालते हैं कपालभाति के चमत्कार (kapalbhati benefits in hindi) पर -
कहते हैं जहां भोग है वहां रोग है। जहां योग है वहां निरोग, लेकिन गलत योग रोगी बना सकता है। यानी योग करते समय सावधान रहें। क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह कपालभाति से लाभ और हानि दोनों ही हैं। अगर इसका गलत तरीके से प्रयोग किया जाए तो कपालभाति साइड इफेक्ट्स होता है। तो आइए जानते हैं कपालभाति के नुकसान के बारे में -
सांसों के अनियंत्रित गति से मस्तिष्क को सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचना कम हो जाता है। ऐसे में ब्रेन के कई सेल्स को नुक़सान, बेहोशी और चक्कर आने जैसी तक़लीफ हो सकती है।
कपालभाति के दौरान बहुत से लोग सर में दर्द महसूस करते हैं। लेकिन इसके पीछे गलत तरह से कपालभाति करने की विधि जिम्मेदार होती है। इसी के साथ अगर आप तनावमुक्त होकर प्राणायाम नहीं करेंगे तो ये सर दर्द में परिवर्तित हो जायेगा। कपालभाति के लिए तन और मन दोनों शांत होने चााहिए।
कपालभाति महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है। झटके से करने से इससे इंटरनल अंगों पर प्रेशर बनता है और महिलाओं के यूट्रेस पर इसका गलत असर होता है।
जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उनके लिए तो कपालभाति के फायदे है लेकिन जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसीलिए जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की बीमारी है उन्हें कपालभाती नहीं करना चाहिए।
कपालभाति प्राणायाम के दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहना चाहिए। गलत पॉश्चर में बैठने से आपको कपालभाति करते समय शरीर में दर्द महसूस हो सकता है। इसीलिए जो लोग पहली बार योग कर रहे हैं, वो कपालभाति (how to do kapalbhati in hindi) को किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही शुरू करें।
कपालभाति करने के कुछ देर पहले और बाद में कुछ खाए-पिएं नहीं। अगर आप इस नियम का उल्घंन करते हैं तो कपालभाति साइड इफेक्ट्स के तौर पर आपको खट्टी डकारें आना शुरू हो जायेंगी। इसीलिए कपालभाति खाली पेट करने की ही सलाह दी जाती है।
कपालभाति प्राणाम सुबह के समय 5 से 9 बजे के बीच खुली हवा में करना ज्यादा लाभदायक माना जाता है। क्योंकि सुबह हवा में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है।
जी हां, आप रोजाना कपालभाति प्राणायाम (kapalbhati ke labh) करके अपने पेट की चर्बी कम कर सकते हैं। क्योंकि इसे करने से तेजी से हीट पैदा होती है और पेट के हिस्से से ज्यादा फैट जलने लगता है।
कपालभाति प्राणायाम को रात में नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसकी के साथ खाना खाने के बाद भी ये प्राणायाम नहीं किया जाता है। वहीं महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कपालभाति नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को ऐसा कोई भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए जिसमें सांसों को थामकर रखना हो। इसलिए गर्भावस्था में कपालभाती और भस्त्रिका जैसे अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है।
जिन लोगों को ह्रदय रोग हैं, चक्कर आते हैं, वर्टिगो है, हाई बीपी रहता है, मिर्गी, माइग्रेन, हर्निया और गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या होती है उन्हें कपलाभाति नहीं करने की सलाह दी जाती है।
कपालभाति को 20 से 25 मिनट तक करना चाहिए। वैसे अगर कपालभाति करने की विधि सही है आपकी तो आप इसे 10-15 मिनट तक किया जाये तो इतना भी बहुत है।
अनुलोम विलोम सुबह और शाम आप 10 से 15 कर सकते हैं। वैसे 5 मिनट भी अनुलोम विलोम के लिए बहुत है। आप अपनी क्षमता अनुसार इसे दिन में 1 या 2 बार 5 से 15 तक कर सकते हैं।
POPxo की सलाह : MYGLAMM के ये शनदार बेस्ट नैचुरल सैनिटाइजिंग प्रोडक्ट की मदद से घर के बाहर और अंदर दोनों ही जगह को रखें साफ और संक्रमण से सुरक्षित!