अगर आप अपने घर के बच्चों में सबसे बड़ी हैं तो आपको पता होगा कि बड़ा होना बच्चों का खेल बिल्कुल नहीं है। आपको हर चीज़ का ओवरडोज मिलता है फिर चाहें वह प्यार हो, दुलार हो, आपकी मनमर्ज़ियां हों या फिर ज़िम्मेदारी। आप से उम्मीद की जाती है कि आप एक्स्ट्रा समझदार हों और सभी की इंस्पिरेशन बनें ताकि आपके छोटे भाई-बहन आप से सीख ले सकें। आपकी पसंद-नापसंद कई बार छोटों को भी झेलनी पड़ती है, पर उनकी गलतियों पर मम्मी की डांट में आपकी भी हिस्सेदारी होती है। आप फर्स्ट क्लास में ही ‘बड़ी‘ बन जाती हैं और आपके भाई-बहन, क्लास इलेवेंथ क्लास में भी बच्चे ही रहते हैं। उनके लिए हमेशा यही कहा जाता है कि “अभी तो बच्चा है, धीरे-धीरे सीख जाएगा।” हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप अपने छोटे भाई-बहनों के साथ एक अनोखे प्यार-तकरार वाले रिश्ते में बंधी हैं।
1. मम्मी का काम, डैडी का काम, बाकी सारा आपका काम
घर में कुछ काम बंटे होते हैं, मम्मी-डैडी अपना काम करते हैं, उसके बाद जो भी काम बचता है, जैसे – दूध लाना, घर का सामान खरीदना (कभी-कभी), बगल वाली आंटी को कुछ देने के लिए जाना, मेहमानों को पैरेंट्स की गैरमौजूदगी में बिठाना, चाय-नाश्ता देना वगैरह-वगैरह..ये सारे काम तब तक आपके हिस्से ही रहते हैं जब तक आप के भाई-बहन बड़े नहीं हो जाते।
2. पैरेंट्स घर पर नहीं हैं, तुम रखोगी सबका ख्याल
आपको याद होगा, जब आप क्लास 8th में थीं और पैरेंट्स घर से बाहर जाते थे तो आप से कहा जाता था – इन दोनों को देखती रहना, कोई शरारत न करें। जब वो क्लास 9th में आ गए तो भी आपको एक बार ये नसीहत जरूर दी गई होगी। मतलब आप हमेशा बड़ी हैं और वो हमेशा छोटे।
3. मम्मी-डैडी नहीं, आप हैं बिग बाॅस
भाई-बहन पर रौब जमाना तो कोई आप से सीखे। मम्मी भी कई बार उन्हें यही धमकी देती हैं – दीदी को आने दो, तब पता चलेगा। आपकी बात टालना मतलब… बस पूछिए मत। आज कहां घूमने जाना है और खाने में क्या बनना चाहिए, ये भी आप से ही पूछा जाता है। आप ने जो कह दिया, वो सबकी सिर-आंखों पर।
4. सब कुछ पहले – आपके लिए, पर शेयर तो करना ही पड़ेगा
आपको सब कुछ अपने भाई-बहनों से पहले मिलता होगा- साइकिल, घड़ी, मोबाइल, लैपटॉप, स्कूटी। पर जो चीज एक बार घर में आ गई, उसकी तरफ सबकी ललचाई नजरें हैं। ऐसे में पैरेंट्स को उन पर दया आ जाती है और वो चीज आपके छोटे भाई- बहनों के साथ होने लगती है।
5. आपका सामान, आपके नियम
उन्हें आपकी स्कूटी या आपका लैपटॉप चलाने की परमिशन तो मिल गई, पर आपका हुकूमती अंदाज ऐसे थोड़े ही जाएगा। आप उन्हें एहसास दिलाती रहती हैं कि वो लैपटॉप आपका है- बस आधे घंटे के लिए दे रही हूं…
6. आपको हर बार परमिशन के लिए रोना-गिड़गिड़ाना पड़ा, पर उनको? कभी नहीं!
आपको अपने फ्रेंड्स के साथ घूमने जाना हो या अपनी पसंद के कपड़े पहनने हो, सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी मम्मी-डैडी को मनाना। रोना-धोना और दो दिन तक पूरा ड्रामा, तब जाकर आप को परमिशन मिलती थी, पर बहन को तो चुटकी में मिल गई… क्योंकि आप गई थीं तो उसको सिर्फ इतना कहना पड़ा “दीदी भी तो गई थी”… वैसे भी अब आप के जाने के बाद पैरेंट्स के विचार भी बदल गए। अपने भाई-बहनों को एहसास दिलाइए कि कैसे आप ने अकेले सब के हक की लड़ाई लड़ी है।
7. आपको आदर्श बनना है, ताकि वो आपसे सीख सकें
वो छोटे हैं इसलिए आजाद हैं कुछ भी करने के लिए, क्योंकि उनसे कोई कुछ भी नहीं सीखेगा। आपकी आधी जिंदगी तो सीखने- सिखाने में बीत गई।
8. आप उन्हें अपने कपड़े दे दें, फिर भी वो आपके कलेक्शन में ताक-झांक नहीं छोड़ती।
निगाहें ऐसे दौड़ाई जाती हैं जैसे कोई खजाना छिपा रखा हो आपने।
9. आपके छोटे-मोटे काम? भाई-बहन जिंदाबाद
मीनू! वो बुक इधर देना… मैं लेट हो रही हूं, ये जींस प्रेस कर दो, किचन से मेरा टिफिन ला दो न। बगल वाली शॉप पर जाओ और डोर बेल बजी है, जाकर दरवाजा खोलो.. और पता नहीं कितने काम आप उनसे यूं ही करवा लेती हैं।
10. काम की कीमत भी
कभी- कभी आप उनके काम से इतनी खुश होती हैं कि अपनी पॉकेट से कुछ पैसे उन्हें देकर कुछ खरीद लेने की छूट भी देती हैं। अगर ज्यादा प्यार आ जाए, तो बाहर से आते वक्त उनके लिए कोई सरप्राइज भी ले आती हैं, है न!
11. वो थोड़ा-बहुत जलते भी हैं आप से
ये बात आप खूब समझती हैं, इस जलन में भी प्यार है। उनकी परेशानी यह है कि सब लोग दीदी की बात ही क्यों मानते हैं? कोई हमारी क्यों नहीं सुनता? अब आपकी हुकूमत होगी, तो उन्हें थोड़ी जलन तो होगी न।
12. उनका कोई काम फंसा, तो सबसे पहले दीदी याद आती है
उन्हें किसी की बर्थडे पार्टी में जाना है, मम्मी ने साफ मना कर दिया, तो अब केस सीधा आपके पास पहुंचा, आप ही उनका भला कर सकती हैं, क्योंकि आप उन्हें समझती हैं और आपको मम्मी-डैडी मना नहीं करते।
13. जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, आप टीम बन जाते हैं
आप में 5 साल का फर्क हो तो भी चलेगा, पर आप एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं, सपोर्ट करते हैं… एक अच्छे दोस्त की तरह। आपको पता ही नहीं चलता कब आप एक टीम बन गए।
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