हमारी उम्र बढ़ने के साथ ही स्किन के नीचे मौजूद टिश्यूज़ से फैट कम होने लगता है। इसके साथ ही सूर्य की रोशनी और प्रदूषण की वजह से होने वाले नुकसान के कारण चेहरे पर फाइन लाइन्स और झुर्रियों के साथ स्किन की चमक भी खो जाती है। इससे हमारी उम्र ज्यादा नजर आती है और हम थके हुए से नजर आते हैं। पीआरपी थेरैपी में हमारे खून में पाई जाने वाली वृद्धि की क्षमता का इस्तेमाल कर स्किन का खोया हुआ टेक्सचर, टोन और प्राकृतिक चमक को वापस पाने में मदद मिलती है।
पीआरपी थेरैपी
पीआरपी यानि प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा थेरैपी में त्वचा को नया रूप देने के लिए प्लेटलेट्स और प्लाज्मा (रक्त के भीतर मौजूद तत्व) की उपचारात्मक शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है। प्लेटलेट्स आपके खून में पाई जाने वाली खास प्रकार की कोशिकाएं हैं। इनमें तेजी से बढ़ने की शक्ति होती है और वे किसी भी तरह की चोट लगने पर खून का थक्का बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं, इसलिए खून का बहना रोक देती हैं, जबकि प्लाज़्मा खून का तरल हिस्सा होता है।
क्या है प्रक्रिया
यह एक साधारण प्रक्रिया है और एक से दो घंटे में की जा सकती है। जिस हिस्से का इलाज किया जाना है, वहां लोकल एनेस्थेटिक क्रीम लगा कर करीब 1 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इस बीच हाथ की बड़ी नसों में से एक में से 10-20 मिली खून निकाला जाता है और लाल रक्त कणिकाओं से प्लेटलेट्स एवं प्लाज़्मा को अलग किया जाता है। प्लेटलेट्स और प्लाज़्मा युक्त इस फ्लूइड को बहुत ही बारीक सुई का इस्तेमाल कर त्वचा के भीतर डाल दिया जाता है।
कैसे होता है सुधार
इससे प्लेटलेट्स के वृद्धि कारक और साइटोकींस में तेजी आती है जिससे सुधार प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है और कोलैजन बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। कोलैजन स्किन को नया बनाने की प्रक्रिया में मदद करता है और चेहरे की फाइन लाइन्स और झुर्रियों में सुधार आता है। सुधार की प्रक्रिया की वजह से बेहतर हुआ खून का प्रवाह त्वचा की टोन और टेक्स्चर को बेहतर बनाता है और स्किन सेहतमंद और युवा चमक वाली नजर आने लगती है।
डॉक्टर की सलाह
कॉस्मेटिक एंड एस्थेटिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. अनूप धीर का कहना है कि पीआरपी थेरेपी एक से अधिक बार की जा सकती है। सर्वश्रेष्ठ परिणाम के लिए भी इसकी सलाह दी जाती है। अगर नुकसान की बात की जाए तो प्रक्रिया के बाद त्वचा पर कुछ मामूली नुकसान देखने को मिल सकता है। अच्छी तरह सुधार नजर आने के लिए त्वचा को कुछ दिनों तक सूर्य की रोशनी से बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रक्रिया वाले स्थान पर फैक्टर 50 सनब्लॉक क्रीम का इस्तेमाल फायदेमंद होता है।
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