जब से कुछ हॉलीवुड एक्टर्स और खिलाड़ियों ने कपिंग थेरेपी वाली अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं, अपने यहां भी कपिंग थेरेपी को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ गया है। कपिंग थेरेपी की मदद से दर्द का इलाज किया जाता है और कहा जाता है कि मसल्स के अंदर हुए घाव और टिश्यूज़ को भी इससे राहत मिलती है। यही नहीं, कहा तो यह भी जाता है कि इंफ्लेमेशन को कम करने में भी मददगार है कपिंग थेरेपी। कपिंग थेरेपी के बारे में पांच हजार साल पहले के दस्तावेजों में भी लिखा गया है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह कोई नई थेरेपी नहीं बल्कि चाइनीज इलाज का पुराना तरीका है, जिसे अब नए तौर पर देखा जा रहा है। कुछ लोग कपिंग थेरेपी को हिजामा भी कहते हैं, जो वैकल्पिक चिकित्सा के तहत आता है।
कपिंग थेरेपी के प्रकार - Types of Cupping Therapy in Hindi
कपिंग थेरेपी से पहले किन बातों का रखें ध्यान - Things to Remember Before Cupping Therapy
कपिंग थेरेपी के फायदे - Cupping Therapy ke Fayde
कपिंग थेरेपी के नुकसान - Side Effects of Cupping Therapy in Hindi
कपिंग थेरेपी के तहत कप के नीचे वैक्यूम बनाकर इन्हें स्किन के खास बिंदुओं पर रखा जाता है, जो स्किन को अपनी ओर खींचता है। इससे पहले कप को अल्कोहल, जड़ी- बूटियों या कागज से गरम किया जाता है। कप को गरम करने के बाद खुले मुंह की तरफ से कप को स्किन पर रख दिया जाता है। स्किन पर जैसे ही कप को रखा जाता है, वहां वैक्यूम बन जाता है और कप स्किन को अपनी ओर खींचता है। कपिंग थेरेपी इलाज का एक परंपरागत तरीका है, जिसे कराने के बाद लोगों को दर्द से राहत मिलती है। इसे आप सक्शन कप भी कह सकते है, जो मसल्स पर प्रेशर नहीं डालता है बल्कि मसल्स को खींचता है। कई दफा कपिंग थेरेपी से स्किन लाल भी पड़ जाती है। लेकिन यह लालिमा कुछ ही दिनों में ठीक भी हो जाती है।
इन दिनों कपिंग चिकित्सा के लिए शीशे के कप का प्रयोग किया जाता है, जो एक ओर से खुला होता है। शीशे के कप के अलावा, कप प्लास्टिक, बांस, मिट्टी, सिलिकॉन के भी बने होते हैं। इन कप्स को कुछ मिनट के लिए स्किन पर विशेष तौर पर रखा जाता है, यह कप स्किन को खींचता है ताकि बीमारी ठीक हो जाए। अब कुछ लोग रबर के पंप का भी प्रयोग करते हैं। कपिंग थेरेपी कई बार सेशन्स में की जाती है। एक सेशन में तीन से पांच कप तक का प्रयोग किया जा सकता है। संभव है कि स्पेशलिस्ट पहली दफा सिर्फ एक कप ही लगाए ताकि वह यह समझ सके कि कपिंग थेरेपी को आपकी स्किन किस तरह ले रही है। कपिंग थेरेपी में कभी- कभार एक्यूपंक्चर भी किया जाता है। इसके लिए स्पेशलिस्ट पहले सुइयों को चुभोता है, उसके बाद वहां कप रखता है।
ताइवान में हुए एक शोध के अनुसार, गर्दन दर्द और कंधे के दर्द से छुटकारा मिलने में कपिंग थेरेपी लाभदायक है। यही नहीं, घुटने के दर्द को भी कम करता है। 2011 में एक अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने दो हफ्ते तक कपिंग थेरेपी के पांच सेशन्स लिए, उनके इलाज में काफी फायदा हुआ। जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल एंड कॉम्प्ल्लिमेंट्री मेडिसिन में 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कपिंग थेरेपी एक्ने, हप्र्स और पेन मैनेजमेंट में फायदेमंद है। ब्रिटिश कपिंग सोसायटी का कहना है कि कपिंग थेरेपी एनीमिया, हीमोफीलिया, आर्थराइटिस, गायनकोलॉजिकल डिसऑर्डर, स्किन प्रॉब्लम्स, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, एंजायटी, डिप्रेशन, अस्थमा और वैरिकोज वेन्स के इलाज में लाभकारी है।
कपिंग थेरेपी दो तरीके से की जाती है, हालांकि वेट कपिंग से लोग ज्यादा इलाज करते हैं।
ड्राई कपिंग थेरेपी के तहत कप को गरम खुशबूदार तेलों में डूबोने के बाद स्किन के खास एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर ख दिया जाता है ताकि यह कप अपना इलाज कर सके। इससे वैक्यूम क्रिएट होता है और कप के अंदर हवा ठंडी हो जाती है, जो स्किन को खींचती है और इस तरह इलाज होता है। कुछ तरीकों में अल्कोहल में रुई को भिगोकर जलाया जाता है। इसके जरिए कप को गरम करने के बाद स्किन पर रखा जाता है। इसे कुछ लोग फायर कपिंग भी कहते हैं। कपिंग थेरेपी के तहत कप को स्किन पर पांच- दस मिनट के लिए ही रखा जाता है।
वेट कपिंग थेरेपी के तहत इलाज के दौरान कप को तुरंत हटा दिया जाता है। इस दौरान स्किन से खून को निकालने के लिए एक चीरा भी लगाया जाता है, जो काफी छोटा होता है। वेट कपिंग को हिजामा भी कहा जाता है और हिजामा के फायदे (hijama ke fayde) भी बहुत लाभदायक हैं। बस इस बात का ध्यान रखें जहाँ से भी आप हिजामा करवा रहे हैं, उन्हें हिजामा करने का तरीका सही से पता हो।
कपिंग थेरेपी के कई फायदे हैं (hijama therapy benefits in hindi)। अमूमन लोग स्किन को खूबसूरत बनाने या मांसपेशियों के दर्द से राहत पाने के लिए कपिंग थेरेपी के सेशन्स लेते हैं।
कपिंग थेरेपी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़िया करने में कारगर है। खासकर शरीर के उस हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को तेज कर देता है, जहां कप लगाए जाते हैं। इससे मसल्स को प्रेशर से मुक्ति मिलती है। नसों को मजबूती प्रदान करके रक्त संचार को बढ़ाता है।
आप भले ही हेल्दी डाइट ले रही हों, लेकिन हवा में व्याप्त प्रदूषण के जरिए टॉक्सिन आपके शरीर में प्रवेश कर ही जाते हैं। ऐसे में कपिंग थेरेपी शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का भी काम करता है। यह ब्लड सप्लाई को सुधार कर डेड स्किन सेल्स को खत्म करता है और तुरंत शरीर से खून के जरिए टॉक्सिन को बाहर निकालता है।
इंफ्लेमेशन किसी मसल या टिश्यू ग्रुप में हो सकता है। कपिंग थेरेपी शरीर के उस प्रभावित हिस्से में रक्त सुर्कलेशन को दुरुस्त करके इंफ्लेमेशन को कम करता है। जैसे ही रक्त संचार दुरुस्त होता है, इंफ्लेमेशन ठीक होने लगता है।
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जिन लोगों को स्किन से संबंधित समस्याएं हैं, वे कपिंग थेरेपी के जरिए इसे ठीक कर सकती हैं। फिर चाहे एक्ने, हप्र्स या पिंपल्स ही क्यों न हो। कपिंग थेरेपी बैक्टीरिया से लड़ता है, और स्किन को शुद्ध करता है। खून से हर तरह की गंदगी को बाहर निकालता है।
उम्र बढ़ने को कौन नहीं रोकना चाहता है? सबकी चाहत यही है कि वह जवां और खूबसूरत दिखे। स्किन पर कपिंग का प्रयोग करके साफ, स्मूद और डिटॉक्सिफाई स्किन को पाया जा सकता है, जो व्यक्ति के युवा दिखने के लिए पर्याप्त है।
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कपिंग थेरेपी दर्द से राहत दिलाने में सहायक है। यह टिश्यू को कोमल करता है, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह उन हिस्सों पर बढ़ता है जहां इनकी जरूरत होती है। खून के थक्के को दूर करके मांसपेशियों में होने वाले दर्द को भी ठीक करता है। यह क्रोनिक दर्द को भी दूर करने में प्रभावशाली माना जाता है। इसके जरिए दर्द से छुटकारा पाने वालों का कहना है कि दर्द से निजात दिलाने में मसाज से कहीं ज्यादा राहत उन्हें कपिंग थेरेपी से मिली।
अन्य मसाज के बजाय कपिंग कुछ ज्यादा ही राहत दिलाने वाला माना जाता है। इसका प्रयोग एक सूदिंग माहौल में किया जाता है। कपिंग के दौरान रिलैक्सेशन का अनुभव होगा, जिसमें कप को शरीर के विभिन्न हिस्सों पर घुमाया जाता है। इलाज की यह पूरी प्रक्रिया अपने आपमें राहत दिलाने और तनाव को दूर करने वाली है।
कपिंग थेरेपी के बाद तमाम तरह की एलर्जी से भी व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। क्योंकि यह शरीर के अंदर रहने वाले खराब बैक्टीरिया को निकालने में मददगार है। यह सदी- खांसी के इलाज में भी प्रभावशाली है, जो रिस्पायरेटरी सिस्टम से म्यूकस और बलगम को बाहर निकालता है। साथ ही इम्यून सिस्टम की हीलिंग भी करता है।
कपिंग थेरेपी पेट से संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए भी बढ़िया है। शरीर में अल्सर या कब्ज का होना आम है। यदि समय रहते इन्हें ठीक न किया जाए तो ये आगे चलकर मुसीबत बन सकते हैं। कपिंग थेरेपी के जरिए शरीर पोषक तत्वों को बेहतरी से ग्रहण कर लेता है। इस तरह से पाचन तंत्र में सुधार लाता है। इसके बाद व्यक्ति की भूख लगने की क्षमता भी बढ़ती है।
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कपिंग थेरेपी कराने से पहले आपको यह जानने का अधिकार है कि आप जिसके पास कपिंग थेरेपी के लिए जा रही हैं, वह इसके लिए प्रशिक्षित तो है। आपको स्पेशलिस्ट से यह पूछना चाहिए कि कपिंग थेरेपी में वे किस तरह के कप का इस्तेमाल करते हैं और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं।
संभव है कि पहली कपिंग थेरेपी सेशन के दौरान आप नर्वस हों। आपको डर लग रहा हो कि आपके साथ क्या होने जा रहा है। लेकिन चिंता करने या घबराने की कोई बात नहीं है। यह सब सामान्य है। कपिंग थेरेपी इलाज का एक सुरक्षित तरीका है। एक सेशन लगभग बीस मिनट से लेकर आधे घंटे तक का हो सकता है।
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कपिंग थेरेपी या हिजामा के नुकसान भी हैं (cupping therapy ke nuksan)। कपिंग थेरेपी इलाज का सुरक्षित तरीका है। लेकिन इसे कराने के लिए आपको प्रोफेशनल के पास ही जाना चाहिए। हां, स्किन के जिस हिस्से को कप छूते हैं, वहां हल्की असुविधा, जलन, चोट या स्किन इंफेक्शन होने की आशंका कभी- कभार रहती है। यह भी संभव है कि इलाज के दौरान आपको डिजीनेस महसूस हो। या पसीना आए या फिर नॉजिया महसूस हो।
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कपिंग थेरेपी किस तरह की जाती है?
कपिंग थेरेपी वैकल्पिक चिकित्सका पद्धति का एक तरीका है, जिसमें थेरेपिस्ट आपके शरीर पर कुछ मिनटों के लिए खास डिजाइन किए कप रखते हैं ताकि स्किन में वैक्यूम क्रिएट हो सके।
कपिंग थेरेपी से मसल्स में क्या होता है?
कपिंग थेरेपी के तहत सक्शन के जरिए मसल्स को ढीला किया जाता है, जिससे रक्त का संचार तेज होता है और नर्वस सिस्टम को राहत मिलती है। इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए कारगर माना जाता है।
कपिंग थेरेपी को कितने अंतराल के बाद अमूमन कराना चाहिए?
देखा जाए तो इसके बारे में स्पेशलिस्ट ही बेहतर बता सकता है।वैसे, सप्ताह में दो बार कपिंग थेरेपी के सेशन लिए जा सकते हैं।
क्या कपिंग थेरेपी वजन घटाने में भी सहायक है?
कपिंग उस एनर्जी को रीस्टोर करने में मदद करती है, जिसकी जरूरत आपके शरीर को फैट सेल्स को हटाने के लिए पड़ती है। यदि इसके साथ आप हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज कर रही हैं तो इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
कपिंग थेरेपी के मुख्य साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
पसीना आना या नॉजिया महसूस होना, इसके आम साइड इफेक्ट्स हैं। इलाज के बाद स्किन पर लाल निशान पड़ जाते हैं। आपको डिजीनेस हो सकता है। साथ ही स्किन इंफेक्शन होने के चांसेज भी रहते हैं।
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