भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की महिलाओं के लिए बहुत अच्छी खबर है। यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रन्स एजुकेशन फंड) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में पिछले दस सालों में करीब 250 लाख बाल विवाह होने से रोक दिये गए हैं। यह काफी कुछ सरकारी और कुछ जनता के मिलेजुले प्रयासों का ही असर है कि पूरे दक्षिण एशिया में होने वाले बाल विवाहों की संख्या में काफी गिरावट आई है, जिनमें भारत और इथियोपिया प्रमुख रूप से शामिल हैं।
गौरतलब है कि अगर किसी भी लड़की की 18 वर्ष से कम उम्र में और लड़के की 21 से कम उम्र में शादी की जाए तो उसे बाल विवाह माना जाता है। कम उम्र में शादी होने से खासतौर पर लड़की के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और वह कम उम्र में ही मां भी बन जाती है। इससे उसके होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
यहां तक कि पिछले दस साल में दक्षिण एशिया में बाल विवाह का रेट 50 फीसदी से घटकर 30 फीसदी हो गया है। यूनिसेफ की रिपोर्ट का कहना है कि पिछले 10 साल में भारत में बाल विवाह की दर 47 फीसदी से घटकर 27 फीसदी रह गई है। अगर दुनिया की बात की जाए तो हर पांच में से एक लड़की की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है। दस साल पहले यह आंकड़ा करीब 25 फीसदी का था। माना जा रहा है कि भारत में बाल विवाह की दर में यह गिरावट महिलाओं की शिक्षा और सरकार की नीतियों की वजह से आई है। देखें यह वीडियो -
Good news! New data from @UNICEF shows that 25 million #childmarriages were averted in the last decade 👧🏾👧🏾👧🏾 https://t.co/mtUlYBudPY pic.twitter.com/oJgUOUaLVk
— Girls Not Brides (@GirlsNotBrides) March 6, 2018
इसके बावजूद यूनिसेफ की रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि भारत के कई राज्यों में खासकर आदिवासी समुदायों और अनुसूचित जातियों में अब भी बाल विवाह का प्रचलन है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान में बाल विवाह की दर सबसे ज्यादा 40 फीसदी तक है, जबकि तमिलनाडु और केरल में यह 20 फीसदी से कम है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलावा इथियोपिया में भी बाल विवाह की दर में 30 फीसदी की भारी गिरावट आई है।
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