आज के जमाने में हर कोई अपने वर्क प्लेस पर बहत प्रेशर और स्ट्रेस से गुजर रहा है, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा वर्क प्रेशर और स्ट्रेस लड़कियों और महिलाओं को झेलना पड़ता है। अनिश्चित लक्ष्य, कमजोर नेतृत्व, लंबे ड्यूटी आवर्स और भी बहुत सी दूसरी वजहें आजकल स्ट्रेस बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। आजकल महिलाएं समाज में कई तरह की भूमिकाएं अदा कर रही हैं। घर और आॅफिस दोनों तरफ की जिम्मेदारियों की वजह से महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले काफी ज्यादा स्ट्रेस, चिंता और डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है। इनमें से कई तरह के काम तो महिलाएं खुद चुनती हैं, जबकि कुछ कामों को उनके ऊपर थोप दिया जाता है। परिणामस्वरूप आॅफिस और घर की दोहरी जिम्मेदारी अक्सर उन्हें स्ट्रेस और प्रेशर में डाल देती है। समय से वर्क डिलीवरी तथा हर किसी को खुश करने की कोशिश में स्ट्रेस बढ़ता जाता है।
महिलाएं अपने जीवन के सभी पहलुओं पर पूर्ण बनने की कोशिश करती हैं, सिवाय, अपने लिए सोचने के। वे अपनी सभी इच्छाओं के बजाय दूसरों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करती हैं। ऐसे में अगर उनका तनाव उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है, तो वे यह भी नहीं जान पाती हैं कि वास्तव में उन्हें चाहिए क्या। वे नहीं समझ पाती कि समय के प्रेशर और जिम्मेदारियों की वजह से उन्हें भी परेशानी हो सकती है।
जब तनाव गहरा जाता है या चरम सीमा पर पहुंच जाता है, तो इसका समायोजन करना और इससे निपटना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कार्य को पूरा करने के अलावा उम्मीदें और इच्छाएं और भी ज्यादा दबाव तथा तनाव पैदा करते हैं, जो आगे जाकर डिप्रेशन में बदल सकता है। ऐसे में आत्महत्या करने जैसे विचार भी पैदा होने लगते हैं। आपकी जाॅब का स्ट्रेस आपके निजी जीवन में भी दखल दे सकता है, और आपके अपने पति/ पत्नी, बच्चों और दोस्तों के साथ रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। समय के साथ, यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। नियमित रूप से इस स्ट्रेस और चिंता से ग्रस्त महिलाएं अक्सर परमानेंट स्ट्रेस का शिकार हो जाती हैं।
दरअसल महिलाएं भावनात्मक तौर पर कमजोर और अस्थिर होती हैं। कम्पनी में मैनेजमेंट के सहयोग की कमी से अक्सर महिलाएं गहन दबाव महसूस करती हैं और काम तथा पारिवारिक जीवन में संतुलन बैठाते- बैठाते, उनका अपने जीवन का संतुलन खोने लगता है। कार्यस्थल पर महिलाएं यह सिद्ध करने में भी अतिरिक्त दबाव झेलती हैं कि वे पुरुषों की तरह काम करने में समर्थ और सक्षम हैं। वे उस समय भी दबाव महसूस करती हैं जब उन्हें काम के अनुरूप प्रमोशन और समान पगार नहीं मिलती, जबकि उनसे निरंतर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जरूर की जाती है। ऐसे में महिलाएं अक्सर पीड़ा झेलती हैं।
वर्कप्लेस पर महिला कर्मियों को तनाव से बचाने के लिए टॉप मैनेजमेंट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं को ज्यादा लचीला काम, बेहतर करियर सुरक्षा तथा प्रगति मुहैया कराई जाए। जब कभी घर से काम करने की जरूरत हो, तो आॅर्गेनाइजेशन द्वारा महिला कर्मचारियों को इसकी स्वीकृति दी जानी चाहिए। महिलाओं की प्रतिभा को निखारने और इस्तेमाल करने के लिए यह आज की जरूरत है। महिलाएं काम के दौरान मिलने वाले अवसरों को पूरी ईमानदारी और सम्मान से उपयोग करती हैं, इसलिए ऐसे अवसर प्रदान कर उन्हें पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए। इसके अलावा उच्चतर स्टाफ द्वारा महिलाओं के साथ किये जाने वाले भेदभाव को भी कंट्रोल करना चाहिए। दरअसल स्वस्थ कर्मचारी ज्यादा उत्पादक होते हैं, इसलिये किसी भी ऑर्गेनाइजेशन को महिलाओं के लिए उचित वर्किंग माहौल बनाने में रुचि लेनी चाहिए क्योंकि यह कर्मचारियों के हित में है। आॅर्गेनाइजेशन को महिलाओं को उन्मुख करने वाली नीतियों को लागू करना चाहिए।
यदि कम्पनी का बाॅस नीतियों में बदलाव नहीं लाता है, तो आप खुद नई कम्पनी जॉइन कर बाॅस बदल सकती हैं। तनावग्रस्त घटनाएं आपको बहुत दबाव देकर भयभीत कर सकती हैं, आपको असुरक्षा का एहसास करा सकती हैं। इससे आप डिप्रेस हो सकती हैं। पुरुष अक्सर काम के बोझ से खुद को अलग कर लेते हैं क्योंकि आॅफिस आवर्स के बाद उनके पास अपने लिए समय होता है लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता। उन्हें घर और आॅफिस दोनों के दबाव के कारण निरंतर स्ट्रेस झेलना पड़ता है। बात यहीं खत्म नहीं हो जाती, वे तनाव, चिंता और डिप्रेशन के इस बोझ को हर जगह ढोती फिरती हैं और परिणामस्वरूप उनके घर के और ऑफिस के रिश्ते प्रभावित होते हैं। इससे उनके शरीर की रक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और वे बीमार पड़ जाती हैं।
तनाव तथा चिंता से खुद को मुक्त रखने का बहुत जरूरी तरीका है - कुशल समय प्रबंधन कौशल यानि टाइम मैनेजमेंट स्किल। जो काम आपको आवश्यक रूप से करने हैं, यह उन्हें उचित प्राथमिकता के अनुसार करने में आपकी मदद करता है। घर तथा आॅफिस के बीच अपने समय का प्रबंधन कर, आप कम तनाव ग्रस्त, अधिक आसान तथा ज्यादा अर्थपूर्ण जीवन जी सकती हैं। इसके लिए हम यहां कुछ टिप्स भी दे रहे हैं -
सारांश यह है कि महिलाएं अपने जीवन में स्ट्रेस से खुद ही निपट सकती हैं। इसका इलाज और कोई नहीं, वे खुद ही कर सकती हैं। हीलिंग और सेल्फ- केयर के लिए अच्छी तरह से तैयार किया गया प्लान उन्हें स्ट्रेस और एंजाइटी का मैनेजमेंट करने में मदद करेगा और वे अपने आॅफिस तथा निजी लाइफ में पूरा बैलेंस बैठा पाएंगी।
(यह आर्टिकल जानीमानी क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट और मॉमप्रिन्योर अनुजा कपूर ने लिखा है।)
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