कामकाजी महिलाओं का वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न का शिकार होना आम बात हो चुकी है। ऐसी कई गैर सरकारी संस्थाएं हैं, जो महिला सुरक्षा व अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर काम करती हैं पर ज़्यादातर महिलाएं वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न होने की बात को छिपा जाती हैं। आईविल एंड एप्सीक्लीनिक की फाउंडर एंड सीईओ शिप्रा डावर के मुताबिक, सबको एकजुट होकर वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठानी होगी। वे इससे बचने के कुछ टिप्स भी बता रही हैं।
कई बार महिलाओं को यह समझ ही नहीं आता है कि वे वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। ज़रूरी नहीं है कि वर्कप्लेस पर सिर्फ सेक्सुअल हरैसमेंट ही किया जा रहा हो, वह मेंटल या इमोशनल टॉर्चर भी हो सकता है। इन तरीकों से समझें कि आपके साथ वर्कप्लेस पर कुछ गलत हो रहा है -
आमतौर पर सभी पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के ऑफिस में महिलाओं के लिए विशेष नीतियों का गठन किया जाता है, जिनसे वे इस तरह की किसी भी घटना का शिकार होने से बच जाएं। मगर फिर भी वे कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष तौर पर यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं। इंडियन नेशनल बार असोसिएशन की एक स्टडी के मुताबिक, बहुत सी महिलाओं ने अपनी पहचान छिपाते हुए माना है कि वे जीवन के किसी न किसी दौर में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं पर उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की। इसकी एक वजह यह भी है कि बहुत से एंप्लॉयर्स इन शिकायतों पर गंभीरता से कोई ऐक्शन न लेते हुए केस को दबा देते हैं।
अगर आप वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं तो इमोशनली, मेंटली और फिजिकली टॉर्चर होने के बजाय खुलकर उसका विरोध करें। इन तरीकों से आप इस उत्पीड़न का शिकार होने से बच भी सकती हैं।
अगर आप न्याय चाहती हैं और देश में महिला सुरक्षा को लेकर उठाई जा रही पहल का हिस्सा बनना चाहती हैं तो बिना डरे अपने व दूसरी महिलाओं के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें।