सूर्य नमस्कार एक सरल शब्द है जिसका अर्थ है सूर्य के लिए प्रार्थना। पुराने समय से, लोग सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्य की प्रार्थना करते हैं। साथ ही ये माना जाता है कि यदि सूर्य नमस्कार योग के साथ दिन की शुरुआत करें तो ये हमारे तन-मन दोनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। प्रतिदिन हम अगर केवल सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) का ही अभ्यास कर लें तो, पूरे शरीर के सभी अगों का अच्छा व्यायाम हो जाता है। इस सूर्य नमस्कार योग की प्रक्रिया लगभग 12 चरणों में पूरी होती है और प्रत्येक चरण में एक आसन होता है। इन 12 योगासनों की क्रिया को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) कहा जाता है। इसका प्रतिदिन अभ्यास हमें ऊर्जावान, तेजस्वी, निरोगी बनाता है।
सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र बोले जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है। हर मंत्र का एक ही सरल अर्थ है - सूर्य को (मेरा) नमस्कार है। सूर्य नमस्कार की शुरुआत करने से पहले या आसन के दौरान प्रत्येक चरण में इन सूर्य मंत्रो के उच्चारण से विशेष लाभ होता है, वे सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya Namaskar Mantra) कुछ तरह हैं-
सूर्य नमस्कार के लाभ एक नहीं बल्कि अनेक हैं। यदि आप अपने शरीर को अच्छे आकार में रखना चाहते हैं, तो आपको नियमित रूप से सूर्य को नमस्कार करने की आवश्यकता है। योगासनो में सबसे असरकारी और लाभदायक सूर्य नमस्कार है। सूर्य नमस्कार करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं कि सूर्य नमस्कार योग करने से कौन-कौन से फायदे होते हैं -
अगर आप मोटापे के शिकार है और आपका वजन कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो रोजाना 10 बार सूर्य नमस्कार के आसन करें। क्योंकि सूर्य नमस्कार वेट लॉस के लिए सबसे बेस्ट एक्सरसाइज है। जी हां, स्पीड में करने से ये कार्डियोवास्कुलर वर्काउट के तौर पर कार्य करते हैं। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है और पेट के आसपास जमे एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद मिलती है।
सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) करने से शरीर को प्रयाप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता हैं, जोकि त्वचा को निखरी और बेदाग बनाता हैं। इसके अलावा इससे सिर के बाल भी स्वस्थ और मजबूत होते हैं। योग एक्सपर्ट्स के मुताबिक योग ऐसी क्रिया है, जो चिंता को दूर कर मन को शांत रखने में सहायक साबित हो सकती है। इस कारण यह माना जा सकता है कि सूर्य नमस्कार के अंतर्गत अलग-अलग चरणों में आने वाले अलग-अलग 12 योगासनों का नियमित अभ्यास चिंता और तनाव जैसी समस्या को दूर कर बालों को मजबूती प्रदान करने के साथ त्वचा संबंधित कई समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकता है।
जैसा कि हमने शुरुआत में कहा, सूर्य नमस्कार एक योग मुद्रा है जिसमें 12 लगातार योग किए जाते हैं। इन आसनों की क्रिया शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है। साथ ही, योग प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक चरण पर सांस लेने की विधि आपकी आंतों की गतिविधि को भी बढ़ाती है और शरीर की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करती है। रोजाना 10-15 मिनट सूर्य नमस्कार करने से शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता हैं। इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है,जोकि आपको बीमारियों से बचाती हैं।
सूर्य नमस्कार में कई आसन शरीर को अधिक ताकत देते हैं। इनमें से कई योगासन शरीर से जुड़ी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने का काम भी करते हैं। इसका शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हमारे पास बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें तनाव से राहत की सख्त जरूरत है। कई बीमारियां घर में लगातार काम और तनाव के कारण होती हैं। सूर्य नमस्कार के योग में ध्यान भी हो जाता है और मन को एकाग्र करने की शक्ति भी मिलती है। इसकी वजह तनाव हमारे दिमाग से कोसों दूर रहता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और आपकी दृष्टि को सकारात्मक बनाए रखने में भी मदद करता है।
बहुत सी महिलाओं में पीरियड्स अनियमित होते हैं। इस तरह की समस्या रोजाना सूर्य नमस्कार करने से ठीक हो सकती है। क्योंकि इस दौरान किये जाने वाले आसनों से अंसुतलित हार्मोन बैलेंस होते हैं और पीरियड्स रेगुलर होने लगते हैं।
रोजाना 3 से 4 मिनट सूर्य नमस्कार करने से भी आप काफी हद तक डायबियीज को कंट्रोल कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार से ना सिर्फ अतिरिक्त शुगर की ख़पत होती है, बल्कि यह पेन्क्रियाज़ को भी क्रियाशील बनाता है और पूरे शरीर को हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है।
हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए सूर्य नमस्कार से बढ़कर अन्य कोई योग नहीं है। इस योग के दौरान आप सांस खींचते और छोड़ते हैं, जिससे हवा आपके फेफड़ों तक और ऑक्सीजन खून तक पहुंचती है। इससे आपके शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी जहरीली गैस निकल जाती है और आपकी बॉडी डिटॉक्स हो जाती है।
रोजाना सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) करने से एक नहीं अनके फायदे होते हैं, ये तो आपने जान लिया है। लेकिन किसी भी प्रकार का योग या व्यायाम करें, लेकिन इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसे सही तरीके से करें। सूर्य नमस्कार एक आसन न होकर 12 योग आसनों का एक क्रमबद्ध तरीके से किया जाने वाला योग है। इसके 2 चरण किये जाते हैं तब पूर्ण सूर्य नमस्कार पूरा होता है। तो आइए जानते हैं तस्वीरों के जरिए सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम और विधि के बारे में (surya namaskar steps in hindi) -
सबसे पहले स्टेप में दोनों हाथों को जोड़कर (नमस्कार की पोजिशन में) सीधे खड़े हो जाएं। अपना पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। फिर अपनी आंखों को बंद करके तथा मन को शांत और एकाग्र चित करके अपने कन्धों को ढीला छोड़ें फिर दोनों हाथो को उठाकर सामने लाये और सांस छोड़ते हुए हथेलियों को आपस में जोड़कर अपनी छाती या वक्षस्थल के सामने नमस्कार मुद्रा में लाएं और सूर्य नमस्कार श्लोक का आवाहन करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं प्रणाम मुद्रा।
सूर्य नमस्कार के अब दूसरे स्टेप में गहरी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और पीछे कानों की ओर से ले जाते हुए कमर के पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान अपने पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ स्ट्रेच करने की कोशिश करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, हस्तउत्तानासन।
सूर्य नमस्कार के अब तीसरे स्टेप में सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे आगे की और झुकना है। हाथों को सीधे रखते हुए आगे की ओर झुकाएं और दोनों हाथों को पैरों के दाएं-बाएं करते हुए जमीन को टच करें। ध्यान रखें कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी और घुटने सीधे रहें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, हस्तपाद आसन।
सूर्य नमस्कार के अब चौथे स्टेप में सांस भरते हुए जितना संभव हो सके अपना दायां पैर पीछे की ओर ले जाएं। फिर दाएं घुटने को जमीन पर रखें और नजरें ऊपर आसमान की ओर रखें। इस दौरान ये कोशिश करें कि आपका बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में ही रहे। इस आसन में थोड़ी देर रूके। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, अश्व संचालन आसन।
सूर्य नमस्कार के अब पांचवें स्टेप में सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में ही रखें। इस दौरान आपके हाथ जमीन के लंबवत होने चाहिए। दोनों एड़ियों को आपस में सटाकर रखें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की इस स्थिति को कहा जाता है, दंडासन।
सूर्य नमस्कार के अब छठे स्टेप में आराम से अपने दोनों घुटने जमीन पर लाएं और सांस बाहर की ओर छोड़ें। अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएं। इस स्थिति में अपनी कहानियों को थोड़ा ऊपर ही रखना है परंतु छाती, दोनों हथेलियां,और ठोड़ी (chin) यह जमीन से टच करती रहेंगी। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं अष्टांग नमस्कार।
सूर्य नमस्कार के अब सातवें स्टेप में सांस भरते हुए अपने शरीर के ऊपरी भाग को गर्दन पीछे करते हुए उठाएं। ऐसा करते समय थोड़ी देर के लिए इसी स्थिति में रुकें और कंधे कानों से दूर, नजरें आसमान की ओर रखें। यह स्तिथि भुजंग यानी की cobra से मिलती-जुलती लगती है। दोनों पैरों को आपस में जोड़कर रखेंगें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं भुजंगासन।
सूर्य नमस्कार के अब आठवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर की ओर उठाएं। चेस्ट को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) की तरह शेप में आ जाएं। इस दौरान एड़ियों को ज़मीन पर ही रखने का प्रयास करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं पर्वत आसन।
सूर्य नमस्कार के अब नौवें स्टेप में आपको सांस भरते हुए दायां पैर दोनों हाथों के बीच ले जाना है और बाएं घुटने को जमीन पर रखना है। इस दौरान सिर और चेहरा ऊपर की तरफ रखें और पीछे देखने का प्रयत्न करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं अश्वसंचालन आसन।
सूर्य नमस्कार के अब दसवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए बाएं पैर को आगे लाएं और हथेलियों को जमीन पर रखें। धीमे-धीमे अपने घुटनों को सीधा करें। हथेलियों को ज़मीन पर लगाकर रखें और सर नीचे की तरफ रहेगा और घुटनों को थोड़ा मुड़ा भी रहने दे सकतें हैं। अगर संभव हो तो अपनी नाक को घुटनो से छूने का प्रयत्न करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं हस्तपाद आसन।
सूर्य नमस्कार के अब ग्यारहवें स्टेप में सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे से ऊपर की ओर लाएं और हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान आपने कूल्हों को आगे की ओर धकेलें। दोनों हाथ कानों को स्पर्श करेंगे और खींचाव ऊपर की ओर महसूस करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं हस्तउत्थान आसन।
सूर्य नमस्कार के अब बारहवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें, फिर हाथों को नीचे लाएं और पहले जैसी प्रणाम की स्थिति में आ जायें। इस दौरान एकचित्त होकर शरीर में हो रही हलचल को महसूस करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं प्रणाम मुद्रा।
हर चीज के दो पहलू होते हैं। किसी भी चीज की अति बुरी होती है। इसी तरह सूर्य नमस्कार को गलत तरीके से करने व क्षमता से अधिक करने पर कई बार इसके दुष्परिणाम भी होते हैं। सूर्य को नमस्कार करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आप विपरीत परिणाम भुगत सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि सूर्य नमस्कार के आसन (surya namaskar aasan) करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए -
सूर्य नमस्कार उगते सूरज के सामने करना बेहद लाभदायक माना जाता है। सुबह के समय खाली पेट सूरज की मुख करके सूर्य नमस्कार का आसन (surya namaskar aasan) करना चाहिए। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और आपके तन-मन की शक्ति में विकास होता है।
सूर्य नमस्कार यूं तो हर स्वस्थ व्यक्ति किसी भी टाइम खाली पेट कर सकता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति हार्ट का पेशेंट है, शारीरिक रूप से कमजोर है, हाई ब्लडप्रेशर का मरीज है, रीढ़ की हड्डी से संबंधित कोई बीमारी है या फिर कोई महिला जो गर्भवती है उसे सूर्य नमस्कार आसन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस आसन को करने से शरीर में खिंचाव होता है व दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिसकी वजह से इन्हें ज्यादा दिक्कत हो सकती है। इसीलिए इस तरह के लोगों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही सूर्य नमस्कार के आसन करने चाहिए।
सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) में हमें प्रत्येक मुद्रा अपनी शरीर की क्षमता के अनुसार करीबन 30 सेकेंड अवश्य रूकना चाहिए। याद रखें कि हर आसन आराम-आराम से करने चाहिए। जल्द बाजी में करने से झटका लग सकता है और मोच भी आ सकती है।
सूर्य नमस्कार के आसन करने से वात, पित्त और कफ तीनों ही दोष शांत हो जाते हैं। खासतौर पर सूर्य नमस्कार वेट लॉस और डायबिटिज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
योगा एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रोजाना 5 से 10 मिनट तक सिर्फ सूर्य नमस्कार के आसन ही कर लें तो उसे अन्य आसन करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है।
जानकारों की मानें तो दिनभर में सूर्य नमस्कार के आसन 24 बार करने से करीब 400 कैलोरी बर्न हो जाती हैं। लेकिन हर आसन (surya namaskar steps in hindi) सही तरीके से किया गया होना चाहिए।