सर्दियों के मौसम में शॉल की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि शॉल से फैशनेबल दिखने के साथ-साथ आपको एलिगेंट लुक भी मिलता है। वैसे तो आजकल मार्केट में शॉल के ढेरों ऑप्शन मिलते हैं लेकिन ज्यादातर लोग पश्मीना शॉल लेना पसंद करते हैं। पश्मीना नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा, पश्मीना सबसे महंगी शॉल में से एक मानी जाती है। बहुत कम लोग इसे अफोर्ड कर पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं? कि बाजार में ऐसे शॉल मौजूद हैं जो कीमत के मामले में पश्मीना से भी आगे हैं।
दुनिया की सबसे महंगी शॉल कौन सी है Most Expensive Shawl Name Shahtoosh in Hindi
जी हां, हम बात कर रहे हैं शहतूश शॉल (shahtoosh shawl) की। इस शॉल की कीमत इतनी महंगी है कि एक आम आदमी इसे खरीदने की सोच भी नहीं सकता। शाहतूश शॉल की कीमत 5, 10, 50 हजार नहीं बल्कि 15 लाख रुपए है।
भारत में है बैन
इस शॉल को भारत में कोई नहीं खरीद सकता क्योंकि यह भारत में बैन है। 1990 में भारत ने भी इस शॉल पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत मे बैन के बाद भी कश्मीर में इसे बेचा जाता था लेकिन साल 2000 से इसकी बिक्री बिल्कुल बंद है।
कैसे और कहां बनती है शहतूश शॉल
शाहतूश नाम की बात करें तो यह फारसी शब्द है जिसका अर्थ होता है ऊन का राजा। यह ऊन की सर्वोत्तम श्रेणियों में गिना जाता है। शाहतूश शॉल चीरू के बालों से बनाया जाता है। चिरू तिब्बत की पहाड़ियों में पाए जाने वाले हिरण के जैसा एक जानवर होता है। इस शॉल को बनाने के लिए 4 से 5 चीरू को मारा जाता है। इस शॉल के प्रोडक्शन के लिए हर साल करीब 20 हजार चीरू मारे जाते हैं। यही वजह है कि भारत में इसे बैन कर दिया गया।
अकबर की थी पसंदीदा शॉल
इस शॉल की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुई थी। ऐसा माना जाता है कि अकबर को इन शॉलों से बहुत लगाव था। मुगल शासन के दौरान शॉल के कारखाने फले-फूले। शाहजहां के शासनकाल में शाहतूश शॉल का प्रयोग केवल राजघरानों में ही होता था, परन्तु बदलते समय के साथ इसकी खरीद-बिक्री होने लगी। कुछ समय बाद यह शॉल प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई।
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