मां बनना हर महिला के लिए सबसे खूबसूरत एहसास होता है। अपने अंदर 9 महीने तक एक जान को बड़ा करना, उसे रोज़ महसूस करना और इस दुनिया में उसके आने का इंतज़ार करना, सब एक सपने के सच होने जैसा लगता ही। प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला कई खट्टे- मीठे अनुभवों से होकर गुजरती है। मगर वो समय, जब उसे पता चलता है कि वो प्रेगनेंट है, उसकी ज़िंदगी का सबसे खास और खूबसूरत लम्हा होता है। इतना ही नहीं प्रेगनेंसी का पता चलने के बाद ज़िंदगी को देखने का नजरिया और व्यवहार सब कुछ बदलने लगता है।
मगर अपने प्रेगनेंट होने का पता चलते के बाद से ही हर महिला कुछ ऐसे अजीबो- गरीब काम भी करने लगती है, जिसे यादकर बाद में सिर्फ हंसी आती है। अगर आप भी एक मां है तो यहां बताई गई कुछ बातों से इत्तेफाक ज़रूर रखेंगी और अगर नहीं हैं तो अपनी ज़िंदगी में आने वाले इन स्वीट से अनुभवों के लिए अभी से तैयार हो जाइये।
जी हां! प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिए हर महिला सबसे पहले प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करती हैं। रिज़ल्ट पॉजिटिव आने के बाद उसकी खुशी इस हद तक होती है कि वो उस किट को संभाल कर रखने में ज़रा भी देर नहीं लगाती। फिर जितनी बार भी उस प्रेगनेंसी टेस्ट किट को देख लो, कम ही लगता है।
यह एक ऐसा कन्फ्यूज़न है, हि हर महिला होकर गुजरती है। दरअसल बचपन से हम अपने बड़े- बुज़ुर्गों से सुनते आए हैं कि प्रेगनेंसी का पता चलने के बाद शुरुआत के 3 महीने तक किसी को भी यह बात नहीं बतानी चाहिए। मगर मां का दिल तो आखिर मां का दिल होता है। यह अंदर ही अंदर मचल रहा होता है, सबको यह बताने के लिए कि हां, मैं मां बनने वाली हूं।
इन दिनों आप कहने लगती हैं कि मैं सामान रखकर कहीं भूल गई हूं, या मुझे कुछ याद नहीं रहता। बात- बात पर चिड़चिड़ाने लगती हैं, ज़िद्दी हो जाती हैं और कोई कुछ बोले तो कहती हैं यह मैं नहीं बेबी कर रहा है। दरअसल आप भी जानती हैं, ऐसा कुछ नहीं है। यह बेबी नहीं बल्कि आपके दिल और दिमाग पर आने वाले बेबी के फितूर और एक्साइटमेंट के चलते हो रहा है।
आप अचानक अपनी प्रेगनेंसी को अपना हथियार बना लेती हैं। किसी काम में मन नहीं लग रहा तो नहीं करना है, कुछ खाने का मन है तो तुरंत चाहिए। यह पूरी तरह से गलत भी नहीं है। हम जानते हैं अगले 9 महीनों के लिए आप अपने घर की क्वीन हैं, तो पूरा फायदा उठाइये!
प्रेगनेंट होने के बाद आप प्रेगनेंसी और बेबी से जुड़ी हर जानकारी बटोर लेना चाहती हैं। इसके लिए प्रेगनेंसी की किताबें हों या गूगल पर प्रेगनेंसी के बारे में सर्च करना हो, आप कुछ भी नहीं छोड़तीं। साथ ही आप यह भी चाहती हैं कि आपका पार्टनर भी वो सभी सभी किताबें पढ़े, जो आप पढ़ रही हैं। ठीक है, इसमें कुछ गलत भी नहीं है।
सुनने में अजीब है, पर ऐसा होता है। जब किताबों और गूगल सर्च से मन भर जाता है तो प्रेगनेंट महिला का फोन ऐसी कई एप से भर चूका होता है, जो प्रेगनेंसी से जुड़ी होती हैं। मायलो (Mylo) और हीलोफाई (Healofy) जैसी एप्स इसका बड़ा उदाहरण हैं।
ऐसा लगता है, किसी ने आपके आंसुओं का नल खोलकर रख दिया हो। पति से थोड़ी बहस हुई, रोना शुरू... मन का खाना नहीं मिला, रोना शुरू... किसी ने आपकी आपकी बात नहीं मानी तो भी रोना शुरू। मगर इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं है। यह सिर्फ हार्मोन्स की वजह से हो रहा है।
जो बेबी अभी इस दुनिया में आया भी नहीं, उसके सामान से आपका कमरा भर चुका होता है। बेबी का पालना, उसका बेड, कपड़े, जूते और न जाने क्या- क्या। आप बज़ार जाती तो अपनी शॉपिंग के लिए हैं लेकिन वापस आती हैं बेबी की शॉपिंग के साथ। कितनी भी शॉपिंग कर लो, मन भरता ही नहीं... क्यों सही कहा न!
आपके लड़का होगा या लड़की, यह तो पता नहीं लेकिन आप उसके नामों की एक अच्छी- खासी लिस्ट ज़रूर तैयार कर लेती हैं। फिर बैठकर हर नाम का मतलब भी खोजती हैं। करें भी क्यों न, यह तो सबसे ज़रूरी काम है।
यह तो न चाहते हुए भी आपसे हो जाता है। आपका सोशल मीडिया अकाउंट प्रेगनेंसी पोस्ट से भर जाता है। बच्चों से जुड़ी कोई जानकारी को, वीडियो हो, या फिर मीम... आप सब शेयर करने लगती हैं। ... और इसमें गलत भी क्या है आखिर यही समय तो है अपने मातृत्व को पूरी तरह से एन्जॉय करने का।
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