हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि, 'पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया।' लेकिन इस बात को हम तब समझते है जब हम स्वास्थ्य संबंधी किसी समस्या से जूझ रहे होते है। इसीलिए बारिश में भीगकर सर्दी का उपचार कराने से बेहतर है कि हम बारिश आने के पहले ही छाता लगाकर अपना बचाव कर लिया जाए। आज जितने भी शारीरिक रोग व तरह-तरह की बीमारियां मानव जीवन को अपने चपेट में ले रही हैं , उनमें से अधिकांश हमारी खराब लाइफस्टाइल की ही देन है। डायबीटिज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, मोटापा जैसे रोग इसके उदाहरण हैं। इन्हीं के चलते लोगों की बहुत कम आयु में ही मृत्यु हो जाती है। अगर आप चाहते हैं कि आप जीवन निरोग (Good Health Tips in Hindi) और सुख के साथ बीते तो अपनी दिनचर्या को समय रहते सुधार लें।
आजकल की लाइफस्टाइल में घर और ऑफिस का बढ़ता काम तनाव को जल्दी जन्म देता है, जिसका सीधा असर हमारी हेल्थ पर पड़ रहा है। इसीलिए यहां हम आपके लिए लाएं कुछ ऐसे जरूरी हेल्दी टिप्स, जिनकी मदद से आप पा सकते हैं अच्छा स्वास्थ्य और निरोगी काया। आइए जानते हैं जीवनभर स्वस्थ रहने के स्वर्णिम सूत्र (Golden Rules for Good Health) कौन-कौन से हैं, जो आपको अपनी डेली रूटीन में शामिल करने चाहिए -
सुबह उठकर जो व्यक्ति सूर्योदय देखता है वो जिंदगी भर खुश रहता है। अगर आप सूरज चढ़ने के बाद सोकर उठते हैं, तो इस गलत आदत को समय रहते सुधार लें। सुबह जल्दी उठकर आप न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं बल्कि दिनभर एक्टिव महसूस करते हैं, हर काम में अपना 100 प्रतिशत देते हैं। सुबह 4 से 5 बजे के बीच आपको बिस्तर हर हाल में छोड़ देना चाहिए।
हल्के अभ्यास आपके दिल को मजबूत रखते हैं और अच्छे मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं। हर दिन 20-30 मिनट के लिए बस तेज चलने से आपकी कैलोरी जलेंगी, कोलेस्टेरॉल कम होगा और विषैले पदार्थ निकल जाएंगे। साथ ही, जब आप नियमित रूप से योग या व्यायाम का अभ्यास करते हैं, तो आप अपने एडिक्शंस से भी दूर रहते हैं। साथ 3 किलोमीटर की रोजाना सुबह वॉक हर किसी के लिए जरूरी है। इससे आपका वजन हमेशा कंट्रोल में रहेगा।
पूरे टाइम झुकर बीमारों की तरह बैठना, घर पर टीवी देखते हुए सुस्ताना या फिर ऑफिस में काम करते हुए पैर फैला कर बैठने से हमारा पॉश्चर बिगड़ता है। यह स्थिति रीढ़ की हड्डी को ज्यादा देर तक सीधा न रखने के कारण पैदा होती है। इसलिए हमेशा कहा जाता है कि झुककर नहीं, अपनी पीठ सीधे रखकर बैठो। अगर आप पीठ सीधी करके बैठेंगे तो कभी भी आपको, पीठ दर्द नहीं होगा और आपके जॉइन्ट्स में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आयेगी।
हमारा संतुलित आहार ही स्वस्थ जीवन का आधार है, क्योंकि खान-पान में गड़बड़ी होगी तो हमारे जीवन में उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उम्र से पहले बुढ़ापा, मोटापा, तमाम तरह की बीमारियां इन सबका खतरा बना रहेगा। फास्ट फूड, तला-भुना और अत्यधिक मीठा खाते हैं तो अब से सावधान हो जायें। मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। साथ ही हफ्ते में एक दिन उपवास रखें और इस दौरान दूध और फल का ही सेवन करें।
आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर के सामान है। बहुत जरूरी हो तो एक घूंट पानी ले सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा तो भूलकर भी न पिएं। आयुर्वेद में बताया गया है कि अपने शरीर के वजन के 10 वे भाग को 2 से घटाने पर जो संख्या आती है उतने लीटर पानी पीना सही माना जाता है।
कहा जाता है कि रोज चलता है वो जीवनभर चलता है। यानि कि बुढापे में अगर चलते-फिरते रहना है तो जवानी में आपको रोजाना 10 हजार कदम चलने की आदत डालनी पड़ेगी। डॉक्टर्स मानते हैं कि अगर हम रोज इतना चलें तो हम ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करेंगे। शरीर में किसी भी तरह की कोई थकावट या फिर कोई अन्य समस्या नहीं आयेगी और आप जीवनभर सेहतमंद रहेंगे। इसीलए अब से पैदल चलने के बहाने ढूढिये और अपने वाहनों और लिफ्ट को आराम दीजिए।
पहले के समय में लोग मल-मल कर नहाते थे, अच्छे दातून करते थे और रोजना कपड़े धोते थे। लेकिन आज के समय में हम जो काम जल्दी-जल्दी करने चाहिए उन्हें धीमे करते हैं और जिन्हें आराम से करना चाहिए उन्हें जल्दी-जल्दी करते हैं। शरीर की सुंदरता उसकी सफाई में है। इसका विशेष ध्यान रखें। इसके रोजाना सुबह और रात में मंजन करें, रोजाना स्नान करें और अपने गुप्तांगों की सफाई पर विशेष ध्यान दें। साथ ही हमेशा नॉर्मल ठंडे पानी से ही नहाना चाहिए।
भोजन हमारे शरीर को एनर्जी देता है लेकिन अगर उसके खाने का तरीका सही है और समय भी तो आपको इसके साथ कई बेनिफिट्स मिलेंग। अच्छी तरह चबा-चबाकर खाने से आप कम खाते हैं और आपका पेट भी जल्दी भर जाता है और आपका पाचनतंत्र भी सही से काम करता है। साथ ही रात का खाना शाम को 7 से 8 बजे के बीच खा लेना चाहिए, नहीं तो ये आपके शरीर पर उल्टा प्रभाव डालता है।
जब आप किसी मंदिर में घंटी बजते सुनते हैं, या जब आप अज़ान या गाना कोई गीत सुनते हैं, तो यह आपके दिल को शांति और सुकून क्यों देता है? दरअसल प्रकृति में कुछ फ्रीक्वेंसी ऐसी होती हैं जिनका प्रभाव मन और शरीर पर बहुत शांति वाला होता है। हर सुबह एक शांत जगह पर बैठें और 15 मिनट के लिए 'ओम' का उच्चारण करें। जब आप अपनी आंखें खोलेंगे तो आप सात्त्विक महसूस करेंगे। इसका मतलब यह है कि आपने अपने दिमाग को पोषित किया है और मानसिक अमा को निकाल दिया है। दिमाग को पोषित करने के दूसरे तरीकों में मेडिटेशन, सात्त्विक साहित्य पढ़ना और सुखदायक संगीत सुनना है।
शरीर के लिए जितना जरूरी पानी है उतना ही नींद भी। थके-हारे तन-मन के लिए नींद एक टॉनिक की तरह का काम करती है। नींद के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे पर्याप्त हैं। बहुत कम या जरूरत से ज्यादा नींद, दोनों ही स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक ही हैं।
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