जेंडर इक्वैलिटी, यानी लैंगिक समानता की बातें तो सभी करते हैं, लेकिन जब हकीकत में इसका सामना करने की बारी आती है तो कुछ ही महिलाएं अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाने आगे आ पाती हैं। पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार, दहेज़ उत्पीड़न, कार्यस्थल पर यौन शोषण और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर हर महिला को अपने अधिकार पता होने बेहद ज़रूरी हैं। अधिकार पता होंगे, तभी तो वे जरूरत पड़ने पर उनकी रक्षा और अपने हक़ के लिए आवाज़ उठा पाएंगी और समझौते भरी ज़िंदगी को खत्म कर, उसे एक नया और सुखद मोड़ दे पाएंगी।
हाल ही में आईटीसी विवेल (ITC Vivel) ने जेंडर इक्वैलिटी के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखने के लिए एक वर्कशॉप और पैनल डिस्कशन का आयोजन किया। दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में कई नामी-गिरामी हस्तियों के बीच ये आयोजन संपन्न हुआ। इस वर्कशॉप और पैनल डिस्कशन का मकसद था, महिलाओं को उनके हितों के लिए बने कानूनी अधिकारों को बारीकी से बताना और उनके प्रति जागरूक करना। इसके लिए आईटीसी विवेल (ITC Vivel) ‘अब समझौता नहीं’ नाम से एक कैम्पेन चला रहा है। साथ ही इस मौके पर इसकी वेबसाइट www.absamjhautanahin.com भी लॉन्च की गई। इस वेबसाइट की मदद से महिलाएं अपने अधिकारों से जुड़ी सभी जानकारियां आसानी से प्राप्त कर सकती हैं।
हैबिटेट सेंटर में हुई इस वर्कशॉप की बागडोर संभाली एडवोकेट करुणा नंदी ने, जो कि सुप्रीम कोर्ट की एक जानी-मानी वकील हैं। एडवोकेट करुणा नंदी ने महिलाओं से जुड़े सभी कानूनी अधिकारों के बारे में काफी उपयोगी जानकारियां दीं। साथ ही वहां मौजूद लोगों के सवालों के जवाब भी दिए। इस पावरफुल वर्कशॉप के बाद पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसमें करुणा नंदी सहित शाज़िया इल्मी (प्रवक्ता व उपाध्यक्ष बीजेपी, दिल्ली) , इल्मा अफ़रोज़ (आईपीएस 2018 71 आर आर, हिमाचल प्रदेश कैडर), गोपिका बक्शी (जेंडर जस्टिस कैम्पेनर, ऑक्सफेम इंटरनेशनल) और सुभाष बालर (हेड पर्सनल वॉश कैटेगरी, पर्सनल केयर डिवीज़न, आईटीसी) जैसी हस्तियां शामिल थीं।
डिस्कशन के दौरान सभी मेहमानों ने अपने जीवन में आई मुश्किलों और अनुभवों को भी साझा किया। साथ ही बताया कि कैसे उन्होंने हर मुश्किल का सामना कर ये मुकाम हासिल किया।
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