सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक निवासी एक 26 वर्षीय युवती की शादी की वैधता सिर्फ इस आधार पर समाप्त करने से इंकार कर दिया, क्योंकि शादी से पहले उसकी सहमति नहीं ली गई थी। हालांकि कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस युवती को उसके परिवार से सुरक्षा देने का आदेश दिया है, क्योंकि उसने ऑनर किलिंग की आशंका जताई थी।
Supreme Court today issued notice to Karnataka and Union of India after hearing a 26 year-old woman's plea seeking protection and direction for making prior consent of a boy & girl mandatory before marriage under Hindu Marriage Act
— ANI (@ANI) April 11, 2018
युवती ने कोर्ट को बताया था कि वो इंजीनियर है और दूसरी जाति के युवक से शादी करना चाहती थी, लेकिन उसकी शादी कर्नाटक के गुलबर्गा में इसी साल 14 मार्च को बिना उसकी मर्जी के जबरन कर दी गई थी। जब उसने अपने पति के साथ रहने से इंकार किया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। इसके बाद वह किसी तरह भागकर दिल्ली आ गई जहां वह महिला आयोग के संरक्षण में रह रही है। उसने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा दिलाने के अलावा याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान संविधान में दिये गए अधिकारों के विपरीत हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एमएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने युवती की ओर से इस मामले पर जिरह कर रहीं वकील इंदिरा जयसिंह से कहा कि सिर्फ इस आधार पर कोई शादी अवैध घोषित नहीं की जा सकती, कि उससे सहमति नहीं ली गई थी। उन्होंने कहा कि यह युवती सिविल कोर्ट में इस आधार पर तलाक की मांग कर सकती है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधानों पर दोबारा विचार करने से इंकार किया और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट कानून के मुद्दे पर दोबारा विचार नहीं हो सकता। युवती ने हिंदू मैरिज एक्ट में शादी के लिए स्वतंत्र सहमति का प्रावधान न होने के आधार पर कानून की कुछ धाराओं को चुनौती दी थी। युवती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंदू विवाह में स्वतंत्र सहमति को अनिवार्य हिस्सा बनाए जाने की मांग भी की थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
इस मामले में पब्लिक अलग-अलग ट्वीट करके हिंदू मैरिज एक्ट की काफी आलोचना कर रही है। संयुक्ता बसु ने अपनी ट्वीट में कहा है कि जहां मुस्लिम और क्रिश्चियन पर्सनल लॉ में शादी तक तक वैध नहीं होती, जब तक कि लड़का और लड़की की सहमति न हो, वहीं हिंदू मैरिज एक्ट में सहमति की कोई जरूरत नहीं समझी गई है।
Under Muslim & Christian personal laws valid marriage cannot be solemnized without explicit consent of both boy & girl (kabool Hai / I do). Hindu Marriage Act has no such requirement. Hindu marriage is not social contract but holy sacrament. Boy & girl are not equal parties.
— Sanjukta Basu (@sanjukta) April 11, 2018
एक और ट्विटर यूजर ने पूछा है कि जबरन शादी करवाने वाले माता- पिता को जेल क्यों नहीं की गई
यदि Hindu Marriage Act में शादी दुल्हन की सहमति के साथ नहीं हुआ तो दुल्हन के माता-पिता इसके लिए ज़िम्मेदार हैं, ऐसे माता-पिता के लिए जेल क्यों नहीं #SaveOurBoys
— काका Kahin (@KakaSaidU) April 11, 2018
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