विजयादशमी (Vijayadashmi) या फिर दशहरा (Dussehra 2020) हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को देशभर में काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साथ ही विजयादशमी का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और इस वजह से दशहर पर रावण दहन (Ravan Dahan) किया जाता है। देशभर के अलग-अलग हिस्सों में रावण के पुतले को जला कर दशहरा मनाया जाता है। बता दें, इस साल दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
वैसे तो देशभर में दशहरा मनाया जाता है लेकिन दक्षिण भारत के देशों में इस दौरान दुर्गा पूजा का त्योहार मनाया जाता है। एक ओर जहां उत्तरी राज्यों में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर पश्मि बंगाल में दुर्गा पूजा के पर्व की धूम होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक राजस्थान के कोटा में एक ऐसा गांव भी है, जहां पर विजयादशमी पर रावण का दहन नहीं किया जाता है बल्कि मिट्टी का रावण बनाया जाता है और उसे पैरों से कुचला जाता है।
दरअसल, कोटा के नान्ता इलाके में सालों से इसी परंपरा का चलन है। यहां पर विजयादशमी के दिन जमीन पर मिट्टी से रावण को बनाया जाता है और फिर सभी लोग मिलकर पैरों से मिट्टी के रावण पर कूदते हैं और उसे ध्वस्त कर देते हैं।
नान्ता इलाके में कई सदियों से इस परंपरा को लोग निभाते आ रहे हैं। यहां स्थित लिम्बजा माता के द्वार पर नवरात्रि के पहले दिन से ही इस उत्सव की शुरुआत हो जाती है। हर साल नवरात्रि से एक दिन पहले यहां रावण को ये रूप दिया जाता है और फिर विजयादशमी पर रावण के मिट्टी के रूप को पैरों से रोंद दिया जाता है। इसके बाद इसी मिट्टी पर अखाड़ा लगाया जाता है। जहां मल्ल समाज के सभी पहलवान एक-एक कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
गौरतलब है कि इस साल देशभर में फैले में कोरोनावायरस के कारण हर साल की तरह लोग दशहर का जश्न नहीं मना पाएंगे। हो सकता है कि इस साल आप सभी को अपने घरों में रहते हुए ही विजयादशमी का त्योहार मनाना होगा। दरअसल, कोरोनावायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना बेहद ही ज़रूरी है। इस वजह से यदि आप इस दशहरा पर कहीं घूमने का भी प्लान कर रहे हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का ज़रूर पालन करें और अपने पास सैनिटाइज़र और मास्क भी ज़रूर रखें।