पिछले दिनों सोशल मीडिया पर #MeToo अभियान रेप और यौन शोषण के प्रति एक बड़ा अभियान साबित हुआ जिसमें हजारों लड़कियों- महिलाओं ने खुलकर अपने प्रति हुए यौन शोषण की बात स्वीकार की। इस अभियान का उद्देश्य इस परिस्थिति के इतना व्यापक होने के प्रति जागरूकता फैलाना भी था। यह एक बेहद चौंकाने वाली स्थिति थी कि हमने अपने आसपास की सभी महिलाओं को इसमें शामिल होते और इस कटु सचाई को कहते देखा कि हां, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है। इसे देखते हुए एक फिल्म बनाई जा रही है- "व्हेयर इज़ विभूति" जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्यों से लोगों को रूबरू कराया जाएगा।
इसके अलावा यह तथ्य कितना भयावह है कि भारत के कॉलेजों के 80% छात्र पोर्न साइट्स देखते हैं, इनमें से 40% खासतौर पर रेप पोर्न देखकर इसका आनंद लेते हैं और इनमें से 76% छात्रों ने माना है कि रेप पोर्न देखते वक्त उनमें किसी लड़की या महिला का रेप करने की भावना जागी है। और इसी भयावह तथ्य ने फिल्मकारों को यह फिल्म बनाने के लिए मजबूर किया। वे इस फिल्म के लिए फंड जुटाने के पीछे लक्ष्य है लोगों को इन तथ्यों के प्रति जागरूक करना। इन सच्चाइयों को लोगों के सामने लाना चाहते हैं।
फिल्म के एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर नवनीत संधू का कहना है कि जब वे इस फिल्म पर रिसर्च कर रहे थे, तभी उन्हें रेप पोर्न संबंधी इन भयावह आंकड़ों और तथ्यों का पता लगा। यह बात चौंकानेवाली थी, इसलिए उन्होंने कुछ अलग तरह से इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक फिल्म बनाने की सोची। उनका मानना है कि फिल्में कहीं न कहीं बड़ी संख्या में लोगों के मानस को प्रभावित करती हैं। और यही वह इस फिल्म के माध्यम से करना चाहते हैं।
नवनीत बताते हैं, “फिल्म "व्हेयर इज़ विभूति" सच्ची घटना से प्रभावित है और जहां यह बहुत गहन, ज़मीन से जुड़ी हुई और स्थानीय टाइप की फिल्म है, वहीं दूसरी ओर यह बहुत गहराई लिए हुए एक ऑर्गेनिक फिल्म भी है। हमारा मानना है कि इस तरह से हम लोगों की जिंदगी में रेप और शोषण के प्रति नजरिये में एक बदलाव ला सकते हैं और इससे लोगों को शोषण के शिकार की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाने में मदद मिलेगी।”
नवनीत संधू बताते हैं कि जब एक महिला यौन शोषण का शिकार होती है तो दो बातें होती हैं। या तो यह घटना पूरी तरह से भुलाकर एक तरफ कर दी जाती है क्योंकि ऐसे मुद्दों के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। या फिर हम इसके शिकार के लिए अफसोस प्रकट करते हैं और उसे अलग तरह के नजरिये से देखने लगते हैं। हम चाहते हैं कि हर वो व्यक्ति उसी मानसिक स्थिति से गुज़रे, वह डर स्वयं अनुभव करे जो हमारे देश की अनेक लड़कियां हर दिन करती हैं और आसपास के लोग सिर्फ बातें बनाने के अलावा कुछ नहीं करते। यही वजह है कि इस फिल्म की शूटिंग रियल लोकेशंस पर करके ऐसी परिस्थिति पैदा करने की कोशिश की गई है कि जहां एक महिला किसी असामाजिक क्रिमिनल दिमाग वाले व्यक्ति का शिकार हो जाती है।
व्हेयर इस विभूति कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की की कहानी है जिसके अपहरण और बलात्कार के बाद उसकी जिंदगी एक नया रूप ले लेती है। तब बदला लेने की प्रक्रिया में उसे एक टीनेजर सहयोगी मिलता है जो न सिर्फ उसके साथ हुए अपराध का गवाह है, बल्कि उसने इस पूरी घटना को अपने कैमरे में दर्ज भी किया है। इस टीनेजर के साथ मिलकर विभूति क्या कदम उठाती है, यही इस फिल्म का ससपेंस है।
इस फिल्म के लिए विशबैरी के माध्यम से क्राउडफंडिंग करने की जरूरत के बारे में बताते हुए नवनीत ने कहा कि हम इसकी शूटिंग तो पूरी कर चुके हैं। अब हमें हमें करीब 3 लाख रुपये इसके पोस्ट प्रोडक्शन के लिए जुटाने थे। यह कोई बहुत बड़ी रकम नहीं है, जिसे हम सब मिलकर जमा नहीं कर सकते, लेकिन इसकी क्राउड फंडिंग करने के पीछे भी हमारी सोच यही थी कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जा सके। हमारा मानना है कि बदलाव एक दिन में नहीं आता, बल्कि धीरे-धीरे ही आता है जैसे बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। हमारी यह फिल्म भी घड़े की तरह है जिसके लिए हमें बहुत सारी बूंदों की जरूरत है। इस मुद्दे पर जब हमारी सोसायटी एकसाथ आएगी, तभी बदलाव संभव है।
अगर आप भी इस अभियान को सपोर्ट करते हैं तो इस फिल्म की फंडरेजिंग में यहां क्लिक करके अपना भी छोटा सा योगदान दें।