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ऑफिस और घर के टॉक्सिक माहौल में खुद को कैसे संभालें, जानिए यहां – Toxic Work Environment

ऑफिस और घर के टॉक्सिक माहौल में खुद को कैसे संभालें, जानिए यहां – Toxic Work Environment

आपने कई लोगों से सुना होगा कि आजकल सभी को गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है, लोग बहुत शॉर्ट टेम्पर्ड हो गए हैं, कोई भी दूसरों की खुशियों में खुश नहीं होता, लोगों में जेलेसी फैक्टर बढ़ गया है, लोगों में पेशंस नहीं रहा, सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिशों में लगे रहते हैं या फिर अब कोई भी पहले जैसा नहीं रहा वगैरह। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा होता क्यों है! ऐसी कौन-सी चीज़ है, जो किसी शख्स को इतना कड़वे स्वभाव का बना देती है कि वह किसी से दो मीठे बोल भी नहीं बोल सकता! किसी की खुशी में खुश नहीं हो सकता! आखिर उसमें इतनी ज्यादा नकारात्मकता आई कहां से? 

दरअसल, इन सबकी वजह है टॉक्सिक माहौल, यानी ऐसा वातावरण जहां कोई भी अपने-आप से खुश नहीं है और वहां इतनी ज्यादा नकारात्मकता बढ़ी हुई है कि मानो कामयाब या खुश होने के लिए एक-दूसरे को कुचलकर आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता हो। लोगों में एक-दूसरे की खुशी से चिढ़ने की आदत बढ़ती जा रही है। दूसरों की सफलता आंखों में चुभने लगी है। ऐसा माहौल किसी को भी मानसिक तौर पर बीमार बना सकता है। उसकी छोटी-छोटी खुशियां छीन सकता है, इसलिए अगर आप भी ऐसे ही किसी टॉक्सिक, यानी गहरी नकारात्मकता से भरे माहौल के शिकार हैं तो यहां जानिए कि कैसे इतने नेगेटिव एन्वायरमेंट में भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें। साथ ही अपने जीवन के हर पहलू का संतुलन भी इन्हीं सब के बीच कैसे बनाए रखें।

क्या होता है टॉक्सिक माहौल? – What is Toxic Environment

जहां एक-दूसरे के लिए प्यार नहीं, बल्कि सिर्फ जलन, कुढ़न, गुस्सा या कॉम्पिटिशन हो, जहां रहने पर पॉजीटिव वाइब्स नहीं आतीं, सुकून नहीं मिलता, ऐसी जगह ही टॉक्सिक माहौल की पहली निशानी है। आजकल ये एन्वायरमेंट ऑफिस ही नहीं, बल्कि घरों में भी बहुत होने लगा है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा सिर्फ कामकाज की जगह पर ही होता है। घर-परिवार में तो सभी अपने हैं तो ऐसा हो ही नहीं सकता। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सिर्फ ऑफिस का स्ट्रेस और बुरा माहौल ही टॉक्सिक एन्वायरमेंट की श्रेणी में आता हो, बल्कि घर में भी आपसी क्लेश, हालात के उतार-चढ़ाव और गहरे मतभेद से भी टॉक्सिक माहौल पैदा होता है और लगातार बढ़ता-पनपता है।

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ऑफिस में टॉक्सिक माहौल – Signs of a Toxic Work Environment

ऑफिस में टॉक्सिक माहौल का मतलब है, रोज़ाना तमाशा, लड़ाई या आपसी मतभेद जैसी चीज़ों की वजह से प्रोडक्टिविटी लगातार कम होना। जहां लोग अपने फायदे के लिए वर्क एथिक्स को साइड में रख कर अनप्रोफेशनल बिहेवियर करने लगते हैं। ऐसे ऑफिस में काम करने, वहां के लोगों के संपर्क में रहने या फिर इन दोनों से ही आपकी पर्सनल लाइफ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। आप ऑफिस के काम का गुस्सा घर और निजी रिश्तों पर उतारने लगते हैं और जिंदगी बर्बाद सी होने लगती है। यही टॉक्सिक वर्क एन्वायरमेंट है। ऐसे टॉक्सिक माहौल की और भी कई निशानियां हैं, जिन्हें आसानी से नोटिस किया जा सकता है।

ऑफिस जाने का मन न करना

ऑफिस के टॉक्सिक माहौल की सबसे पहली निशानी है, आपका ऑफिस में मन न लगना, रोज़ ऑफिस न जाने के बहाने दिमाग में आना, ऑफिस पहुंचते ही थकान महसूस होना और काम करने का मन न करना, ऑफिस में अकेले बैठना या घुटे-घुटे से रहना। ये ऐसे कुछ साइन हैं, जिनसे आप इस समस्या का पता लगा सकते हैं। 

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हाई टर्नओवर

अगर एच आर के नजरिये से बात करें तो ऑफिस में टॉक्सिक माहौल का अंदाज़ा हाई टर्नओवर से लगाया जा सकता है,  जिसका मतलब होता है कि इस तयशुदा समय-सीमा में कितने लोग ऑफिस के खराब मौहाल की वजह से नौकरी छोड़कर चले गए या फिर दूसरी कंपनियों में नौकरी तलाश कर रहे हैं और उनकी जगह पर कितने दूसरे लोगों को मजबूरन रखना पड़ा। 

ऑफिस पॉलिटिक्स

काम से ज्यादा ऑफिस में गॉसिप होना, छोटी-छोटी बातों का बड़ा तमाशा बनना, किसी की कमी पर खुलकर ताने देने या मजाक उड़ाने वाला माहौल टॉक्सिक एन्वायरमेंट की जड़ है। ऐसा माहौल प्रोफेशनल ग्रोथ को रोक कर कंपनी की छवि खराब करता है।

जोश खत्म होना

ऑफिस के नए-नए टास्क या प्रोजेक्ट से भी खुशी न मिले, क्रिएटिविटी फीकी पड़ जाए या फिर आपकी ही नहीं, ऑफिस में मौजूद दूसरे लोगों के साथ भी ऐसा ही हो तो ये टॉक्सिक माहौल का ही असर है। 

बातचीत में कमी आना

ऑफिस में सिंगल नहीं, टीम वर्क चलता है, लेकिन जब ये टीम वर्क छोटे-छोटे ग्रुप में बंटकर एक मत नहीं रखता है, ग्रुपिंग गुटबाज़ी में बदल जाती है तो जन्म होता है टॉक्सिक माहौल का, जो कि आगे चलकर बड़ी नेगेटिविटी लाता है। इसके चलते धीरे-धीरे ज़रूरी बातें तक कम होने लगती हैं और हेल्दी टॉक की जगह नेगेटिव टॉक होने लग जाती है। लोग काम होने पर भी एक-दूसरे से सीधे बात करने से कतराते हैं या बेवजह मुंह फुलाए घूमते रहते हैं।

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घर पर टॉक्सिक माहौल – Toxic Environment At Home

ऑफिस और घर के टॉक्सिक माहौल में काफी अंतर होता है। ऑफिस में वर्क एथिक्स नाम की चीज़ होती है, जिसका घर में कोई नामो-निशान तक नहीं होता। घर में सभी को मनचाहा करने की आज़ादी होती है, इसलिए यहां टॉक्सिक माहौल की पहचान करना आसान नहीं होता। इसके लिए कई बातों पर ध्यान देना पड़ता है, जैसे:-

कलह बनी रहना

घर में नेगेटिविटी फैलती है तो बहस होती है, गुस्सा आता है। घर में हर कोई मनमानी करना चाहता है। यहां कोई रोकने वाला नहीं, इसलिए किसी भी वक्त झगड़ा हो जाता है। 

खुद को असुरक्षित महसूस करना

हर वक्त दिमाग में असुरक्षा संबंधी विचार ही आना, अपने को असुरक्षित महसूस होना, चाहे वह भविष्य के लिए हो या फिर अपनी खास चीज़ों अथवा प्रियजनों से दूर होने के बारे में हो। यहां तक कि दिमाग में अपने ही साथ रह रहे घर वालों पर विश्वास की कमी और शक भी टॉक्सिक माहौल के ही संकेत हैं।

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अहमियत कम होना

अपने ही घर में जब खुद की अहमियत कम होने लगे तो बुरा लगता है। यही बात जब बार-बार आपको महसूस कराई जाए तो क्लेश होता है। यह भी टॉक्सिक माहौल की निशानी है।

अपना स्पेस खत्म हो जाना

ज्यादातर घरों में टॉक्सिक माहौल की शुरुआत खुद के स्पेस की कमी होने के चलते ही होती है। ऐसे में लोग खुद को बंधा हुआ महसूस करने लगते हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें मनचाहा तरीके से रहने से रोका जा रहा है, सब टोकते रहते हैं, जो आजकल की जेनेरेशन में किसी को पसंद नहीं।

टॉक्सिक माहौल का सेहत पर असर – Toxic Environment Effects On Health

लंबे समय तक टॉक्सिक माहौल में रहने पर कई तरह की शारीरिक और मानसिक दिक्कतें सामने आने लगती हैं। फिज़िकली स्टेमिना कम होने लगता है, कोई न कोई बीमारी घर किए रहती है और मानसिक तौर पर होने वाली दिक्कतें तो अनेक हैं, क्योंकि सारा मामला सीधे-सीधे तनाव से जुड़ा है तो मामूली सा लगने वाला ये तनाव कई बार गहरे डिप्रेशन तक के रूप में भी सामने आने लगता है। 

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बात-बेबात पर चिड़चिड़ापन बढ़ना

ऑफिस का स्ट्रेस आपसी रिश्ते तक खराब कर देता है। ऑफिस में कई चीज़ों पर आपका बस नहीं चलता और आप बॉस, कलीग या फिर काम का गुस्सा दिमाग में लेकर घर आते हैं। फिर उसी टेंशन में जाने-अनजाने अपने परिवार या आस-पास के सभी लोगों से चिड़चिड़ा व्यवहार करते हैं। आपका दिमाग इतने गुस्से में होता है कि उस वक्त क्या बोल रहे होते हैं, यह आप समझ ही नहीं पाते। 

नींद न आना

नींद कब नहीं आती, इसका आसान जवाब है कि जब आप गहरी टेंशन में होते हैं या फिर आपका दिन अच्छा नहीं गुज़रा होता। इसके कई कारण हो सकते हैं- ऑफिस का ज्यादा काम, आपके काम को जान-बूझ कर कम आंकना, आपकी मेहनत और काम का क्रेडिट दूसरों द्वारा ले लिया जाना या फिर आपको आपका हक न मिलना, ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार होना, ऑफिस में मज़ाक बनना जैसे तमाम कारण आपकी नींद उड़ने के कारण होते हैं, जो गहरे टॉक्सिक माहौल के चलते होते हैं और आपकी नींद छीन लेते हैं। यही ऑफिस का टॉक्सिक माहौल है।

अकेलापन या डिप्रेशन

कई लोगों को स्ट्रेस से भरा ये टॉक्सिक माहौल अकेलापन महसूस कराता है। वे नेगेटिव लोगों के ग्रुप के लोगों में शामिल नहीं हो पाते और अच्छे लोगों को पहचान नहीं पाते। ऐसे में अकेला पड़ना लाज़मी है। अकेलेपन की ये परेशानी आगे चलकर किसी को भी डिप्रेशन का शिकार बना सकती है।

सिर दर्द और थकान

टॉक्सिक माहौल सिर दर्द को लगातार बनाए रखता है और आप दिमागी तौर पर थकान महसूस करते हैं। ये लगातार रहने वाली थकान बाकी कामों पर भी असर डालती है और आपकी जिंदगी में कामयाबी और तरक्की की रफ्तार को धीमा कर देती है। ऐसे में आपको सिर दर्द के योग करने चाहिए। 

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सेक्स लाइफ खराब होना

जब ऑफिस का स्ट्रेस घर तक आकर घरेलू रिश्तों को प्रभावित करेगा तो इसकी असर हर बात पर पड़ना स्वाभाविक है। सेक्स लाइफ भी इसी में से एक है। गहरे टॉक्सिक माहौल का असर आपकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है, क्योंकि ज्यादा स्ट्रेस टेस्टोस्टेरॉन के प्रोडक्शन को कम करेगा, जिससे सेक्स लाइफ खराब होगी ही।

टॉक्सिक माहौल को कैसे हैंडल या ठीक करें – How to handle or fix a Toxic Environment in Hindi

आजकल के समय में टॉक्सिक माहौल आपको हर जगह मिलेगा। आप चाहें भी तो इससे बच नहीं सकते, चाहे ऑफिस हो या घर, लेकिन यहां दिए गए तरीकों से इसे हैंडल जरूर कर सकते हैं:-

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खुद को बिज़ी रखें

आपने ये लाइन कई बार सुनी होगी कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। कई लोग काम करने की बजाय ऑफिस या घर में, हर जगह ही अपना खाली दिमाग सिर्फ चीज़ें बिगाड़ने में लगाते हैं। इनसे बचने का सबसे आसान तरीका है कि बिज़ी रहें।

ऑर्गेनाइज़ रहें

कई स्टडीज़ बताती हैं कि आप जितना ऑर्गेनाइज़ रहेंगे, उतना ही अच्छा महसूस करेंगे, इसलिए आप घर में हों या ऑफिस में, दोनों जगह का सामान ऑर्गेनाइज़ रखें। इससे आपका दिमाग भी शांत रहेगा और काम में भी आसानी रहेगी।

टास्क पूरा करें

हर दिन अपनी टू-डू लिस्ट में कुछ कामों को लिखें और उन्हें उसी दिन खत्म करें। इससे फायदा ये होगा कि टॉक्सिक माहौल का फालतू असर आपके काम को डिस्टर्ब नहीं होने देगा। इससे काम समय पर भी पूरा हो जाएगा और आपको अंदर से संतुष्टि भी ज़रूर मिलेगी।

पावर नैप लेते रहें

कई बार ऑफिस का स्ट्रैस काफी थकाने वाला होता है, जिससे शरीर टूटता है, ध्यान भटकता है और आप काम में फोकस नहीं हो पाते। इसे दूर करने के लिए पावर नैप लें। 15 मिनट की ये थकान दूर करने वाली झपकी आपको रिफ्रेश कर देगी और दिमाग भी हल्का हो जाएगा।

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बातचीत करें

टॉक्सिक एन्वायरमेंट में सबसे पहले लोग कम्यूनिकेट करना बंद कर देते हैं, जिससे माहौल और भी बिगड़ता है। आप इस सिचुएशन में अपने ही जैसा कोई शख्स ढूंढें और उससे कैज़ुअल बात करें, दोस्ती बढ़ाएं। एक-दूसरे के बीच भरोसा बढ़ाएं और ऑफिस में हेल्दी एन्वायरमेंट लाने की कोशिश करें।

गलत बात पर चुप न रहें

टॉक्सिक माहौल में लोग खामोशी का फायदा उठाते हैं। आप ऐसा न होने दें। जब भी अपने-आप को डिफेंड करने की बारी आए तो अपने लिए ज़रूर आवाज उठाएं। अपना पॉइंट रखें, दुनिया को दिखाएं कि टॉक्सिक माहौल उनकी प्रोडक्टिविटी को खत्म नहीं कर सकता, न ही उन्हें डरपोक बना सकता है।

स्थिति स्पष्ट करें

बात डायरेक्ट सही शख्स से न हो तो और उलझती है, इसलिए घर या ऑफिस, जहां भी आपसे जिन लोगों को प्रॉब्लम है, आप उनसे सीधे बात करें और डरें नहीं। समस्या का हल नहीं भी निकाल पाए तो क्या हुआ, सामने वाले को वॉर्निंग मिल जाएगी, जिससे वह फिर आपको परेशान करने या वहां का माहौल खराब करने से पहले एक बार ज़रूर सोचेगा़।

जॉब न छोड़ें

कई बार लोग घटिया सहकर्मियों की वजह से फैले टॉक्सिक एन्वायरमेंट के कारण जॉब छोड़ देते हैं, जो कि सही नहीं है। आप जॉब तब तक न छोड़ें, जब कर कि आपको कहीं और से अच्छा ऑफर न मिले, लेकिन कभी भी टॉक्सिक एन्वायरमेंट की वजह से रिज़ाइन न करें।

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शिकायत करें

टॉक्सिक एन्वायरमेंट आगे चलकर आपके शोषण में भी बदल सकता है। अपनी असुरक्षा की भावना और घबराहट को पीछे छोड़ कर अपने एचआर या फिर बॉस से इस टॉक्सिक माहौल की शिकायत करें, ताकि कोई बड़ी घटना होने से बच जाए।

इग्नोर करें

अगर ऑफिस या घर में फैले टॉक्सिक एन्वायरमेंट को हैंडल न कर पाएं तो सबसे इससे बचने का सबसे सही तरीका ये है कि इसे इग्नोर करें। ऐसे माहौल का विक्टिम बने बिना मस्त रहें और काम पर फोकस रखें।

इन 7 तरीकों से टॉक्सिक माहौल में खुद को रख पाएंगे शांत

टॉक्सिक माहौल को आप ऑफिस या घर में तभी हैंडल कर पाएंगे, जब खुद को अंदर से शांत रख पाएंगे। इस शांति के लिए आपको खुद के रूटीन में यहां दी गई आदतों को शामिल करना होगा:-

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योग करें

इनर पीस के लिए योग से बेहतर और कुछ नहीं। योग से न सिर्फ आप शरीर के दर्द से राहत पाएंगे, बल्कि दिमाग को भी शांत रख पाएंगे। रोज़ाना सुबह या शाम, नियमित तौर पर योग करें। इसका फायदा आपको बहुत जल्द ही दिखने लगेगा। 

मनचाही एक्सरसाइज़ करें

रोज़ाना जिम जाएं या फिर पार्क में दौड़ लगाएं। जो भी एक्सरसाइज़ अच्छी लगती है, कीजिए। शरीर का ध्यान रखने से दिमाग को सुकून मिलता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही विचार अच्छे आते हैं। पूरे दिन अच्छा सोचेंगे तो टॉक्सिक माहौल आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। 

मेडिटेशन करें

कई लोगों को योग या एक्सरसाइज़ से ज्यादा आराम महसूस नहीं होता। ऐसे में वे लोग 24 घंटे में सिर्फ 10 मिनट का समय निकालें और आंखें बंद करके शांत बैठें। आप चाहें तो इन 10 मिनट में ओम का उच्चारण भी कर सकते हैं। इसके अलावा जितनी गहरी और जितनी लंबी सांस लेंगे, फायदा उतना ही मिलेगा। 

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एक दिन सिर्फ आराम करें

हफ्ते या महीने में ऐसा एक या दो दिन निकालें, जिसमें आप सिर्फ एंजॉय कर सकें। इन दिनों में आप सिर्फ अपनी पसंद की एक्टिविटिज़ करें, जो भी आपको पसंद हो। इससे आपको अपने लिए वक्त मिलेगा और टॉक्सिक माहौल से असर से दूर होने का मौका भी मिलेगा।

घूमने जाएं

जितना आप प्रकृति के आस-पास रहेंगे, नेगेटिव वाइब्स आपसे उतनी ही दूर रहेंगी, इसीलिए महीने, दो महीने में या फिर छह महीने में समय तय करके घूमने निकलें। ऐसी जगह जाएं, जहां सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता और शांति हो। वहां मोबाइल और फालतू लोगों की बातों को पीछे छोड़ सिर्फ प्योर वातावरण में अपना वक्त बिताएं। आप बहुत ही शांति महसूस करेंगे।       

टाॅक्सिक माहौल के लेकर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब (FAQ’s)

सवाल – टॉक्सिक शख्स को कैसे पहचानें?
जवाब – वह शख्स जो आप में नेगेटिविटी बढ़ाए, आपको इमोशनली कमज़ोर करे और हर बार गलत सलाह दे, वही टॉक्सिक शख्स है।
सवाल – टॉक्सिक रिलेशनशिप को कैसे पहचानें?
जवाब – अगर आप और आपके पार्टनर के बीच भरोसा नहीं रह गया है। प्यार से ज्यादा बात-बात पर झगड़ा होता है, बार-बार आपको जज किया जाता है, असुरक्षित और कमज़ोर महसूस कराया जाता है या फिर किसी भी बात में कोई फैसला लेने तक की आज़ादी न दी जाती हो तो आप टॉक्सिक रिलेशनशिप में हैं।
सवाल – टॉक्सिक माहौल का कोई इलाज?
जवाब – इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनें। हर काम पूरी सावधानी, प्लानिंग और सूझ-बूझ से करें। अपने-आप पर पूरा भरोसा रखें। यही टॉक्सिक माहौल का इलाज है।
 
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30 Aug 2019

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