सी-सेक्शन या सिजेरियन सेक्शन बच्चा पैदा करने का एक तरह का मेडिकल प्रोसेस है। सामान्य तौर पर सी-सेक्शन डिलिवरी कराने के कारणों में कुछ जटिलताएं शामिल हो सकती हैं। इन जटिलताओं में शिशु की असामान्य स्थिति, गर्भाशय के अंदर शिशु की दिल की धड़कन असामान्य हो जाना आदि। सी-सेक्शन डिलिवरी (cesarean) की संख्या मौजूदा समय में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद, इसके बारे में कई गलत धारणाएं जुड़ी हुई हैं। यहां डॉ. अरुणा कालरा से बातचीत के आधार पर हम बता रहे आपको सिजेरियन सेक्शन से जुड़ी गलतफहमियां और उनकी हकीकत (C-Section Delivery Myths and Facts) के बारे में -
हकीकत - सी-सेक्शन डिलिवरी के बारे में बेहद आम गलतफहमी यह है कि मां की रिकवरी में लंबा वक्त लगता है। हालांकि, इसके पीछे तथ्य यह है कि सी-सेक्शन डिलिवरी के निशान का दर्द लंबे समय तक नहीं रहता। महिला लगभग 3 दिन में स्वयं खड़ी होने लगती है। वेजाइनल डिलिवरी में भी पेरिनियम पर कट लगाया जाता है जिसके ठीक होने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है। इसलिए, महिला को सी-सेक्शन (C-Section) से गुजरना पड़े या वेजाइनल डिलिवरी से, प्रसव के बाद होने वाले दर्द के बीच अंतर नहीं होता है।
हकीकत - यह गलत है। स्पाइनल नीडल ठीक रहती है और इसे कोई चोट नहीं पहुंचती। इसलिए, प्रसव के बाद पैदा हुआ कमर दर्द (चाहे सी-सेक्शन से जुड़ा हो या वेजाइनल डिलिवरी से) खराब तरीके से उठने-बैठने से होता है।
हकीकत - यह बिल्कुल सच नहीं है। यदि सभी परिस्थितियां अनुकूल हों और कोई शारीरिक जटिलता न हो, तो पिछली सी-सेक्शन डिलिवरी के बाद नॉर्मल डिलिवरी संभव है। ऐसी डिलिवरी को वीबीएसी (वेजाइनल बर्थ आफ्टर सी-सेक्शन) के नाम से जाना जाता है।
हकीकत - सी-सेक्शन को लेकर यह भी एक बेहद सामान्य है। लेकिन वास्तविकता यह है कि टीके बेहद सावधानी के साथ लगाए जाते हैं, इसलिए घी, दूध और ऐसी अन्य चीजों से टीकों में पस पैदा नहीं होता है।
हकीकत - व्यायाम यानि एक्सरसाइज स्वयं को फुर्तीला बनाए रखने, मांसपेशियों का दर्द घटाने, बीपी और शुगर को नियंत्रित रखने और शिशु वजन बढ़ाने के लिए किए जाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि भले ही आप सी-सेक्शन के जरिये बच्चे को जन्म देने की योजना बना रही हों, लेकिन व्यायाम जरूरी है।
हकीकत - इसमें कोई सच्चाई नहीं है। आप सी-सेक्शन डिलिवरी के तुरंत बाद स्तनपान शुरू करा सकती हैं।
हकीकत -चाहे आप सी-सेक्शन करा रही हों या वेजाइनल डिलिवरी, इससे प्रसव के बाद होने वाली वेजाइनल ब्लीडिंग प्रभावित नहीं होती।
हकीकत - यह सही नहीं है। सी-सेक्शन में भी उसी तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं जैसे कि वेजाइनल डिलिवरी में। इसलिए, सी-सेक्शन से गुजरने के बाद, आपको पोस्टपार्टम ब्लूम का सामना करना पड़ सकता है।
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