बॉलीवुड से शुरू हुआ #MeToo India अभियान अब मीडिया व दूसरे क्षेत्रों तक भी पहुंच चुका है। अपने बॉस या दूसरे किसी परिचित के शोषण का शिकार हुई लड़कियां अब इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रही हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वे अपने साथ हुए शोषण की कहानी भी दुनिया के सामने बयां कर रही हैं। 10 लड़कियों से बात कर हमने जाना कि उनके साथ क्या हुआ था और उन्होंने उस दौर का सामना कैसे किया। इनमें वे सभी लड़कियां शामिल हैं, जो जिंदगी के किसी- न- किसी मोड़ पर अपने बॉस, मामा/ चाचा/ भाई व अन्य रिश्तेदार या टीचर के शोषण का शिकार हुई हैं। किन्हीं वजहों से ये उस समय खुलकर इस बारे में बात नहीं कर सकीं पर अब आगे आकर अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं। (इन लड़कियों के नाम बदल दिए गए हैं)
#MeToo India : मिस यूनिवर्स ने कहा मीटू
#MeToo India अभियान (#Metoo Stories India)
नौकरी के बहाने शोषण की कोशिश – निशी शुक्ला
मैं ग्रैजुएशन के लास्ट ईयर में थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मुझे कोर्स खत्म होते ही नौकरी ढूंढनी थी। मेरे कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट का सिस्टम नहीं था इसलिए सभी स्टूडेंट्स अपने सोर्स से ही नौकरी की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से मेरी दोस्ती एक ऐसे शख्स से हुई, जो देश के एक नामी चैनल के शो का प्रोड्यूसर था। बातचीत में उसने मुझे नौकरी का झांसा देकर प्रेस क्लब बुलाया। मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनके दिमाग में इंटरव्यू के बजाय कुछ और ही चल रहा था। जब मैं वहां पहुंची तो उसने व उसके दोस्तों ने मुझे ड्रिंक ऑफर किया। मुझे माहौल अटपटा लगा तो मैं वहां से लौटने लगी। बाहर निकलकर मुझे एहसास हुआ कि वे लोग मुझे फॉलो कर रहे थे। नशे में धुत्त वह प्रोड्यूसर व उसके दोस्त सन्नाटे का फायदा उठाते हुए मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगे थे। मैं किसी तरह वहां से भाग तो आई थी पर आज भी उस शाम को याद कर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अब MeToo कैंपेन के शुरू होने पर मैं अपना दिल कुछ हल्का कर पाई हूं।
उसकी वजह से मार्केट जाना भूल गई थी – कीर्ति
उस समय मैं 12वीं क्लास में थी। घर व बाहर की कई ज़िम्मेदारियां संभालते हुए पढ़ाई भी पूरी कर रही थी। गर्मियों की दोपहर में कुछ सामान खरीदने के लिए मार्केट गई थी। मेरे घर के पास एक दुकान थी, जिस पर एक लड़का बैठा करता था। उस दिन उस दुकान पर लड़के की जगह उसके पिता बैठे हुए थे। जब मैंने उनसे कुछ सामान निकालने को कहा था तो वे फोन में काफी व्यस्त होने के कारण मेरी बात को सुन नहीं पाए। मैं थोड़ा पास जाकर अपनी बात उन्हें समझाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे दुकान के अंदर खींच लिया। फिर वे मुझे अपना फोन दिखाने लगे, जिस पर वे कोई अश्लील फिल्म देख रहे थे। मैंने चिल्लाने की कोशिश की तो उस आदमी ने दुकान का शटर गिरा दिया। लगभग 15 मिनट बाद उनके बेटे के लौटने पर ही मैं वहां से निकल पाई। उस घटना का मुझ पर ऐसा असर हुआ था कि मैं कई दिनों तक घर से निकलना ही भूल गई थी। आज उस पल को याद करती हूं तो लगता है कि मुझे उसी दिन सबको इसके बारे में बता देना चाहिए था।
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मेरे बॉस ने मुझे नौकरी से निकलवा दिया – शालिनी सिंह
मैं देश के एक नामी मीडिया हाउस के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम करती थी। मेरा बॉस मुझे अक्सर बिना मतलब के ऑफिस में देर रात तक रोकता था। मना करने पर उल्टी- सीधी बातें करता था। एक बार उसने मेरे साथ बद्तमीजी करने की कोशिश की। मैंने उसी समय शोर मचाकर लोगों को वहां इकट्ठा कर लिया था। सबने अपनी आंखों से देखा था कि मेरे साथ क्या हुआ है, पर मैनेजमेंट के सामने किसी ने भी अपना मुंह नहीं खोला। दूसरे डिपार्टमेंट के कुछ लोग मेरा साथ देने को तैयार हुए तो उन सभी की उस महीने की सैलरी रोक दी गई। मैं फिर भी पीछे नहीं हटी और पुलिस स्टेशन जाकर रिपोर्ट दर्ज करवा दी। मेरा बॉस काफी सीनियर था और जनरल मैनेजर का करीबी भी… पुलिस रिपोर्ट का इन लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा, बल्कि मुझे ही टर्मिनेशन लेटर थमा दिया गया। अगले दिन जब फिर पुलिस स्टेशन पहुंची तो मुझ पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। धमकियों से डरकर मुझे अपने कदम वापस खींचने पड़े थे। मीटू कैंपेन ऐसे लोगों की असलियत सामने ज़रूर लाएगा।
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अफसोस कि वह मेरा टीचर था – मीनल गुप्ता
मैं कानपुर के एक नामी स्कूल की स्टूडेंट थी। स्कूल से आने के बाद दो घंटे मैं घर पर ही ट्यूशन पढ़ती थी। इस टीचर से पढ़ते हुए मुझे एक महीना हो चुका था। एक दिन उसने मेरी मम्मी से कहा कि बाहर से शोर बहुत आता है, अब से इसे पढ़ाते वक्त मैं कमरा बंद कर लिया करूंगा। एक- दो दिन उसने कमरे का दरवाजा बंद करके ठीक से पढ़ाया और फिर तीसरे दिन से उसने मेरे साथ गंदी हरकतें शुरू कर दीं। वह कभी पढ़ाते- पढ़ाते अचानक अपना हाथ मेरे हाथ पर रख देता तो कभी टेबल के नीचे से पैर मारता था। कुछ दिन तो मुझे समझ में नहीं आया कि वह कर क्या रहा है पर फिर एक दिन बायोलॉजी पढ़ाते हुए उसकी हरकतें कुछ ज्यादा ही बढ़ गईं। उसने मुझे हाथ नहीं लगाया था पर अपने प्राइवेट पार्ट दिखाकर मुझे उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा था। उस दिन घर में कोई नहीं था। मम्मी- पापा के वापस आते ही मैंने उन्हें पूरी बात बताई और अगले दिन से ही उसे घर आने के लिए मना कर दिया गया था।
इंटरव्यू में ऐसे होता था सेलेक्शन – दिव्या सक्सेना
एक साल पहले मैं जॉब के लिए अलग- अलग कंपनियों में अप्लाई कर रही थी। तभी मेरे पास एक कंपनी से इंटरव्यू के लिए कॉल आया। इंटरव्यू के एक दिन पहले उस कंपनी के हेड का कॉल आया और उसने मुझे मिलने के लिए बाहर बुलाया मगर मैं गई नहीं। इंटरव्यू वाले दिन मैंने देखा कि वहां मेरे जैसे ही 6 कैंडीडेट्स और थे, जिनमें 4 लड़कियां और 2 लड़के शामिल थे। बॉस सभी लड़कियों को इंटरव्यू के पहले एक- एक करके अपने क्यूबिकल में बुला रहा था (उन दोनों लड़कों को अंदर नहीं बुलाया था)। इंटरव्यू खत्म होने के एक घंटे बाद ही मेरे पास उस व्यक्ति का मैसेज आया कि उसे व उसकी टीम को मेरा प्रोफाइल और टेस्ट काफी पसंद आया है। वे लोग मुझे हायर करने के लिए काफी पॉजिटिव हैं पर उससे पहले मुझे एक बार उससे बाहर मिलना पड़ेगा। उसने मुझे कई डबल मीनिंग मैसेज भेजे, जिसके बाद मैंने खुद ही डिसाइड कर लिया कि उस बॉस के रहते हुए तो उस कंपनी में कभी नहीं जाऊंगी। मैं MeToo कैंपेन के साथ हूं।
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ऑडिशन के समय हुई गलती – अंजलि वर्मा
मैं एक छोटे शहर की लड़की हूं और अपने स्कूल- कॉलेज के हर फंक्शन में काफी सक्रिय रहती थी। मैं मॉडलिंग व एक्टिंग की दुनिया में करियर बनाना चाहती थी। उसी समय मेरी एक दोस्त ने बताया कि शहर में एक मॉडलिंग एजेंसी के कुछ लोग आने वाले हैं, जो यहां की लड़कियों के ऑडिशन लेंगे। मैं घर पर बिना बताए ऑडिशन की तैयारी करने लगी और उस एजेंसी के पते पर अपनी कुछ फोटोज़ भी भेज दीं। लगभग एक हफ्ते बाद मुझे शहर के ही एक होटल में बुलाया गया। होटल के कमरे में दो लड़के व एक लड़की मौजूद थी। उन लोगों ने मुझे अलग- अलग कपड़ों में कुछ शॉट्स देने को कहा और आखिरी में मेरे सभी कपड़े उतरवा दिए। उस समय मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था, मैं बस मुंबई पहुंचना चाहती थी। कुछ समय बाद उसी टीम का एक लड़का मुझे ब्लैकमेल करने लगा। आखिर में तंग आकर मुझे घर पर सब बताना पड़ा और फिर घरवालों की मदद से ही मैं पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा पाई थी।
फील्ड पर जाने के बहाने छेड़छाड़ – आंचल श्रीवास्तव
मैं एक मीडिया हाउस में इंटर्नशिप कर रही थी। एक बार किसी बड़े इवेंट का इनवाइट आया तो मेरे बॉस ने मुझे भी साथ चलने को कहा। कार्यक्रम के शुरू होने के 10 मिनट पहले हम लोग ऑफिस से निकले। फिर शॉर्टकट से चलने के बजाय वे काफी लंबे रास्ते से जाने लगे। जब तक हम लोग वहां पहुंचे, इवेंट खत्म हो चुका था। वहां से वापस आने लगे तो बॉस को भूख लगने लगी। एक जगह रुककर हम लोगों ने स्नैक्स लिए और फिर ऑफिस की तरफ लौटने लगे। तभी उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके घर चलना चाहूंगी। इस पर मैंने उनसे वहीं गाड़ी रोकने को कहा। मगर मेरी बात मानने के बजाय वे मेरा हाथ दबाने लगे। इस पर मैंने उन्हें गाड़ी से कूद जाने की धमकी दी। पहले तो उन्होंने मेरी धमकी को अनसुना कर दिया पर जब मैंने कार का दरवाजा खोल दिया तो उन्हें समझ में आया कि मैं उनकी बातों में नहीं आने वाली हूं। मैं बीच रास्ते में ही कार से उतर गई और अगले दिन से ऑफिस जाना बंद कर दिया।
मेरे घर में ही था हैवान – रेणुका टंडन
यह बात उन दिनों की है, जब मेरी मम्मी को एक महीने के लिए गांव जाना पड़ा था। उस एक महीने मैं अपनी नानी के घर पर रही थी। वहां उन दिनों मेरे दूर के मामा आए हुए थे। मुझे अकेले नींद नहीं आती थी तो मैं मामा और मौसी के साथ सोती थी। एक रात मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे नाइट सूट के बटन खोल रहा है। मगर नींद में मुझे ठीक से कुछ समझ नहीं आया और मैं फिर सो गई। कुछ दिनों बाद फिर वही हुआ तो मुझे मामा पर शक हुआ। एक दिन घर में सिर्फ मैं और मामा थे, ऐसे में मैंने उन्हें धमकी दी कि अब अगर उन्होंने मेरे साथ ऐसी कोई हरकत की तो मैं घरवालों को सब बता दूंगी। डरने के बजाय वे मेरे साथ और गंदी हरकतें करने लगे। मेरे चीखने पर उन्होंने मुझे स्टोर रूम में बंद कर दिया और मेरे साथ गलत काम किया। बाद में मुझे मार डालने की धमकी भी दी। डर के मारे मैंने इस हादसे के बारे में कभी किसी को नहीं बताया। इस घटना को 5 साल हो चुके हैं पर मैं आज भी इससे उबर नहीं पाई हूं।
#MeToo India : किसने लगाए आरोप और किसने मांगी माफी
मेरा बॉयफ्रेंड ही मेरा आरोपी था – अंशुमाला
मैं दो साल से एक लड़के के साथ रिलेशनशिप में थी। नौकरी के बाद हम दोनों ने साथ रहने का फैसला कर लिया था। लिव इन में रहने के दौरान मुझे उसका असली चेहरा नज़र आने लगा था पर मैं उससे अलग होने की बात सोच भी नहीं सकती थी। वह मुझे फिजिकली टॉर्चर नहीं करता था पर मेंटली उसने मुझे बहुत कमजोर कर दिया था। वह बात- बात पर मुझसे रुपये ऐंठता था और हर दिन एक नई लड़की के साथ वक्त गुजारता था। सब कुछ जानते हुए भी मैं शांत रहती थी। मगर एक दिन जब मैंने उसे अपनी बहन के साथ पकड़ा तो मैंने अपना आपा खो दिया। उस दिन मैंने चुप रहने के बजाय सबको उसकी हरकतों के बारे में बता दिया। मैं बहुत दुखी हुई थी, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं कभी उसके खिलाफ कुछ बोल भी सकती हूं। मैंने उससे अपने सभी रुपये वापस लेकर अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीना शुरू कर दिया था। अभी कुछ दिनों पहले ही पता चला कि MeToo कैंपेन के तहत किसी ने उसके कारनामों के काले चिट्ठे उजागर किए हैं।
इसमें गलती मेरी भी थी – दीवा अग्रवाल
मैं ढाई साल से एक व्यक्ति के साथ रिश्ते में हूं। हम दोनों काफी करीब हैं और कभी भी एक- दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते थे। पता नहीं अचानक मुझे क्या हुआ और किसी दूसरे इंसान की बातों में आकर मैंने अपने पार्टनर से बातें छुपानी शुरू कर दीं। मैं सोच रही थी कि यह सब मैं हम दोनों की भलाई के लिए कर रही हूं पर दरअसल, हुआ कुछ और ही। वह दूसरा व्यक्ति मेरे पार्टनर का बेस्ट फ्रेंड था और हम तीनों कहीं बाहर घूमने जाने का प्लान बना रहे थे। मगर स्थिति बदल गई और हमें कुछ दिनों के लिए प्लान कैंसिल करना पड़ा। तभी उस दोस्त ने मुझसे कहा कि वह अभी अपने घर पर अपने वीक ऑफ्स के बारे में नहीं बता सकता है और इसलिए हर वीक ऑफ पर मेरे घर में ही रहेगा पर किसी वजह से उसने मुझे अपने पार्टनर को कुछ भी बताने के लिए मना कर दिया था। इसी दौरान हमारे बीच में कुछ ऐसा हो गया, जिसके बारे में मैं चाह कर भी अपने पार्टनर को नहीं बता पाई और हमारे रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई। अपनी इस गलती में मैं भी पार्टनर के दोस्त के साथ बराबर की जिम्मेदार हूं।
#MeToo India की मुहिम का फायदा भी देखा जा रहा है। बात चाहे सेलिब्रिटीज़ की हो या आम लोगों की, जिस किसी पर भी यौन शोषण का आरोप लगा है, उस पर तुरंत एक्शन लिया जा रहा है। अगर आरोपी पर कोई लीगल एक्शन नहीं लिया जा रहा है तो वह सोशल मीडिया ट्रायल में तो फंस ही रहा है। आने वाले समय में उम्मीद की जा सकती है कि #MeToo India अभियान सफल रहेगा और लोग कोई भी गलत कदम उठाने से पहले 10 बार ज़रूर सोचेंगे। मगर इस कैंपेन में कई ऐसे केस भी देखने को मिल रहे हैं, जो पड़ताल के बाद गलत पाए गए। जब देश में ऐसी किसी मुहिम की शुरुआत होती है तो सभी को कोशिश करनी चाहिए कि उसकी विश्वसनीयता पर संदेह न खड़ा हो।
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