हमारे देश को आजादी कई साल पहले मिल गई थी। लेकिन महिलाओं को अब धीरे-धीरे मिल रही है। जी हां, आज भी ऐसे कई अधिकार हैं जिन पर सिर्फ आदमियों का ही हक है। महिलाएं तो उनके बारे में जानती ही नहीं। उन्हें बचपन से ही किसी के सहारे पलने-बढ़ने की सीख दी जाती है। और यही कारण है शादी के बाद पति उसे अपनी जागीर समझ बैठता है। हाल ही में एक महिला ने पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी और उसी की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि बिना पत्नी की इच्छा के पति उसे अपने साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।
दरअसल, एक महिला ने अपने पति के खिलाफ केस दर्ज किया कि पति उसके साथ रहना चाहता है लेकिन वह खुद उसके साथ नहींं रहना चाहती है। जिसके लिए वो उसपर दबाव बना रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पत्नी 'किसी भी तरह की कोई चल संपत्ति या कोई वस्तु/सामान नहीं है। पति उसे अपने साथ जबरन रहने के लिए उस पर कोई दबाव नहीं बना सकता है।’
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने अदालत में मौजूद व्यक्ति से कहा, 'पति के लिए पत्नी कोई चल संपत्ति नहीं है। आप उसे मजबूर नहीं कर सकते। वह आपके साथ नहीं रहना चाहती हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि आप उसके साथ रहेंगे।'
महिला की वकील ने क्रूरता के आधार पर पति से तलाक की मांग की। वकील ने कोर्ट को बताया कि दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई है और उनकी मुवक्किल तलाक चाहती हैं। इससे पहले कोर्ट ने मामले को सुलझाने के लिए कहा था पर पति-पत्नी के बीच मामला नहीं सुलझ पाया था। हालांकि अदालत ने उन्हें इस मामले में दोबारा से सोच-विचार करने लिए कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
किसी महिला के साथ मारपीट की गई हो या फिर उसे मानसिक प्रताड़ना दी गई हो जैसे कि ताने मारना या फिर गाली-गलौज या फिर किसी दूसरी तरह से इमोशनल हर्ट किया गया हो तो वह घरेलू हिंसा कानून (डीवी ऐक्ट) के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत कर सकती है। यदि कोई महिला थाने नहीं जाना चाहती तो वो ई-मेल के जरिये भी अपनी शिकायत पुलिस तक पहुंचा सकती है। अगर शिकायत के बाद पुलिस मामले में एक्शन नहीं लेती है, तो फिर वो कोर्ट में अपनी याचिका दायर कर सकती है।
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