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#MyStory: मुझे मेरे बॉस से प्यार होने लगा था लेकिन…

#MyStory: मुझे मेरे बॉस से प्यार होने लगा था लेकिन…

मुझे हमेशा से आत्मविश्वास से भरे strong लोग पसंद थे। पता नहीं शायद उनके attitude की वजह से या कभी किसी सिचुएशन से हार न मानने की वजह से लेकिन ऐसे लोग हमेशा से मुझे अपनी तरफ attract करते थे। और इन दोनों खूबियों से ही भरे हुए थे मेरे ex-boss!

उनसे मेरी मुलाकात तब हुई जब मुझे ऐसी किसी मुलाकात की कोई उम्मीद नहीं थी। कालेज के exams का आखिरी दिन था और हर कोई सेलिब्रेट करने के मूड में था। मेरे दोस्तों ने भी drink पर जाने का प्रोग्राम बनाया और मुझे भी अपने साथ चलने को कहा। मैं जैसे ही कार में बैठने लगी मेरे पास एक टीवी न्यूज़ चैनल से फोन आया। उन्होंने मुझे तुरंत इंटरव्यू के लिए बुलाया…चैनल में उनके पास एक पोजीशन खाली हुई थी। मैं ये सुनते ही खुशी से उछल पड़ी। मैंने उनसे request की कि वो इंटरव्यू की डेट एक दिन आगे बढ़ा दें क्योंकि अभी अभी मेरे exams खत्म हुए हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि वो ऑफर का आखिरी दिन है। अब मुझे दो में से एक चीज चुननी थी…या तो अपने दोस्तों के साथ मस्ती या फिर एक ऐसी चीज जो मेरी जिंदगी बदल सकती थी। मैंने दूसरी चीज चुनी।

मैंने तुरंत ट्रेन पकड़ी और अंधेरी, मुंबई में उनके ऑफिस के लिए निकल पड़ी। सच कहूं तो मैं बहुत ज्यादा nervous थी…मैं इस इंटरव्यू के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। ऑफिस पहुंचकर मैं रिसेप्शन पर बैठ गई और अपना नाम पुकारे जाने का इंतजार करने लगी। तभी मुझे एक जाना-पहचाना चेहरा नज़र आया। यह मेरे कालेज में मेरी सीनियर हुआ करती थी और उसी चैनल में काम कर रही थी। उनको देखकर मेरी कुछ हिम्मत सी बंधी लेकिन मुझे ये जानकर हैरानी हुई कि मुझे वहां उनसे नहीं बल्कि किसी और से मिलना था।

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वो मुझे एक बड़े से कान्फ्रेंस रूम में ले गई और वहां बैठने को कहा। वहां जो शख्स बैठा था वो अपने कंप्यूटर में इस कदर खोया हुआ था कि उसने मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दिया। उसने अचानक मुझसे सवाल किया, “तुम्हारी अब तक का सबसे लंबा सड़क का सफर कौन सा रहा है?” (यह सवाल एकदम random था, बिल्कुल!) मैंने कहा, “लोनावला” वो मेरा जवाब सुनते ही ज़ोर से हंसे…(मुंबई से लोनावला का सफर दो घंटे से भी कम का है…इसलिए उनका हंसना मुझे समझ आ गया) अचानक उन्होंने हंसना बंद कर दिया और मुझे पूछा कि क्या मैं एक शो में हिस्सा लेना चाहूंगी। अब मुझे लगा कि ये किसी नौकरी के लिए तो इंटरव्यू नहीं हो रहा है- बल्कि ये तो आम बातचीत हो रही है। उसके बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं ड्राइव कर सकती हूं..मैंने नहीं में जवाब दे दिया। उन्होंने मुझे अपना समय देने के लिए थैंक्स कहा और मुझे वहां से चले जाने को कहा।

अब मेरी हैरानी और बढ़ गई! I mean, ये हुआ क्या अभी??!! उन्होंने मेरे अहम को चोट पहुंचाई थी और मेरा ego इस बात के लिए उनसे बिना सवाल-जवाब किए जाने को रोक रहा था। मैं उनके पास वापस गई और कहा, “Road trips सिर्फ उस इंसान के लिए ही नहीं होते जो ड्राइव करता है बल्कि उन दोस्तों के लिए भी होते हैं जो उसके साथ कार में बैठे होते हैं, ये दोस्तों की कंपनी ही होती है जो किसी भी सफर को यादगार बनाती है।”
मेरी ये बात सुनने के बाद उन्होंने मुझे वहां रुकने को कहा। उन्होंने कहा कि उन्हें मेरा ये rebellious यानि विद्रोही attitude पसंद आया और उन्होंने मुझे अपने वेब शो में हिस्सा लेने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि मेरा ये attitude देखकर उन्हें लगता है कि मैं web jockey बन सकती हूं। हालांकि मैं एक journalist बनना चाहती थी लेकिन ये मौका मिलने पर भी मुझे खुशी हुई क्योंकि मुझे अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल रहा था।

इसके बाद मैंने वो शो किया और जीता भी! जब मेरे सामने web jockey बनने का ऑफर आया तो मैंने उनसे कुछ और मांगा। मैंने उनसे कहा कि मैं बतौर डिजीटल कंटेंट राइटर उनकी टीम में शामिल होना चाहती हूं। यह रोल मेरे journalism qualification से मैच करता था। उन्हें ये सुनकर हैरानी हुई लेकिन उन्होंने मेरी बात मान ली। और इस तरह मैं उनकी टीम का हिस्सा बना गई….अब मैं उस ऑफिस में कोई new-comer नहीं थी.. बल्कि उस टीम की एक मेंबर थी और वो अब मेरे Boss थे!

उसी दिन से मेरी और उनकी रिलेशनशिप एकदम बदल गई। पहले की तरह अब हमारे बीच कोई हंसी-मजाक नहीं होता था बल्कि अब वो मेरी साथ उसी तरह पेश आते थे जिसे अपनी टीम के बाकी लोगों के साथ। वो मुझे भी टारगेट देते थे जिन्हें पूरा करने का प्रेशर मुझ पर भी होता था।

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हमारी पहली टीम मीटिंग उनके supervision में हुई और उसी के बाद मेरे दिल में उनके लिए feelings पनपनी शुरू हो गई। उस मीटिंग के बाद मैं उन्हें कुछ और ही नजरों से देखने लगी। वो बहुत bold थे, important फैसले लेते थे और अपनी हर बात बहुत ही impressive ढंग से रखते थे। उनकी सबसे खास बात यह थी कि उन्हें हर चीज़ के बारे में सब कुछ पता होता था! हर चीज के बारे में उनकी knowledge बहुत ज्यादा था और कोई भी- मतलब कोई भी- उनसे बहस में नहीं जीत पाता था। ऐसा लगता था कि उनके पास हर सवाल का जवाब है!

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उस मीटिंग के बाद मैं हर दिन उनकी अटेंशन पाने की कोशिश करती थी। उनके सामने नए आइडिया रखती थी, छोटे से ब्रेक में भी उनसे बात करने की कोशिश करती थी, अपना काम जल्दी और बेहतर ढंग से पूरा करती थी। मैं चाहती थी कि उनका ध्यान मेरी तरफ जाए और वो मेरे काम को seriously लें। और कुछ टाइम बाद, कुछ गलतियों के बाद आखिरकार उन्होंने मुझे नोटिस भी किया। उन्हें मेरे टेलेंट पर भरोसा होने लगा, वो मुझे नए नए प्रोजेक्ट हैंडल करने के लिए देने लगे। हालांकि मुझ पर काम का प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ रहा था लेकिन मुझे ये सब मंजूर था…मुझे उनकी जो अटेंशन मिल रही थी, मुझे हर तरह का प्रेशर मंजूर था!

वो जब भी मुझे मेरे काम के बारे में फीडबैक देते थे मुझे अच्छा लगता था और मैं उस तरफ काम करती थी। उस समय मेरे लिए उनकी हर बात सबसे ज्यादा मायने रखती थी। उनकी तरफ मेरे इस attraction में कुछ भी lustful नहीं था। बल्कि ये attraction तो उनकी intelligence, उनकी power और charm को लेकर था। और ये तीनों ही qualities उनमें कूट-कूटकर भरी थी। मैं घंटों उन्हें देख सकती थी, उनकी बातें सुन सकती थी वो भी बिना बोर हुए। हम दोनों के बीच बहुत बहुत देर तक मुद्दों पर बहस होती थी, डिबेट होती थी।

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सच कहूं तो मेरी सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ था। उन्होंने मुझ पर कभी कोई नरमी नहीं बरती और इस बात के लिए मैं उनकी शुक्रगुज़ार हूं। उन्होंने मेरी हर गलती पर उंगली उठाई और उन्हें सुधारने के लिए मुझे motivate किया। वो सही मायने में मेरे mentor थे। जब मुझे अगला ब्रेक मिला तब भी उन्होंने ही मुझे support किया और सही सलाह दी।

आज हम दोनों साथ काम नहीं कर रहे हैं लेकिन हम आज भी touch में हैं। जब भी मुझे किसी motivation की जरुरत होती है वो मेरे साथ होते हैं। मैं ऊपरवाले को जितना भी थैंक्स कहूं वो कम है कि मुझे उनसे मिलवाया, हालांकि मैं कभी भी उन्हें अपनी feelings के बारे में नहीं बताऊंगी। कुछ अनजान रिश्तों के पीछे सबसे दिलचस्प कहानियां होती हैं…हमारी कहानी भी उनमें से एक है।

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