हिंदुस्तान में रहकर आप ने ट्रेन में सफ़र न किया हो ये सोचना भी अजीब लगता है। ट्रेन का सफर अपने आप में बहुत अलग और अनोखा होता है। आप उन लोगों के साथ लंबा वक्त बिताती हैं जिन्हें आप जानती भी नहीं.. और कई बार इसी सफर में नए दोस्त भी मिल जाते हैं। और अगर आप लकी हैं तो कभी-कभी इसी सफर में आपको अपना हमसफर भी मिल ही जाता है….कम से कम हमारी बॉलीवुड फिल्मों से तो ऐसा ही लगता है! खैर, इन सबके अलावा भी आपको इसी ट्रेन में कई अजीब लोग भी मिलते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि इस दुनिया में कई तरह-तरह के लोग भरे पड़े हैं। तो जरा नजर डालिए इस लिस्ट पर और सोचिए आपका सामना इनमें से कितनों से हुआ है।
जो अगर चुप रहे तब तो ठीक है नहीं तो 14 घंटे के सफर में आपको पूरा मॉरल साइंस पढ़ा कर ही दम लेंगे।
हम मानते हैं कि सफर में सबके साथ फ्रैंडली बीहेव करना चाहिए लेकिन अगर कोई है जो सच्चे दिल से उसे फॉलो करता है तो वो ये आंटी हैं। इनकी बातें खत्म ही नहीं होतीं। आपको कहां जाना है से लेकर पढ़ती हो या जॉब करती हो.. तक इनकी कहानी चलती जाती है।
जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई उनकी हरकतों से परेशान भी हो सकता है। वो रात भर बातें करते हैं.. जोक्स सुनाते हैं, कमेंटबाजी करते हैं और फुल-टू मस्ती करते हैं। आप सो पाएं या नहीं इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता। अगर किसी ने उन्हें मना किया तो थोड़ी देर के लिए शांत हो जाएंगे और फिर से शुरू हो जाएंगे।
जिसे लेकर न सिर्फ़ उसकी फैमिली बल्कि दूसरे लोग भी परेशान हो जाते हैं। उस फैमिली से 10 बोगी आगे भी लोगों को पता होता है कि उधर कोई बच्चा है। कभी रोना कभी उसकी फरमाइश.. ये सब चलता रहता है।
जो आप में कुछ ज्यादा ही इंट्रेस्ट लेता है और अगर वो आपको भी अच्छा लगा तब तो ठीक है। अगर नहीं लगा तो लगता है - क्या करूं मैं इसका! यही दिमाग में आता है।
जो रास्ते भर अपने बेटे और उसके करियर की तारीफ़ करते रहते हैं। उन्हें सुनकर लगता है - कुछ ज्यादा ही सेटीसफाइड हैं ये अपने बच्चे से। एक हमारे पैरेंट्स हैं.. बुराई करने से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती, ढ़ूंढ़ ही लेते हैं कुछ न कुछ।
जिसकी हरकतें देखकर लगता है कि रिलेशनशिप में है.. लगातार फोन पर लगी होगी। सब रात में सो भी गए तो भी वो लेटे-लेटे फोन पर भुनभुनाती रहती है।
देश और राजनीति में क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए इस पर विचार करने का इससे अच्छा समय और इससे सही जगह नहीं मिलती उन्हें। कुछ लोग मिलकर पूरा टॉक-शो तैयार कर लेते हैं।
कोई स्टेशन आया नहीं कि इन्हें कुछ न कुछ खाने को चाहिए...या फिर ट्रेन में ही कुछ बेचने वाला आ गया तो बोनी कराने की जिम्मेदारी इन्हीं की है। और कुछ नहीं तो चाय तो चलेगी ही... छोले-पूरी, समोसा से लेकर दाल-मोठ, फ्रूट चाट..इन्हें सब चाहिए!
ट्रेन चार्ट या ट्रेन के टाइम टेबल के बारे में जानना हो तो आपको किसी किताब की जरूरत नहीं...ये चलते फिरते टाइम टेबल हैं...ट्रेन पैसेंजर हो या राजधानी, किस स्टेशन के बाद कौन सा स्टेशन आएगा इन्हें जुबानी याद है।
ये कुछ अलग टाइप के होते हैं..ट्रेन में बैठते ही इनकी खोज शुरू हो जाती है अपने ‘इलाके’ के लोगों को ढूंढने की….आप कहां से हैं, कहां रहते हैं, जिला कौन सा है..वगैरह वगैरह से सवाल शुरू होते हैं और तब तक चलते हैं जब तक कोई अपनी ‘तरफ’ का न मिल जाए..मिल जाए तो फिर तो कहना ही क्या!
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