सदियों से भोजन, मालिश व मंगल कार्यों में तिल के तेल (Sesame Oil) का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से तिल का तेल बेहद फायदेमंद माना जाता है। शायद इसी वजह से भारत में धार्मिक एवं मांगलिक कार्यों में तिल का तेल रखने पर जोर दिया जाता है। यहां तक कि हवन, पूजा- अर्चना और विवाह की रस्मों में भी इसकी मौजूदगी को अनिवार्य माना जाता है। तिल के तेल का इस्तेमाल खाने की चीज़ों में तो किया ही जाता है, अपने औषधीय गुणों के चलते यह त्वचा में निखार लाने व बालों की सेहत संवारने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। तिल का तेल तिल के बीजों (sesame seeds) से निकाला जाता है। तिल के बीज छोटे व पीले- भूरे रंग के होते हैं, जो मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाते हैं। चाइनीज़, जापानी व कई अन्य प्रकार के व्यंजनों में भी तिल का इस्तेमाल किया जाता है।
तिल का तेल बालों के लिए - Benefits Of Sesame Oil For Hair
हड्डियों के लिए फायदेमंद है तिल का तेल - Sesame Oil For Bones
तिल के तेल के अन्य फायदे - Other Benefits Of Sesame Oil
तिल के तेल के नुकसान - Side Effects Of Sesame Oil
तिल के तेल के इतने सारे फायदे हैं कि आप उनके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे।
अपनी त्वचा का ख्याल रखने व निखार पाने के लिए आप तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं।
सुबह- शाम चेहरे पर तिल का तेल लगाने से चेहरे को नमी मिलती है। सर्दियों में चेहरे पर तिल का तेल लगाने से त्वचा पर ग्लो (glow) आता है।
इस तेल में एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) और विटामिन ई (Vitamin E) मौजूद होते हैं, जो स्किन को फ्री रैडिकल्स (free radicals) से बचाकर सनस्क्रीन का काम करते हैं।
चेहरे पर तिल का तेल लगा लें। 5 मिनट बाद चेहरे पर चावल का पाउडर लगाकर स्क्रब करें। स्क्रब करने के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें और कुछ समय बाद चेहरे पर ठंडे पानी का छिड़काव करें। इससे त्वचा में कोमलता आती है।
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तिल के तेल में एपल साइडर विनेगर (apple cidar vinegar) मिलाकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद चेहरे को गर्म पानी से धो लें। इससे चेहरे पर जमा गंदगी निकल जाती है और तैलीय त्वचा से भी राहत मिलती है।
तिल के तेल में मुल्तानी मिट्टी और हल्दी (turmeric) मिलाकर 30 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें। यह चेहरे पर निखार लाते हुए सन टैन से भी बचाव करेगा।
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तिल के तेल में विटामिन ई (Vitamin E), कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium), फॉस्फोरस (Phosphorus) और प्रोटीन (Protein) पाया जाता है। बालों के संपूर्ण पोषण के लिए तिल का तेल काफी फायदेमंद माना जाता है।
तिल के तेल को हल्का गर्म कर लें, फिर हल्के हाथों से स्कैल्प पर मसाज करें। कुछ देर तक तेल को बालों में लगाए रखने के बाद नॉर्मल पानी से धो लें। इससे बालों को भीतर से पोषण (nutrition) मिलता है।
बालों में तिल का तेल लगाने से उनका रूखापन दूर होता है और खोई हुई चमक भी लौट आती है। अगर आपके बाल रूखे और बेजान हो गए हैं तो तिल के तेल का इस्तेमाल ज़रूर करें।
तिल के तेल में बालों को मजबूती देने का गुण पाया जाता है। अगर आप बालों के झड़ने (hair fall) की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसका उपयोग फायदेमंद साबित होगा।
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तिल के तेल से बालों की मसाज करने पर ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) बेहतर होता है, जिससे बाल तेज़ी से बढ़ते हैं। अगर बाल पूरी तरह बढ़ने से पहले ही टूट जाते हैं तो भी तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बालों में डैंड्रफ (dandruff) यानि कि रूसी हो गई हो या सिर में जुएं (lice) की समस्या से परेशान हों तो भी तिल का तेल आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
त्वचा और बालों के साथ ही तिल का तेल स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। जानिए, उसके फायदे।
तिल के तेल को अपने मुंह के अंदर चारों तरफ लगाने से मसूढ़ों की सूजन कम होती है। सुबह ब्रश करने से पहले 10 मिनट तक दांतों में तिल का तेल रगड़ने से फायदा मिलता है। तिल के तेल का इस्तेमाल ऑयल पुलिंग (oil pulling) प्रक्रिया के दौरान भी किया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ समय के लिए तेल को मुंह के अंदर भरकर कुल्ला कर दिया जाता है। माना जाता है कि तिल के तेल का इस्तेमाल करने से मुंह के सारे हानिकारक कीटाणु खत्म हो जाते हैं और दांत चमकने लगते हैं।
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तांबा (Copper) स्वाभाविक रूप से सूजन को कम करने वाला पदार्थ माना जाता है। तिल के तेल में तांबे का स्तर काफी ज्यादा होता है, जिससे सूजन व गठिया जैसी कई गंभीर परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है। यह जोड़ों की सूजन को कम करते हुए हड्डियों और रक्त वाहिकाओं को मजबूती भी प्रदान करता है। लंबे समय से माना जा रहा है कि तिल का तेल (til ka tel) अस्थि पंजर को मजबूत रखता है और सालों से शरीर में जमी हुई दर्दनाक सूजन को भी खत्म करने का गुण रखता है।
तिल के तेल में तांबा, जस्ता और कैल्शियम (Calcium) पाए जाते हैं। ये तीनों ही खनिज हड्डियों के विकास में सहायता करते हैं। अगर खाने में तिल के तेल का इस्तेमाल करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। तिल का तेल वृद्ध लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस (ostioporosis) और उम्र से संबंधित हड्डियों की विभिन्न बीमारियों से बचाव करता है। तिल के तेल में मौजूद जस्ता और तांबा रेड ब्लड सेल्स (red blood cells), ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) और मेटाबॉलिज्म (metabolism) के उत्पादन में मदद करता है। यह हड्डियों की पुनर्वृद्धि की गति को भी सुधारता है।
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तिल के तेल में टायरोसिन (tyrosine) नामक एमिनो एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है। टायरोसिन शरीर को कुछ ऐसे एंजाइम (enzyme) और हॉर्मोन (hormone) से भर देता है, जिनसे व्यक्ति का मूड अच्छा होता है और वह खुश महसूस करने लगता है। तिल के तेल में सेरोटोनिन (serotonin) भी मौजूद होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जिन फूड प्रोडक्ट्स में सेरोटोनिन मौजूद होता है, उनका सेवन करने से व्यक्ति सकारात्मक महसूस करने लगता है और उसका अवसाद (stress/ depression) भी दूर होता है।
तिल में सेसमीन और सेसमॉल की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। ये पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स (polyunsaturated fatty acids) होते हैं, जिनसे भोजन का स्वाद भी बेहतर होता है। यह हृदय प्रणाली को संतुलित और कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) के स्तर को कम रखता है। यह शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी खत्म कर देता है। अगर आप खानपान में तिल के तेल का इस्तेमाल करते हैं तो स्ट्रोक (stroke) व दिल का दौरा पड़ने से सुरक्षित रह सकते हैं।
तिल के तेल में फाइटेट (phytate) नामक कंपाउंड (compound) मौजूद होता है, जो सीधे कैंसर (cancer) के विकास को रोकने के लिए जाना जाता है। तिल के तेल में मैग्नीशियम (magnesium) का स्तर भी अधिक होता है, जो कोलोरेक्टल कैंसर (coloractal cancer) की आशंका को कम करने के लिए मददगार साबित होता है। तिल के तेल में मौजूद कैल्शियम पेट के कैंसर से बचाव करने में सहायक माना जाता है।
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तिल के तेल में पाए जाने वाले पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड वजन को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये लेप्टिन के प्लाज्मा (plasma) स्तर को बढ़ाते हैं, यह एक ऐसा हॉर्मोन है, जो एनर्जी के बैलेंस को बनाए रखता है और भोजन के सेवन को भी दबाता है। जो लोग नियमित तौर पर तिल के तेल से बना हुआ खाना खाते हैं, उन्हें अपने वजन को नियंत्रित रखने में काफी मदद मिलती है।
लीवर (Liver) के लिए तिल का तेल प्रकृतिक टॉनिक के तौर पर काम करता है। यह रक्त का प्रवाह बेहतर करता है, जिससे आंखों को पोषण मिलता है। जिन लोगों को धुंधला दिखता हो या जिनकी आंखें थकी- थकी रहती हों, यह उनका इलाज भी कर सकता है।
अगर तिल के तेल से नियमित तौर पर आंखों की पलकों की मालिश की जाए तो डार्क सर्कल्स (dark circles) और झुर्रियों (wrinkles) को हटाने में भी मदद मिल जाती है।
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तिल के तेल में लौह (iron) तत्व की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है। अपने इसी गुण के कारण यह एनीमिया का इलाज करने में मददगार साबित होता है। सिर्फ एनीमिया ही नहीं, बल्कि शरीर में लोहे की कमी से होने वाली अन्य बीमारियों का भी इलाज तिल के तेल से किया जा सकता है।
अगर 45 दिनों तक खाना पकाने के लिए किसी दूसरे कुकिंग ऑयल (cooking oil) के बजाय तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो डायबिटीज़ (diabetes) यानि कि मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों में ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है। तिल के बीज मैग्नीशियम के साथ ही कई अन्य पोषक तत्वों का भी अच्छा स्त्रोत हैं। ये सब मिलकर ग्लूकोज के स्तर को कम करने के लिए तिल को सक्षम बनाते हैं, जिससे डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।
तिल के फायदों (til ka tel benefits) के बारे में तो आपने जान ही लिया, अब हम आपको बताएंगे कि इसके तेल से मालिश करने से आपको क्या- क्या फायदे हो सकते हैं।
1. बालों में तिल के तेल से मालिश करने से पतले, कमजोर और दोमुंहे बालों को ठीक किया जा सकता है। अगर तिल के तेल में ब्राह्मी या अन्य कोई जड़ी- बूटी भी मिला दी जाए तो अधिक फायदा मिल सकता है।
2. सर्दियों में तिल के तेल से शरीर की मालिश करने से सर्दी से बचाव किया जा सकता है। तिल और मिश्री का काढ़ा बनाकर पीने से जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है।
3. अगर छोटे बच्चों की मालिश तिल के तेल से की जाए तो उनका शारीरिक विकास बेहतर होता है। 4 सप्ताह तक तिल के तेल से मालिश करने से शिशु विकास में सुधार होता है।
4. तिल के तेल की रोज़ाना मालिश से हर तरह के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं और त्वचा की नमी भी लौट आती है।
5. कमर और पीठ में दर्द होने की स्थिति में तिल के तेल में हींग और सौंठ मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
तिल के तेल का इस्तेमाल करने व उससे मालिश करने के अलावा भी उसके कई फायदे हैं, जानिए उन फायदों के बारे में।
1. कभी- कभी कुछ ज्यादा उम्र वाले बच्चे भी बिस्तर में पेशाब कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में 50 ग्राम तिल के तेल में 200 ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह- शाम बच्चे को कुछ दिनों तक दें। इसकी मात्रा 5- 10 ग्राम ही रखें, बच्चे को कुछ ही दिनों में इस आदत से छुटकारा मिल जाएगा।
2. पेट में दर्द हो रहा हो तो गुनगुने पानी में काला तिल मिलाकर पीने से राहत मिलेगी।
3. बवासीर की समस्या से परेशान हों तो रक्तस्त्राव को रोकने के लिए 10 ग्राम काले तिल को ज़रा से पानी में पीस लें, फिर उसमें एक चम्मच मक्खन मिलाकर चाटें। आप चाहें तो उसमें मिश्री भी मिला सकते हैं।
4. अगर दांतों से संबंधित कोई समस्या हो तो सुबह दांत साफ करने के बाद खाली पेट तिल को चबा- चबा कर खाएं। ऐसा करने से दांतों को मजबूती मिलती है।
5. चेहरे पर अगर दाग या कील मुहांसे हो गए हों तो तिल को पीसकर मक्खन के साथ प्रभावित जगह पर लगाएं। फायदा ज़रूर मिलेगा।
जहां इतने सारे तिल के तेल के फायदे (Til ke Tel ke Fayde) हैं, वहीं उसके नुकसान से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। जानिए, तिल के तेल का ज्यादा इस्तेमाल करने पर होने वाले नुकसान के बारे में।
1. शरीर के वजन में वृद्धि हो सकती है।
2. तिल का सेवन करने से एलर्जी (allergy) हो सकती है। तिल हो या उसका तेल, अगर आप उसके प्रति संवेदनशील हैं तो आपको पाचन संबंधी समस्या, आंखों में सूजन, नाक का बहना व दमा आदि हो सकता है।
3. तिल का तेल अगर अधिक इस्तेमाल किया जाए तो कोलन कैंसर (colon cancer) का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
4. अगर आप खून को पतला करने वाली कोई दवा खा रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही तिल के तेल का सेवन करें।
5. तिल के तेल का ज्यादा सेवन करने से अपेंडिक्स संक्रमण (appendix infection) भी हो सकता है।
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