कई बार हम जाने-अनजाने कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनका अंजाम हमारी जिंदगी बर्बाद कर सकता है। लेकिन जरूरी नहीं है कि अंजाम बुरा ही हो.. वो खूबसूरत भी हो सकता है। इस बार ‘मेरा पहला प्यार’ सिरीज में हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी ही लव स्टोरी के बारे में, जिसके प्यार के लिए भले दुनिया की नजरों में नफरत हो लेकिन उन्हें अपने प्यार पर नाज़ है। पढ़िए उस गुमनाम लड़की की पहले प्यार की कहानी उसी की जुबानी..
ये बात उन दिनों की है जब मैं अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करके नौकरी की तलाश कर रही थी। लगभग हर प्राइवेट कंपनी में मैंने अपना CV दे दिया था। ताकि कोई कंपनी में नौकरी दे दे। वैसे भी मेरे घरवालों के ताने उस समय इतने बढ़ गये थे कि मुझसे सुना नहीं जा रहा था। भाई ने यहां तक कह दिया था कि अगर 1 महीने के अंदर मुझे नौकरी नहीं मिली तो वो मेरी शादी करा देगा। लेकिन मैं शादी करके घर में बैठने वाली लड़कियों में से नहीं थी। मुझे अपना करियर बनाना था। और इसी की तलाश में मैं रोज घर से 10 बजे निकल जाती और शाम को 5 बजे घर लौटती। 10 दिन बीत चुके थे और किसी भी कंपनी से मुझे इंटरव्यू के लिए कॉल तक नहीं आया था। लेकिन मैंने भी ठान ली थी कि हार नहीं मानूंगी।
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मेरा घर कानपुर शहर में भले था लेकिन यहां उतनी कंपनी नहीं थी जितनी की लखनऊ में थी। मेरी एक फ्रैंड ने मुझे वहां की एक कंपनी के बारे में बताया और वहां जाकर इंटरव्यू देने के लिए कहा। मैं अगले ही दिन सुबह घर से 6 बजे निकल गई और 9 बजे तक लखनऊ रेलवे स्टेशन पहुंच भी गई। मेरा इंटरव्यू वहां 11 बजे से था। लेकिन मैं 2 घंटे पहले ही ऑफिस पहुंच गई। मुझे 1 घंटे से इंतजार करता हुआ देखकर एक आदमी मेरे पास आया और पूछा कि तुम यहां इंटरव्यू देने आई हो क्या ? मैंने उनसे हां कहा फिर उसके बाद वो मुझसे मेरी पढ़ाई, शहर और मेरे घर के बारे में पूछने लगा। मैंने भी उसे सब बता दिया। उसने मुझसे काम के बारे में पूछा कि मुझे कंप्यूटर चलाना आता है कि नहीं, रिसर्च वर्क कर लूंगी या नहीं ? मैं भी बिना हिचक के उसके सारे सवालों का जवाब देती रही। फिर वो बंदा मुझे ऑल द बेस्ट बोलकर वहां से चला गया। मुझे ये सब बहुत अजीब लगा कि न जान न पहचान और मैंने उसे अपने बारे में सबकुछ बता दिया। खैर, फिर मुझे वहां बैठे- बैठे 3 घंटे से ज्यादा हो चुका था और मुझे इंटरव्यू के लिए राजीव जी के केबिन में बुलाया ही नहीं गया। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। मैं सीधे उनके केबिन में पहुंच गई और बोली सर, आप और कितनी देर बाद इंटरव्यू लेंगे मेरा, मैं घर से बिना बताए यहां आई हूं, प्लीज सर, आपसे रिक्वेस्ट है कि मुझे एक मौका दे दीजिए। तभी जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो मैं हैरान रह गई। क्योंकि ये वही शख्स था जो सुबह मुझसे मेरे बारे में सबकुछ पूछ रहा था। राजीव जी ने बताया कि वो तो मेरा इंटरव्यू तो ले चुके हैं बस कंपनी के एच. आर का इंतजार कर रहे हैं ताकि वो मुझे सैलरी के बारे में डिसक्स कर लें। ये बात सुनकर मेरे होश उड़ गये थे कि मेरी कोशिश कामयाब हो गई। अब मैं वो सब कर सकती हूं जो मैं करना चाहती थी। मैंने राजीव जी से माफी मांगी और उन्हें धन्यवाद कह कर कानपुर वापस आ गई। घर पर सबको बताया कि मेरी नौकरी लग गई है और वो मुझे 25 हजार रूपये तनख्वाह दे रहे हैं। भाई भी खुश था लेकिन इतना नहीं जितना वो मेरी शादी करा कर होता।
अगले ही दिन से मुझे ऑफिस ज्वाइन करना था और मैं इसीलिए खाना खाकर जल्दी ही सो गई। अगले दिन सुबह 6 बजे ट्रेन पकड़ी और 10 बजे तक लखनऊ ऑफिस पहुंच गई। पहला दिन था इसलिए घबराहट तो थी ही लेकिन अच्छा भी लग रहा था। मेरी सीट राजीव सर के केबिन में ही थी। क्योंकि उनका ही रिसर्च वर्क मुझे हेडओवर किया गया था। दिखने में राजीव बिल्कुल आमिर खान जैसे लगते थे। उनकी आंखों में एक अगल सी कशिश थी। उनसे बात करते समय में मुझे एक अजीब सा नशा हो जाता था। पता नहीं लेकिन मुझे उनसे बात करना अच्छा लगने लगा था। हम साथ में लंच करते और साथ में मीटिंग अटैंड करने भी जाया करते थे। इस दौरान मैं उन्हें राजीव जी से राजीव कहकर उन्हें कब बुलाने लगी मुझे पता ही नहीं चला।
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वो जुलाई का महीना था और उस दिन खूब बारिश हो रही थी। शाम के 6 बज चुके थे। मुझे कानपुर के लिए ट्रेन पकड़नी थी 6.30 की लेकिन स्टेशन पहुंचना मेरे लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि ऑफिस के बाहर बहुत पानी भरा था। मेरा समय से निकल पाना बहुत मुश्किल था लेकिन फिर भी मैं हिम्मत करके ऑफिस से बाहर निकली लेकिन कुछ ही मिनटों में मैं बुरी तरह से भीग गई। तभी राजीव ने मुझे कार की ओर आने का इशारा किया। जब मैं वहां पहुंची तो उन्होंने मुझसे कहा आओ मैं तुम्हें स्टेशन तक छोड़ देता हूं। मैं गाड़ी में बैठ तो गई लेकिन मेरा मन आज घर जाने को कर नहीं रहा था। बस लग रहा था कि यूं ही राजीव के साथ ये पल ठहर सा जाये। तभी अचानक बारिश और तेज हो गई। राजीव ने कहा कि ऐसा करो आज तुम ऑफिस के गेस्ट हाउस में ठहर जाओ, तुम्हारा आज कानपुर पहुंचना मुश्किल है। मैं मना नहीं किया और वो मुझे गेस्ट हाउस ले गये। मैंने उन्हें थैंक्स कहा और पूछा कि आप हर बार मेरी परेशानी कैसे दूर कर देते हो। राजीव ने इस बात का जवाब बस अपनी मुस्कुराहट से दिया और वो जाने लगे। तभी मैंने उनसे कहा, आई लव यू राजीव। ये सुनकर उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा कि तम मेरे बारे में कुछ नहीं जानती हो। इसीलिए कुछ ऐसा मत करो जो मेरी और तुम्हारी दोनों की जिंदगी बर्बाद कर दें। मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनसे कहा कि मुझे आप के बारे में कुछ भी और नहीं जानना क्योंकि मुझे पता है कि आप पहले से शादीशुदा है लेकिन ये जानते हुए भी मैं अपने आप को आपसे प्यार करने से नहीं रोक पाई। मैंने आपसे पहले कभी किसी लड़के को दोस्ती से ज्यादा आगे बढ़ने ही नहीं दिया लेकिन आपसे मिलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि प्यार क्या होता है। ये बाते सुनकर राजीव भी हैरत में पड़ गये लेकिन मुझे ये बात तो पता थी कि वो भी मुझे पसंद करते हैं लेकिन बंधनों में जकड़े रहने की वजह से कह नहीं पा रहे। और तभी राजीव ने मुझे गले लगाया और वो फफक- फफक के रो पड़ें।
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राजीव अपने जीवन का वो सच मुझे बताने जा रहे थे जो उनके अलावा आज तक किसी को नहीं पता था। राजीव ने मुझे बताया कि उनकी शादी को 10 साल हो गये हैं लेकिन उनकी बीवी ने आज तक उनसे सही ढंग से बात भी नहीं की। वो हमेशा उन्हें तानें देती है कि वो नामर्द हैं, बच्चे पैदा नहीं कर सकते। जिसकी वजह से राजीव रोज घुट- घुट कर जीते हैं। वो प्यार करना चाहते हैं और बेपनाह प्यार पाना भी। उनकी जिंदगी में कोई ऐसी वजह नहीं है जिसके लिए वो जिंदा रहें। लेकिन उन्होंने बताया कि जब उनकी मुलाकात मुझसे हुई। तो उन्हें लगा कि कोई है जिससे बात करके वो खुश रहते हैं, कोई है जो उन्हें सुकून का एहसास कराता है लेकिन वो इस बात का इजहार करने से इसीलिए डरते थे कि कहीं मैं उनसे दूर न चली जाऊं। इसीलिए आजतक उन्होंने मुझे एहसास भी नहीं होने दिया कि वो मुझे कितना पसंद करते हैं। हमने फैसला कर लिया कि हम इस प्यार को नाम देंगे और सीना ठोंक कर दुनिया से कहेंगे कि ऐसे बंधन में बंधे रहने से क्या फायदा जो हमसे हमारी ही खुशी छीन लें। भले ही दुनिया इस प्यार को स्वीकार करें या न करें लेकिन हमें पता है कि हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं।
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