संजय लीला भंसाली की चर्चित फिल्म पद्मावती में प्रीमियम मेकअप और प्रोस्थेटिक डिजाइन एक्सपर्ट प्रीति शील सिंह "डा मेकअप लैब" की फाउंडर हैं। टीसीएस से बीटेक करने के बाद मेकअप डिजाइनर बनी प्रीति शील ने पद्मावती और बाजीराव मस्तानी के सभी कैरेक्टर्स के लुक्स तैयार किये हैं और नानक शाह फकीर के लुक्स के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है। उनके प्रोजेक्ट्स में अमिताभ बच्चन की फिल्म 102 और सैफ अली खान की बाज़ार शामिल हैं। यहां हम प्रीति शील से बातचीत के प्रमुख अंश पेश कर रहे हैं-
मेकअप आर्टिस्ट बनने का आइडिया कहां से आया, यह पूछने पर प्रीति बताती हैं कि तीन साल टीसीएस में काम करने के बाद मुझे लगा कि यह मेरी मंजिल नहीं है और चूंकि उन्हें हमेशा फिल्मों से प्यार था और फेन्टेसी फिल्में ही उन्हें आकर्षित करती थीं, इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र को ही चुना। इसके लिए उन्होंने कुछ रिसर्च करके लॉस एंजिल्स जाकर एक कोर्स भी किया.. और इस क्षेत्र में रहकर उन्हें लगा कि इसका एक-एक मिनट उन्हें बेहद पसंद आ रहा है।
हजारों- लाखों लोगों का सपना होता है कि उन्हें फिल्म इडस्ट्री में काम मिले, लेकिन यह आसान नहीं होता। प्रीति की शुरूआत बॉलीवुड कैसे हुई, यह पूछने पर वे कहती हैं कि उन्हें पहला काम नानक शाह फकीर से मिला। डायरेक्टर सरताज पन्नू को इस बात का शुक्रिया कि उन्होंने किसी न्यूकमर पर ट्रस्ट किया। प्रीति कहती हैं, “इस मामले में मैं लकी थी, लेकिन मैंने भी इसे ग्रांटेड नहीं लिया। इस फिल्म के लिए हमने शूट से पहले ही करीब 6 महीनों तक प्रोस्थेटिक, कास्टिंग, मॉडलिंग आदि के लिए बहुत मेहनत की।” इसके बाद प्रीति ने मुड़कर नहीं देखा।
मेकअप की बात की जाए तो प्रीति ने साधारण मेकअप डिजाइन्स के लिए नहीं, बल्कि ज्यादातर फिल्मों में असाधारण मेकअप डिजाइन्स तैयार की हैं। इन फिल्मों में आजकल खासी चर्चा में चल रही फिल्म पद्मावती के अलावा बाजीराव मस्तानी से लेकर हैदर, मॉम, हवाईजादा, हाउसफुल 3, रंगून, ब्रदर्स, तलवार, फाइंडिंग फैनी, पार्च्ड, घायल वन्स अगेन, नानक शाह फकीर, द हाउस नेक्स्ट डोर, पद्मावती, भावेश जोशी, 102 नॉट आउट आदि शामिल हैं। प्रीति से यह पूछने पर कि संजय लीला भंसाली की इतने बड़े बजट की फिल्में उन्हें कैसे मिली, वे हंसते हुए कहती हैं कि नज़र मत लगाओ यार, उन्होंने इन फिल्मों की तलाश नहीं की, इन फिल्मों ने उनकी तलाश की है।
संजय लीला भंसाली की पद्मावती और बाजीराव मस्तानी जैसी ऐतिहासिक फिल्मों के लिए कितनी और कैसी तैयारी की जरूरत होती है, इस बारे में प्रीति कहती हैं, “बहुत तरह की तैयारियों की जरूरत होती है। छोटे-छोटे डिटेल्स देने वाले भंसाली सर के साथ यह काम बहुत चैलेंजिंग था, क्योंकि हमारे पास ज्यादा रिफरेंस नहीं थे। हालांकि इस वजह से मैं बहुत एक्साइटेड थी। मुझे यह एक गेम की तरह से लगता है। स्क्रिप्ट को पढ़ना और फिर कैरेक्टर्स के बारे में इमेजिन करना। वे कैसा फील करते होंगे, उस समय का वातावरण कैसा होता होगा...उनकी अच्छी बुरी आदतें.. ऐसा बहुत कुछ होता है जो कि हमारी कल्पना में चल रहा होता है। और फिर अंत में इस सबको एकरूप करते हुए अपनी लैब में कुछ डिजाइन और मॉडल्स तैयार करना। यह पूरा प्रोसेस बहुत ही क्रिएटिव होता है।”
“मैं कई लुक तैयार करती हूं और फिर जिस लुक से मैं पूरी तरह से संतुष्ट होती हूं, सिर्फ वही लुक मैं एक्टर को दिखाती हूं। मेरे काम में बहुत आरएनडी यानी रिसर्च और डेवलपमेंट है, जो मैं उस एक्टर के साथ करती हूं और यह उस एक्टर पर भी काफी निर्भर करता है कि वह कितनी ऊर्जा खुद इसमें लगाता है और मुझे उससे आगे और एक्सपेरिमेंट करने के लिए कितनी ऊर्जा मिलती है। फिर इसके बाद ही फाइनल लुक डायरेक्टर के पास ले जाया जाता है। फिर अगर वह मुस्कुरा दिया (पास कर दिया) तो आपका सारा काम सफल हो जाता है।”
ऐतिहासिक कैरेक्टर्स का मेकअप करते वक्त कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इस बारे में प्रीति बताती हैं कि बहुत जरूरी और खास बात है कि आप ऐसे कैरेक्टर्स के लिए जो कुछ भी डिजाइन करते हैं, वह उस समय जैसा नजर भी आना चाहिए, अगर ऐसा न हो तो आपका काम सही नहीं कहा जाएगा। इसके अलावा यह स्क्रिप्ट और डायरेक्टर की विजन के अनुसार भी होना चाहिए। ऐसे में यह एक बड़ा चैलेंज होता है, जब आपके पास कोई रिफरेंस न हो और आपको खुद अपनी सोच के अनुसार कुछ फ्रेश काम करना हो, और यही मुझे ज्यादा एक्साइट करता है। आमतौर पर हमारे यहां पौराणिक कैरेक्टर्स को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर तैयार किया जाता है, जो अक्सर आउट ऑफ प्रोपोर्शन हो जाता है। आप किसी ऐसे युग के मेकअप को कैसे डिफाइन करेंगे- हमने लिप्स और चीक्स को रंगने के लिए प्लांट कलरिंग या फिर प्लांट से लेकर नेचुरल डाई्ज़ का इस्तेमाल किया है, जो एक बढ़िया आइडिया रहा। आजकल तो यह सब ब्यूटीशॉप्स पर भी उपलब्ध हैं।
आइडियल रिलेशनशिप के लिए किसी भी डायरेक्टर से आपकी क्या उम्मीदें होती है, इस बारे में प्रीति कहती हैं कि किसी भी डायरेक्टर के साथ हम ब्रीफ और ट्र्स्ट चाहते हैं, यानी वह हमें हर वह बात अच्छी तरह से बताए जो वह चाहता है और इसके बाद हम पर विश्वास रखे। ब्रीफ इसलिए ताकि हम उनकी विजन के अनुसार काम पूरा कर सकें और ट्रस्ट इसलिए, ताकि हम अपना बेस्ट डिलीवर कर सकें। टैलेंट कहीं भी हो, उसकी रेस्पेक्ट की जानी ही चाहिए। आप कितना भी पैसा कमा लें, लेकिन विश्वास कमाना बहुत बड़ा काम है। अगर आपने वह हासिल कर लिया तो इसका मतलब है कि आपने वाकई अच्छा काम किया है।
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