भारतीय भोजन को और भी स्वादिष्ट बनाने में कुकिंग ऑयल की बड़ी भूमिका होती है, क्योंकि तेल भोजन पर गर्माहट को एक समान स्तर पर फैलाता है। अगर सही प्रकार के तेल का चुनाव किया जाए तो यह आपके शरीर में स्वस्थ्य फैट उपलब्ध कराने का काम भी करता है। अस्वस्थ्य फैट खून की उन नलिकाओं में जमा हो जाता है जो दिल से खून को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाती हैं। ऐसे में ये रक्त नलिकाएं पतली होती जाती हैं और एक वक्त के बाद पूरी तरह बंद हो जाती हैं। इस स्थिति में दिल से सम्बंधित तमाम तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इस स्थिति का बेहतरीन इलाज है इससे बचाव। बचाव की शुरुआत कुछ साधारण उपायों से की जा सकती है, जैसे कि आपकी सब्जियां और अनाज पकाने के इस्तेमाल के लिए सही तेल का चुनाव।
शरीर में फैट का इस्तेमाल पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब करने के लिए होता है। जब आप एक्सरसाइज़ कर रहे होते हैं तो ये आपकी मसल्स को शक्ति देते हैं और यही भोजन करने के बाद आपको संतुष्टि का एहसास कराते हैं। कोई भी फैट के इस्तेमाल से पूरी तरह परहेज नहीं कर सकता। यहां तक कि अमेरिकन डाइटरी गाइडलाइंस के अनुसार आपके शरीर को 20-25% फैट लेना जरूरी होता है। हालांकि, सिर्फ पोषक तत्वों से मिलने वाला फैट ही शरीर की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकता है।
उदाहरण के तौर पर, राइस ब्रैन ऑयल, जिसे चावल के टुकड़ों से निकाला जाता है। इसमें बडी मात्रा में गामा ऑराइजन मौजूद होता है, जो कि एंटीऑक्सीडेंट कम्पाउंड का मिश्रण होता है। ऑराइजन का सबसे मह्त्वपूर्ण हेल्थ बेनिफिट यह होता है कि आपके बैड कोलेस्ट्रॉल स्तर को प्रभावित करता है। यह आपके शरीर में अस्वस्थ्य फैट को जमा होने से रोकता है। ऐसे में, यह ब्लड सर्कुलेशन को भी बढाता है और आपकी हेल्थ को फायदा पहुंचाता है। देखा गया है कि राइस ब्रैन ऑयल काफी सेफ रहता है, इससे कोई गम्भीर रिएक्शन नहीं होता है। इसके नियमित इस्तेमाल से सिर्फ कुछ मामूली एलर्जिक रिएक्शन सामने आए हैं। राइस ब्रैन का इस्तेमाल जब कुकिंग ऑयल के रूप में किया जाता है, इसे एक हाई-स्मोक पॉइंट ऑयल के रूप में जाना जाता है, जब इसे तेज आंच पर गर्म किया जाता है तब इसमें से धुआं कम होता है, ऐसे में यह डीप फ्राइंग के लिए बेहतर विकल्प साबित होता है।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने की वजह से रक्त नलिकाओं में फैटी तत्व जमा हो जाते हैं। इस तरह का जमाव आगे चलकर उन नसों में रुकावट पैदा कर देता हैं जो दिल से खून को शरीर के बाकी अंगों, टिश्यू और आर्टरीज़ तक पहुंचाती हैं। ऐसे में दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन से भरपूर रक्त नहीं मिल पाता है जिसके चलते हार्ट फेलियर का खतरा बढ जाता है। अगर ब्रेन में रक्त संचार कम होता है तो ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ जाता है। सौभाग्य से, हाई कोलेस्ट्रॉल अधिकतर मामलों में अस्वस्थ्य जीवनशैली का परिणाम होता है, जिससे बचाव और इलाज सम्भव है।
सीवीडी से पीडित अधिकतर लोग अपनी शारीरिक निष्क्रियता और अस्वस्थ्य आहार के जरिए अपनी स्थिति का पता लगा सकते हैं। एक भारतीय के तौर पर, हम सबको अपनी सब्जियां तेल में पकाने की आदत है। खाने की चीजों को तेल में फ्राई करने से तेल फ्लूड कंडक्टर का काम करता है और यह भोजन को एक समान पकने के लिए गर्माहट को समान रूप से इनमें पहुंचाता है। हम जो भी खाते हैं, उससे हमें कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, प्रोटीन, वॉटर बेस्ड मैक्रोन्युट्रिएंट्स, विटामिन और मिनरल माइक्रोन्युट्रिएंट जैसे सभी तत्व मिलने चाहिए। हमारे शरीर को मोनोसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड की जरूरत होती है, लेकिन अधिक सैचुरेटेड फैट का प्रोडक्शन हमारी हेल्थ के लिए काफी खराब होता है और अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से आपकी हेल्थ को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
सभी उपलब्ध कुकिंग ऑयल में सबसे हेल्दी माने जाने वाले कैनोला ऑयल में दो खास फैटी एसिड होते हैं- अल्फा लिनोलिक एसिड (एएलए), जो कि एक ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इसे नवजात शिशुओँ के दिमाग के विकास के लिए जाना जाता है। यूएस एफडीए के अनुसार, कैनोला ऑयल में मूफा होता है जो कि एलडीएल (अस्वस्थ्य कोलेस्ट्रॉल) को कम करता है और ब्लड-ग्लूकोस स्तर को कंट्रोल में रखता है। कैनोला ऑयल कुकिंग में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध सभी वेजीटेबल ऑयल्स के मुकाबले सबसे कम सैचुरेटेड फैट होता है। यही इकलौता ऐसा ऑयल है जिसे ज़ीरो- ट्रांस फैट के रूप में रेटिंग मिली है। नियमित रूप से एक खास मात्रा में कैनोला ऑयल इस्तेमाल करने से व्यक्ति को आवश्यक मात्रा में जरूरी विटामिन ई मिलता है। विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जो आपके शरीर के फैट और प्रोटीन को रैडिकल डैमेज से सुरक्षित करता है। यह दिल की बीमारियों को कम करने, कैंसर और याददाश्त में कमी जैसी समस्याओं से बचाव में सहायक होता है।
तेल का इस्तेमाल पूरी तरह से वर्जित करना भी अनहेल्दी होता है, क्योंकि टिश्यू फंक्शन और सेल मेमोरी के लिए एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बेहद आवश्यक होता है। पौधे अनिवार्य फैटी एसिड का प्रमुख स्रोत होता है, लेकिन सभी कुकिंग ऑयल में एक समान मात्रा में अनसैचुरेटेड फैट नहीं होता है। राइस ब्रैन और कैनोला ऑयल, दोनों में ही एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल अधिक होता है। संयोजन में, ये दोनों ऑयल बेहतरीन कुकिंग ऑयल का काम काम करते हैं। दोनो तेलों को मिलाकर इस्तेमाल करने से इनके फायदे बढ जाते हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि जीवनशैली से जुडी तमाम उन समस्याओं का खतरा कम से कम हो जो दिल की कार्यशीलता को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही मोटापे का प्रसार कम होता है और आपकी पूरी हेल्थ अच्छी रहती है। राइस ब्रैन और कैनोला ऑयल दोनों के मामले में यह देखा गया है कि ये भारतीय सब्जियां और अनाज के मामले में सबसे उपयुक्त होते हैं। ये खाने को नर्म और चबाने में आसान बनाते हैं (ऐसे में भोजन अधिक पाचक हो जाता है) और यह सुनिश्चित करते हैं आपका भोजन समान रूप से पक जाए। यह मिश्रण खासतौर से दिल के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह ओमेगा 3,6 और 9 फैटी एसिड का मिश्रण होता है और इसमें मूफा व पूफा भी होता है, इसके साथ ही इसमें सबसे अधिक ऑराइजनॉल भी मिलता है।
साधारण भारतीय भोजन में तेल से परहेज नहीं किया जा सकता है। लेकिन जिन लोगों को दिल की समस्या है उन्हें भी अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह से सादे भोजन पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है।
(यह आर्टिकल प्रियंका खरबंदा, एजुकेटर, पब्लिक हेल्थ न्युट्रीशन, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने लिखा है, प्रियंका मोदी नेचुरल्स लिमिटेड की सीनियर ब्रांड मैनेजर भी हैं।)
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